नई दिल्ली। केंद्र के सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट के तहत नई संसद भवन के उद्घाटन को लेकर सियासत उबाल पर है। विपक्ष की तरफ से लगातार केंद्र पर हमले बोले जा रहे हैं। वो इस संसद भवन का उद्घाटन राष्ट्रपति के हाथों कराने की मांग कर रहे हैं। उनका ये भी कहना है कि ये संसद भवन को पीएम ने सिर्फ अपने नाम लिखाने के लिए बनाया है। 19 प्रमुख राजनीतिक दलों ने इस उद्घाटन का बहिष्कार करने का भी ऐलान किया है। इधर आज अमित शाह ने विपक्ष के कई सवालों का जवाब दे दिया है।
19 दल कर रहे हैं विरोध
19 विपक्षी दलों ने 28 मई को नए संसद भवन के उद्घाटन का बहिष्कार करने के लिए एक संयुक्त बयान जारी करते हुए कहा कि जब लोकतंत्र की आत्मा को संसद से निकाल लिया गया है, तो हम नए भवन में कोई मूल्य नहीं पाते हैं।
हमने सभी को बुलाया
अमित शाह ने कहा कि इस संसद का उद्घाटन 28 मई को होगा। हमने इस कार्यक्रम में सभी को बुलाया है, सभी को आमंत्रित किया है। इस मौके पर एक ऐतिहासिक घटना को पुनर्जीवित किया जा रहा है। ऐतिहासिक राजदंड, ‘सेनगोल’ को नए संसद भवन में रखा जाएगा। इसका इस्तेमाल 14 अगस्त, 1947 को पीएम नेहरू ने किया था, जब अंग्रेजों से सत्ता का हस्तांतरण हुआ था। इसे तमिल में सेंगोल कहते हैं, इस शब्द का अर्थ धन से भरा होता है।
शाह ने कहा कि इसके पीछे युगों-युगों से जुड़ी एक परंपरा है। सेंगोल ने हमारे इतिहास में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। यह सेंगोल सत्ता के हस्तांतरण का प्रतीक बन गया। पीएम मोदी को जब इसकी जानकारी मिली तो गहनता से जांच की गई। फिर तय हुआ कि इसे देश के सामने रखा जाए। इसके लिए नए संसद भवन के उद्घाटन का दिन चुना गया।
राष्ट्रपति से ही कराएं उद्घाटन
इस संसद भवन के उद्घाटन का विरोध लगभग हर विपक्षी दल ने किया है। सभी का कहना है कि राष्ट्रपति के हाथों ही इस संसद का उद्घाटन हो। RJD नेता और बिहार के डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव ने कह दिया कि उन्होंने सभी पार्टियों से बात की इस बारे में। सब मिलकर इसका बायकॉट कर रहे हैं। हम इसका विरोध करते हैं कि जो राष्ट्रपति पार्लियामेंट का हेड होता है। उसे ही संसद के उद्घाटन से रोका जा रहा है। हम इसका पुरजोर विरोध करते हैं।
अपना नाम देखना चाहते हैं PM मोदी
इधर शिवसेना नेता और सांसद संजय राउत ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सिर्फ संसद के शिलालेख में अपना नाम कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस संसद का उद्घाटन किया, देखना चाहते हैं इसलिए वे इसके उद्घाटन के लिए उतावले हो रहे हैं। राउत ने कहा कि देश में जब ऐसे ही इतनी आर्थित तंगी है तो इस नई संसद में इतना पैसा खर्च करने की क्या जरूरत थी। वैसे भी देश को इस नई संसद की कुछ खास जरूरत नहीं है।
पीएम मोदी ने ही रखी थी नींव
गौरतलब है कि नई संसद भवन की नींव खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने साल 2020 में रखी थी, तब बेहद शानदार कार्यक्रम भी आयोजित किया गया था, कई देशों के राजदूत भी इसमें शामिल किए गए थे। इस नई संसद का उद्घाटन खुद प्रधानमंत्री करने जा रहे हैं इसलिए विपक्ष ये सवाल उठा रहा है कि संसद का उद्घाटन राष्ट्रपति से क्यों नहीं कराया जा रहा है। सबसे पहले राहुल गांधी ने एक ट्वीट में कहा था कि नई संसद का उद्घाटन प्रधानमंत्री को नहीं राष्ट्रपति को करना चाहिए थे। तभी से सभी पार्टियां इस नए संसद भवन के उद्घाटन का विरोध कर रही हैं।