ध्यान (Meditation) आज पूरे विश्व में करोड़ों डॉलर का बिजनेस बन चुका है। नियमित रूप से मेडिटेशन करने पर न केवल मानसिक शांति मिलती है वरन शरीर को भी काफी फायदा होता है। यही कारण है कि आज मेडिकल एक्सपर्ट्स हर किसी को मेडिटेशन करने की सलाह देते हैं। परन्तु क्या आप जानते हैं कि मेडिटेशन से कई तरह की अफवाहें और कहानियां भी जुड़ी हुई हैं जो पूरी तरह से गलत हैं और जिन्हें नहीं मानना आपके लिए उपयुक्त रहेगा। आइए जानते हैं ऐसी ही कुछ बातों के बारे में
ध्यान करने के लिए आपको एक स्थान चाहिए
यदि आप ध्यान करना जानते हैं और वास्तव में मेडिटेशन करना चाहते हैं तो आप कोई काम करते हुए भी मेडिटेशन कर सकते हैं। इसके लिए जरूरी नहीं कि आप एक आसन लेकर उस पर विराजमान होकर ही ध्यान करें। वास्तव में ध्यान का अर्थ अपने विचारों पर नियंत्रण करना है, जो आप कभी भी, कहीं भी, किसी भी रूप में कर सकते हैं।
मेडिटेशन करने के लिए हमेशा एक गाइड चाहिए होता है
दूसरी चीजों की तरह मेडिटेशन भी एक तरह का अभ्यास है जिसे आप एक अच्छे टीचर की मदद से सीख सकते हैं और नियमित रूप से कर सकते हैं। ऐसा नहीं है कि आपको जब भी ध्यान करना हो, तभी एक गाइड या मार्गदर्शक चाहिए। शुरू में आप किसी अच्छे गाइड से सीख लें, उसके बाद आप खुद भी अभ्यास कर सकते हैं।
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मेडिटेशन का असली उद्देश्य वैराग्य पाना है
ध्यान के बारे में यह सबसे ज्यादा नेगेटिव चीज है जो लगातार फैल रही है। वास्तव में ध्यान दिमाग को एकाग्र करना और उसका सही तरह से उपयोग करना सिखाता है। आप यदि अपने दिमाग को एकाग्र करना सीख लेते हैं तो फिर आप जहां चाहे, जिस तरह चाहें, इसे यूज ले सकते हैं और अपने आप में सुधार कर सकते हैं।
बच्चों को ध्यान नहीं करना चाहिए
यह भी एक गलत तथ्य है जो बिल्कुल नहीं मानना चाहिए। ध्यान की जितनी आवश्यकता बड़ों को या बुजुर्गों को है, उतनी ही आवश्यकता बच्चों को भी है। यदि बच्चे बचपन से ही ध्यान करना सीख जाएंगे तो उनका दिमाग पढ़ाई में एकाग्र होने लगेगा और वे अच्छे मार्क्स ला सकेंगे, यहीं नहीं, उनकी सीखने की क्षमता भी बढ़ती है और वे दूसरे बच्चों से ज्यागदा बेहतर परफॉर्म कर पाते हैं।
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ध्यान पूरी तरह से धार्मिक प्रक्रिया है
पूरे विश्व में ध्यान को हिंदू धर्म से जोड़ा जाता है। यह बिल्कुल सही है कि ध्यान हिंदू धर्म का अभिन्न अंग है परन्तु इसे कोई भी प्रयोग कर सकता है फिर चाहे वह हिंदू हो या न हो। यह वास्तव में धार्मिक से ज्यादा आध्यात्मिक क्रिया है जो व्यक्ति को उसके उद्देश्य की पहचान करने में मदद करता है। आप बिना ईश्वर पर विश्वास रखे या बिना धार्मिक कर्मकांडों को फॉलो किए भी ध्यान कर सकते हैं।