नई दिल्ली। तूफान बिपरजॉय के चर्चे हाल ही में पूरे देश में रहे हैं। तेज रफ्तार से चलती हवाएं, ऊंची-ऊंची लहरें और आपदा का कहर.. यह पहला मौका नहीं है कि जब भारत में इन तूफानों का सामना किया जा रहा है। विशेषज्ञों की मानें तो पिछले कुछ समय में अरब सागर के चक्रवातों में तेजी आई है। चालीस फीसदी तक की वृद्धि हुई है। जहां तक बात बिपरजॉय की है, इस नाम का मतलब ही सीधा सीधा विनाशक है, यह एक बांग्लादेशी शब्द है।
तूफानों की तीव्रता में 40 फीसदी की हुई वृद्धि
भारतीय उष्णकटिबंधीय मौसम विज्ञान संस्थान के एक अध्ययन से पता चला है कि अरब सागर के ऊपर चक्रवातों की तीव्रता में 40 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। वैज्ञानिकों ने समुद्र की सतह के तापमान में वृद्धि देखी है, जिससे अरब सागर में कम दबाव वाले क्षेत्रों का विकास हुआ है। ग्लोबल वार्मिंग के कारण समुद्र की सतह का तापमान बढ़ता है और इससे अरब सागर में अधिक से अधिक चक्रवात आते हैं।
बिपरजॉय… बोले तो विनाशक
भारत में चक्रवाती तूफान बिपरजॉय का कहर देखने को मिला है। मुंबई, गुजरात और के रल के किनारे समुद्र में ऊं ची-ऊं ची लहरे उठी हैं। कई जगहों पर बारिश तेज हवाओ के साथ बार ं िश भी हुई है। चक्रवाती तूफान के नाम बड़े ही विचित्र तरह के होते हैं। इसके नाम अलग-अलग देश रखते हैं। इस चक्रवाती तूफान बिपरजॉय का नाम बांग्लादेश ने दिया है। बांग्ला में बिपरजॉय का अर्थ विनाशक (डिजास्टर) होता है।
पिछले 25 सालों में अरब सागर में आए छह प्रमुख चक्रवात
1. 9 जून 1998, गुजरात : 25 साल पहले 1998 में गुजरात में आया था ऐसा तूफान जो, लोगों के ऊपर कहर बनकर टूटा था। 9 जून 1998 के उस तूफान की तस्वीरें कई लोगों के जहन में आज भी जिंदा है। 9 जून को देखते ही देखते 150 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से हवाएं चलनी शुरू हुई और वो 160 से लेकर 180 किमी प्रति घंटे की स्पीड पर पहुंच गई। इस तूफान में मरने वालों की संख्या 1485 बताई गई। वहीं 1700 लोगों के लापता होने की जानकारी है। इनका अभी तक कुछ पता नहीं चल पाया। 11 हजार से ज्यादा पशुओं की मौत हुई। करीब 10 हजार से ज्यादा मौत इस तूफान की वजह से हुई थी।
ये आंकड़ा अके ले गुजरात का है। तूफान के खत्म होने तक कच्छ के कांडला पोर्ट और उसके आसपास के इलाके में मातम सपर गया। अस्पताल में लाशें रखने की जगह नहीं थी। आलम ऐसा था कि हॉस्पिटल की लॉबी और वेटिंग रूम मुर्दा घर में तब्दील हो गए थे। लाशें अस्पताल में डंप की जा रही थी। ये समझना मुश्किल नहीं होगा कि उस समय क्या स्थिति रही होगा। कहा जाता है कि कांडला पोर्ट पर 15 हजार जहाज भी डूब गए। हवा की स्पीड इतनी ज्यादा थी कि दो जहाज आपस में टकराए और राष्ट्रीय राजमार्ग 8-ए पर जा गिरे। हालांकि इसकी आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है।
2. 1 जून, 2007 गोनी तूफान : 1 जून, 2007 को गोनी नाम का सुपर साइक्लोन अरब सागर में विकसित हुआ और उसने ओमान को गंभीर रूप से प्रभावित किया। इस तूफान से निचले इलाकों को सबसे ज्यादा नुकसान हुआ था। तेल व्यापार, बुनियादी ढांचा, बिजली और टेलीफोन नेटवर्क गंभीर रूप से क्षतिग्रस्त हो गए थे। इस तूफान से लगभग 50 लोगों की जान चली गई थी। साथ ही 4 बिलियन अमेरिकी डॉलर का नुकसान हुआ था।
3. अक्टूबर 2014, चक्रवात नीलोफर : चक्रवात नीलोफर अक्टूबर 2014 में आया था और यह अरब सागर के लिए तीसरा सबसे शक्तिशाली चक्रवात था। भारत, पाकिस्तान और ओमान में क्षेत्रों को प्रभावित करने की चेतावनी भी जारी की गई थी। निचले इलाकों से लोगों को निकाल कर सुरक्षित स्थान पर पहुंचाया गया था। विकराल रूप धारण करने से पहले ही तूफान शांत हो गया, जिससे बड़े पैमाने पर होने वाले विनाश से राहत मिली थी।
4. 2019, चक्रवात क्यार : चक्रवात क्यार 2019 में भारतीय भूमि के पास बनने वाले सबसे शक्तिशाली उष्णकटिबंधीय चक्रवातों में से एक था। इसे भारत मौसम विज्ञान विभाग ने ‘सुपर साइक्लोनिक स्टॉर्म’ का नाम दिया था। इस तूफान में कई पेड़ों और घरों को उखाड़ फें का था। गुजरात में एक लाख से अधिक किसानों की फसल बर्बाद हो गई थी। पश्चिमी तट के साथ तीव्र बाढ़ आई थी और तेज हवाओं ने बिजली लाइनों और पेड़ों को गिरा दिया था।
5. जून 2020, चक्रवात निसर्ग : जून 2020 में, चक्रवात निसर्ग ने महाराष्ट्र, गुजरात और गोवा के क्षेत्रों को प्रभावित किया था। कोविड महामारी के चरम के दौरान आए इस तूफान से लगभग 6,000 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ था। इस तूफान में बागों, घरों और सड़कों को काफी नुकसान पहुंचा था।
6. मई 2021, चक्रवात तौकते : चक्रवात तौकते मई 2021 में गुजरात के दक्षिणी तट से टकराया था। इसे 1998 के बाद से सबसे शक्तिशाली चक्रवातों में से एक माना जाता है। भारी बारिश के बीच लगभग 200,000 से अधिक लोगों को सुरक्षित जगह पर पहुंचाया गया था। 170 से अधिक लोगों की मौत हुई थी। वहीं, हजारों मवेशियों और वन्यजीवों की भी इस तूफान में जान गंवानी पड़ी। सैकड़ों सड़कें क्षतिग्रस्त हो गई थी और 40,000 से अधिक पेड़ उखड़ गए थे।
ये है दुनिया के खतरनाक चक्रवात
हुगली रिवर : साइक्लोन हुगली रिवर साइक्लोन ने भी काफी तबाही मचाई थी, इस तूफान में करीब 3.5 लाख लोगों की मौत हो गई थी। हुगली रिवर साइक्लोन को इतिहास के सबसे खतरनाक तूफानों में से एक माना जाता है। यह तूफान 1737 में आया था और इसमें आए कलकत्ता में भीषण तबाही मचाई थी।
भोला चक्रवाती तूफान : यह साल 1979 में पूर्वी पाकिस्तान (वर्तमान में बांग्लादेश) में आया था। यह तूफान इतना ज्यादा भीषण था की उसने भयंकर तबाही मचाई और इस तूफान में करीब 5 लाख लोगों की जान चली गई थी। बंगाल की खाड़ी से उठकर चले इस तूफान की शुरुआत 8 नवंबर 1970 को हुई थी और यह 12 नवंबर को पूर्वी पाकिस्तान से जाकर टकराया था।
हैपोंग टाइफून : यह तूफान वियतनाम में आया था। 27 सितंबर 1881 को शुरू हुए इस खतरनाक साइक्लोन ने 8 अक्टूबर को अपना विकराल रूप दिखाया और भीषण तबाही मचाई। हैपोंग टाइफून के कारण करीब तीन लाख लोगों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा।
कोरिंगा साइक्लोन : यह तूफान 25 नवंबर 1839 को भारत के आंध्र प्रदेश के बंदरगाह शहर कोरिंगा में आया था। इस दौरान समुद्र में 40 फीट तक ऊंची लहरें उठने लगी थीं। इस साइक्लोन ने करीब 25 हजार जहाजों को बर्बाद कर दिया था। इसमें करीब 3 लाख लोगों की जान गई थी।
बैकरगंज साइक्लोन : 29 अक्टूबर से 1 नवंबर 1876 बैकरगंज साइक्लोन ने जमकर तबाही मचाई और लाखों लोगों की जान ली। तूफान की वजह से करीब 2 लाख लोगों की जान गई। इस तूफान में पानी की तेज रफ्तार अपने साथ बहुत सारे लोगों को बहाकर ले गई थी। तूफान खत्म होने के बाद लोग भूखमरी का शिकार हो गए थे।
13 देश मिलकर रखते हैं नाम
विश्व मौसम विज्ञान संगठन के सदस्य देश चक्रवाती तूफान का नाम देते हैं। यूएन के इकोनॉमिक एंड सोशल कमीशन फॉर एशिया एंड पैसिफिक पैनल के 13 सदस्य देश नार्थ हिंद महासागर में उठने वाले तूफानों के नाम तय करते है। 13 देशों के पैनल में भारत, पाकिस्तान, ओमान, श्रीलंका, बांग्लादेश, म्यांमार, मालदीव, थाईलैंड, ईरान, कतर, सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात, यमन शामिल हैं। इस बार तूफान का नाम देने की जिम्मेदारी बांग्लादेश की थी।
ताकि असमंजस की स्थिति न बनें
अब सवाल यह उठता है कि चक्रवाती तूफानों को नाम दिया क्यों जाता है। तूफान के बारे में भविष्यवाणी और भ्रम की स्थिति से बचने के लिए चक्रवाती तूफान का नाम दिया जाता है। एक समय में एक से ज्यादा चक्रवाती तूफान उठ सकते हैं। चक्रवात का नाम पता रहने पर सटीक भविष्यवाणी की जा सकती है। बता दें कि चक्रवातों का नाम ज्यादातर उन क्षेत्रों के नाम पर रखा जाता है जहां से चक्रवात बनते हैं। ये ज्यादातर समुद्र या नदी के क्षेत्र से बनते हैं।
इसलिए आते हैं तूफान
समुद्री जल का तापमान बढ़ने पर इसके ऊपर मौजूद हवा गर्म हो जाती है। यह ऊपर की ओर उठने लगती है तो उस जगह कम दबाव का क्षेत्र बनने लगता है। इसे भरने के लिए पास की ठंडी हवा कम दबाव वाले जगह की ओर बढ़ने लगती है। गर्म और ठंडी हवाओं के मिलने से तूफान का जन्म होता है, यही तूफान तेज हवाओं के साथ बारिश भी लाता है।
बढ़ता तापमान जलवायु परिवर्तन का महत्वपूर्ण कारण
समुद्री तूफान के बनने का सीधा संबंध समुद्र की सतह के तापमान से है, इन बढ़ते तापमान के लिए जलवायु परिवर्तन को एक महत्वपूर्ण कारण माना जाता है। भारत ही नहीं बल्कि पाकिस्तान, यमन और ओमान जैसे देशों में भी पहले से ज्यादा शक्तिशाली समुद्री तूफान देखने को मिल रहे हैं। एक्सपर्ट की मानें तो जलवायु परिवर्तन ने पिछले एक दशक में अरब सागर की सतह के तापमान में 1.2 डिग्री से 1.4 डिग्री की वृद्धि की है। यह चक्रवात उत्पन्न करने के लिए आवश्यक ऊर्जा प्रदान करता है। पहले अरब सागर की सतह ठं डी थी, जिसके कारण समुद्र में कम दबाव का क्षेत्र या कहें गहरे गड्ढेबनते थे, लेकिन पश्चिम-मध्य और उत्तरी अरब सागर की सतह का तापमान कम होने के कारण वे तूफान का रूप नहीं ले पाते थे। समुद्र की सतह के उच्च तापमान के कारण न केवल तूफान बनते हैं बल्कि उनकी तीव्रता भी अधिक होती है।