जयपुर। भारत के चंद्रयान ने चंद्रमा पर सफलतापूर्वक सॉफ्ट लैंडिंग कर विश्व में इतिहास रच दिया। चंद्रयान-3 का लैंडर विक्रम अपने निर्धारित समय पर चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर उतर गया। चंद्रमा पर सफल लैंडिंग के बाद लैंडर विक्रम ठीक से काम कर रहा है। लैंडर विक्रम ने चांद की सतह पर उतरने के बाद पहली बार तस्वीरें भेजी हैं।
इसरो ने चंद्रमा की सतह से भेजी गई चार तस्वीरों को ट्वीट पर शेयर किया है। बता दें कि ये तस्वीरें लैंडर विक्रम के हॉरिजॉन्टल वेलोसिटी कैमरे द्वारा ली गई हैं। इसके बाद लैंडर ने एक और तस्वीर भेजी है जिसमें उस लैंडिंग साइट को दिखाया गया है जहां विक्रम चंद्रमा पर उतरा था।
इसरो ने शेयर की पहली तस्वीर
ट्वीटर (एक्स) पर इसरो ने चांद की पहली तस्वीर शेयर की है। इसरो ने लिखा कि Ch-3 लैंडर और MOX-ISTRAC, बेंगलुरु के बीच संचार लिंक स्थापित किया गया है। नीचे उतरते समय ली गई लैंडर हॉरिजॉन्टल वेलोसिटी कैमरे की तस्वीरें यहां दी गई हैं।
फेल हो गया था भारत का चंद्रयान-2 मिशन
चंद्रयान-2 मिशन सितंबर 2019 में तब फेल हो गया ता जब विक्रम लैंडर चंद्रमा की सतह पर ही दुर्घटनाग्रस्त हो गया। हालांकि, इसका ऑर्बिटर आज भी चंद्रमा की परिक्रमा कर भारत को महत्वपूर्ण जानकारियां देने का काम कर रहा है।
चार साल में दूसरी कोशिश
बता दें कि इसरो की 4 साल में य़ह दूसरी कोशिश थी जहां वैज्ञानिकों को सफलता मिली है। चंद्रयान-3 14 जुलाई को लॉन्च व्हीकल मार्क-3 (एलवीएम3) रॉकेट के जरिए प्रक्षेपित किया गया था। जिस पर कुल लागत 600 करोड़ रुपए आई है। वहीं, चंद्रयान की सफल लैंडिंग के बाद देशभर में जश्न का माहौल है और लोग आतिशबाजी कर इसरो को बधाईयां दे रहे हैं।
विकसित भारत का हुआ शंखनाद- पीएम मोदी
इस मौके पर पीएम नरेंद्र मोदी ने देशवासियों को बधाई देते हुए कहा कि ऐसी घटनाओं का इतिहास बनते देखते हैं तो जीवन धन्य हो जाता है और ऐसी घटनाएं राष्ट्रजीवन की चिरंजीव चेतना बन जाती है और ये पल अविस्मरणीय, अभूतपूर्व है। पीएम मोदी ने कहा कि ये पल विकसित भारत के शंखनाद का है, ये पल नए भारत के जयघोष का है, ये क्षण मुश्किलों के महासागर को पार करने का है, ये क्षण जीत के चंद्रपथ पर चलने का है, ये क्षण 140 करोड़ धड़कनों के सामर्थये का है, ये क्षण भारत के उदयवान भाग्य के आह्वान का है।
कब मिली थी भारत के मून मिशन को मंजूरी?
केंद्र सरकार ने नवंबर 2003 में भारत के मून मिशन के लिए इसरो के प्रस्ताव को मंजूरी दी थी। साल 2003 में भारत के 56वें स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने लाल किले की प्राचीर से भारत मून मिशन ऐलान करते हुए कहा था कि भारत साल 2008 तक चंद्रमा पर अपना अंतरिक्ष यान भेजेगा, इसे चंद्रयान कहा जाएगा।
इसके बाद 22 अक्टूबर 2008 को भारत ने श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से चंद्रयान मिशन लॉन्च किया था। लेकिन, चंद्रयान-1 14 नवंबर 2008 को चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के पास दुर्घटनाग्रस्त हो गया था।