गाजियाबाद। पहले सी-295 मध्यम सामरिक परिवहन विमान को सोमवार को भारतीय वायु सेना में शामिल किया गया, जिससे सेना की रसद तथा अन्य क्षमताओं में इजाफा होगा। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की मौजूदगी में यहां हिंडन वायु सेना स्टेशन पर आयोजित कार्यक्रम में सी-295 को वायु सेना में शामिल किया गया। इसके बाद रक्षा मंत्री सिंह ‘सर्व धर्म पूजा’ में शामिल हुए, जो सी-295 को वायुसेना में शामिल किए जाने के उपलक्ष्य में आयोजित की गई। वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल वी. आर. चौधरी वायुसेना और एयरबस के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ इस कार्यक्रम में शामिल हुए। पहला सी-295 विमान वायुसेना की स्क्वाड्रन संख्या 11 में शामिल किया गया है।
यह भारतीय वायु सेना के सबसे पुराने स्क्वाड्रन में से एक है और वर्तमान में वडोदरा वायु सेना स्टेशन में इसका बेस है। दो ‘स्लाइडिंग स्क्रीन’ के बाद विमान का अनावरण किया गया। इन स्क्रीन पर ‘11 स्क्वाड्रन: पायनियर्स ऑफ सी- 295 एमडब्ल्यू’ और ‘राइनोस: द ट्रेलब्लेजर्स ऑफ सी-295 एमडब्ल्यू’ लिखा था। वायु सेना के आधुनिकीकरण के उद्देश्य से सरकार ने स्पेन की ‘एयरबस डिफेंस एंड स्पेस कंपनी’ के साथ दो साल पहले 21,935 करोड़ रुपए में 56 सी295 परिवहन विमानों को खरीदने का सौदा किया था। ये विमान पुराने होते एवरो-748 बेड़े का स्थान लेंगे।
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फ्लाई अवे स्थिति में मिलेंगे 16 विमान
दोनों कं पनियों के बीच एक औद्योगिक साझेदारी के तहत एयरबस सेविले स्थित अपने उत्पादन संयंत्र से ‘फ्लाई-अवे’ (उड़ान के लिये तैयार) स्थिति में पहले 16 सी295 विमानों की 2025 तक आपूर्ति करेगा। इसके बाद शेष 40 विमानों का निर्माण और संयोजन भारत में ‘टाटा एडवांस्ड सिस्टम्स लिमिटेड’(टीएएसएल) द्वारा वडोदरा में किया जाएगा। इन विमानों के हिस्सों का निर्माण हैदराबाद स्थित ‘मेन कॉन्सटिचुएं ट एसेंबली’ सुविधा में पहले ही शुरू हो चुका है। इन हिस्सों को वडोदरा स्थित ‘फाइनल असेंबली लाइन’ भेजा जाएगा, जिसके नवंबर 2024 तक चालू हो जाने की उम्मीद है।
71 सैनिकों व साजो-सामान ले जाने में सक्षम
सी295 को एक बेहतर विमान माना जाता है, जिसका उपयोग अधिकतम 71 सैनिकों या 50 पैराट्रूपर के सामरिक परिवहन के लिए किया जाता है। इसके अलावा इसका इस्तेमाल उन स्थानों पर सैन्य साजो-सामान और रसद पहुंचाने के लिए किया जाता है, जहां मौजूदा भारी विमानों के जरिए नहीं पहुंचा जा सकता।
बचाव अभियानों में भी उपयोग संभव
सी295 विमान पैराशूट की मदद से सैनिकों को उतारने और सामान गिराने के लिए काफी उपयोगी है। इसका उपयोग किसी हादसे के पीड़ितों और बीमार लोगों को निकालने के लिए भी किया जा सकता है। यह विमान विशेष अभियानों के साथ-साथ आपदा की स्थिति और समुद्र तटीय क्षेत्रों में गश्ती कार्यों को करने में भी सक्षम है।
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भारत ड्रोन शक्ति कार्यक्रम का उद्धाटन
रक्षा मंत्री राजनाथ सिहं ने सोमवार को यहां हिंडन एयरबेस पर आयोजित एक ड्रोन प्रदर्शनी कार्यक्रम का उद्घाटन किया। ‘भारत ड्रोन शक्ति 2023’ प्रदर्शनी कार्यक्रम का आयोजन वायु सेना और ‘ड्रोन फे डरेशन ऑफ इंडिया’ संयुक्त रूप से कर रहे हैं। सिहं ने ड्रोन के कुछ हवाई प्रदर्शन भी देखे। बाद में, उन्होंने प्रदर्शनी क्षेत्र और कुछ स्टॉल का भी दौरा किया। डीएफआई के एक अधिकारी ने बताया कि 75 ड्रोन का स्थैतिक प्रदर्शन किया जा रहा है और 50 से अधिक ड्रोन का हवाई प्रदर्शन किया जाएगा।