दुनियाभर में कई ऐसी बीमारियां और डिसऑर्डर हैं जिनके इलाज मिलने में अभी काफी समय लगेगा। इन रेयर डिसऑर्डर और बीमारियों के बारे में जागरुक करने के लिए हर साल कोई न कोई दिन मनाया जाता है। ऐसे ही हर साल 21 मार्च को ‘वर्ल्ड डाउन सिंड्रोम डे’ (World Down Syndrome Day) मनाया जाता है। डाउन सिंड्रोम एक जेनेटिक्स परेशानी है। किसी को डाउन सिंड्रोम तब होता है जब किसी व्यक्ति के पास एक एक्सट्रा क्रोमोसोम मौजूद होते है। डाउन सिंड्रोम में व्यक्ति का आईक्यू काफी कम होता है। आज ‘वर्ल्ड डाउन सिंड्रोम डे’ पर जानते हैं क्या है इस दिन का इतिहास और महत्व।
क्यों मनाया जाता है ‘वर्ल्ड डाउन सिंड्रोम डे'(Down Syndrome Day)
इस दिन को मानाने की शुरुआत साल 2006 में की गई थी। जिसके बाद साल 2011 में संयुक्त राष्ट्र महासभा ने इस दिन को मान्यता दी थी। साल 2012 में इस दिन को 21 मार्च को मनाया जाने लगा। इस दिन को मनाने का उद्देश्य लोगों को डाउन सिंड्रोम के प्रति जागरुक करना है। साथ ही इस डिसऑर्डर से प्रभावित लोगों को आम दुनिया में सम्मान और अधिकार दिलाने के लिए काम करना है।
क्या होता है डाउन सिंड्रोम
दरअसल जब बच्चा गर्भ में होता है तब उसके पास 46 क्रोमोसोम होते हैं। लेकिन जो बच्चा डाउन सिंड्रोम(Down Syndrome Day) का शिकार हो जाता है उसके पास एक क्रोमोसोम ज्यादा होता हैं। साथ ही उसके पास क्रोमोसोम जीन्स के छोटे पैकेज होते हैं। जो कि ये बात निरधारित करता है कि, बच्चे का शरीर कैसा बनेगा। यह एक्सट्रा क्रोमोसोम बच्चे के शरीर और मस्तिष्क के विकास को प्रभावित करने की वजह बनती है। शिशु के लिए मानसिक और शारीरिक दोनों तरह की चुनौतियों का कारण बन सकता है।
क्या है इस साल की थीम
इस साल ‘वर्ल्ड डाउन सिंड्रोम डे’ (World Down Syndrome Day) की थीम “With Us Not For Us” रखी गई है। हर साल डाउन सिंड्रोम से प्रभावित लोगों का ख्याल रखते हुए थीम का चयन किया जाता है।
क्या हो सकता है डाउन सिंड्रोम इलाज
डाउन सिंड्रोम एक ऐसी कंडीशन है, जो बच्चे में गर्भ में ही पनप जाती है। इसका कोई भी इलाज नहीं है। हां, अगर इस कंडीशन का इनिशियल स्टेज पर पता चल पाए तो कुछ दवाईयों के मदद से बच्चे की शारीरिक और बौद्धिक क्षमताओं में सुधार करने में मदद मिल सकती है। लेकिन ये पूरी तरह से कभी भी ठीक नहीं हो सकता।