कांग्रेस समेत कई विपक्षी दलों को अग्निपथ योजना को लेकर एक तगड़ा झटका लगा है और यह झटका दिया है दिल्ली हाईकोर्ट ने। दिल्ली हाईकोर्ट ने अग्निपथ योजना को चुनौती देने वाली याचिकाओं को खारिज कर दिया है, कोर्ट का कहना है कि इस योजना में दखल देने का कोई मतलब नहीं है। हाइकोर्ट के जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा और सुब्रह्ममण्यम प्रसाद ने इस मामले की सुनवाई की।
हाइकोर्ट ने कहा कि केंद्र के इस योजना के लाने का मतलब भारतीय सेना को और भी बेहतर तरीके से तैयार करना है, इसमें कोई भी ऐसा प्रावधान नहीं किया गया जिससे भर्ती होने वाले युवाओं के भविष्य को आर्थिक या सामाजिक रूप से कोई खतरा हो। कोर्ट ने उन लोगों की मांग को भी खारिज कर दिया जो पुरानी योजना से ही सेना भर्ती की मांग कर रहे थे।
याचिकाकर्ताओं का यह है तर्क
हाइकोर्ट में जो याचिका दाखिल की गई थी उसमें याचिकार्ताओं का कहना है कि इस स्कीम से अगर युवाओं
की भर्ती सेना में होती है तो लगभग 75 प्रतिशत युवा 4 साल बाद बेरोजगार हो जाएंगे, वो अपना आगे का भविष्य कैसे बनाएंगे। इनका यह भी कहना था कि 4 साल की सेना में दी गई उनकी सेवा को उनके ताउम्र सेवा में गिना जाएगा?
19 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट को सौंपी थी सुनवाई
सुप्रीम कोर्ट ने 19 जुलाई को अग्निपथ योजना के खिलाफ दायर की हुईं याचिकाओं पर सुनवाई की थी। जिसके बाद कोर्ट ने बड़ा आदेश देते हुए कहा कि अब इस योजना से जुड़ी जितनी भी याचिकाएं हैं उन सब की सुनवाई दिल्ली हाईकोर्ट में होगी। यही नहीं अब केरल, पंजाब, हरियाणा, पटना, उत्तराखंड के हाईकोर्ट में भी दाखिल याचिकाओं की सुनवाई भी दिल्ली हाईकोर्ट करेगा। इसके बाद आज दिल्ली हाइकोर्ट ने इन याचिकाओं को खारिज कर दिया है।
अग्निपथ योजना के तहत जारी हैं भर्तियां
एक तरफ जहां अदालतों में अग्निपथ योजना को रद्द करने की याचिकाएं दायर और खारिज की जा रही हैं को दूसरी तरफ इस योजना के तहत बड़ी संख्या में आवेदन दिए जा रहे हैं। वायुसेना में इसके लिए आवेदन 24 जून 2022 से शुरू हो गए थे, नौ सेना के लिए 25 जून 2022 से तो थल सेना के लिए भर्ती प्रक्रिया 1 जुलाई 2022 से शुरू हो गई थी। इस भर्ती के लिए सिर्फ 2022 में 17 से 23 साल तक के युवाओं ने आवेदन किया था, वहीं अब इस साल 2023 में यह आयु कम होकर 21 हो गई है।