उदयपुर-अहमदाबाद ट्रैक विस्फोट का मामला UAPA के तहत दर्ज होने के बाद अब एंटी टेररिस्ट स्क्वॉयड यानी ATS और नेशनल इंवेस्टिगेशन एजेंसी यानी NIA को इसकी जांच सौंप दी गई है। इस मामले में अब आंतकी एंगल लेकर ये दोनों एजेंसियां इस मामले की जांच को आगे बढ़ाएंगी।
मामले की जानकारी देते हुए ATS के डिप्टी एसपी अनंत कुमार ने बताया कि पुलिस अधिकारियों की जांच के मुताबिक इस घटना को पूरी प्लानिंग से अंजाम दिया गया है। जो कि बड़ी बात है। इसलिए इस मामले को हल्के में नहीं लिया जा सकता। इसमें आतंकी कनेक्शन को लेकर गहनता से जांच की जाएगी। इसकी अभी ATS लोकल पुलिस और FSL जांच कर रही हैं। मौके से जो विस्फोटक मिला है उसे फोरेंसिक ने बरामद कर लिया है अब इसकी जांच की जा रही है। केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि इस मामले की गहनता से जांच की जाएगी और आरोपियों को कड़ी से कड़ी सजा दी जाएगी।
अभी सिर्फ मालगाड़ियों को ट्रैक पर किया गया बहाल
उदयपुर-अहमदाबाद रेलवे ट्रेक पर पुल को उड़ाने के मामले में पुलिस ने UAPA के तहत मामला दर्ज कर लिया है। इसके साथ ही ट्रैक पर ट्रेनों का आवागमन फिर से शुरू करवा दिया गया है। लेकिन अभी सिर्फ मालगाड़ियों को इसके लिए अनुमति मिली है। पैसेंजर ट्रेनों को अभी इस ट्रैक पर बहाल नहीं किया गया है। वहीं अज्ञात अपराधियों के खिलाफ पुलिस ने UAPA की धारा 16 और 18 के तहत केस दर्ज किया है। बता दें कि यह मामला उदयपुर-सलम्बूर मार्ग पर केवड़े की नाड में स्थित रेलवे पुल पर हुआ था। अब तक हुई जांच में सामने आय़ा है कि इस ट्रैक को ब्लास्ट कराने के लिए अज्ञातों ने सुपर पॉवर 90 कैटेगरी का विस्फोटक का इस्तेमाल किया था।
आपको बता दें कि सुपर पॉवर 90 पैकेज्ड इमल्शन विस्फोटक है। जो कि अव्वल दर्जे का एक बेहद खतरनाक विस्फोटक माना जाता है। इस विस्फोटक के बारे में भी जांच टीमें विश्लेषण कर रही हैं। आपको बता दें कि इस विस्फोटक का इस्तेमाल नोएडा के ट्विन टॉवर को गिराने के लिए किया गया था। इस उदाहरण से आप समझ सकते हैं कि यह विस्फोटक कितना खतरनाक साबित हो सकता है।
भाजपा प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया ने सीएम पर उठाए सवाल
उदयपुर-अहमदाबाद रेलवे ट्रैक को उड़ाने की साजिश पर भाजपा ने राजस्थान सरकार पर कड़ा निशाना साधा है। भाजपा प्रदेशाध्यक्ष सतीश पूनिया ने कहा कि 31 अक्टूबर पर इस रेलवे ट्रैक पर काम शुरू हो गया था। लेकिन जब इस तरह की घटना हो जाती है तो लोगों में एक तरह का डर बैठ जाता है। इससे प्रदेश की कानून व्यवस्थआ पर भी गंभीर सवाल खड़ा होता है। प्रदेश में इंटेलिजेंस पूरी तरह से फेल होते नजर आ रहे हैं। क्या उन्हें इस तरह की कोई वारदात की किसी भी तरह का भनक नहीं लगी। इस बारे में प्रदेश के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को जवाबदेह होना चाहिए।