(हिमांशु शर्मा): जयपुर। प्रदेश में रॉन्ग साइड ड्राइविंग हर साल हजारों जानें लील रही है। जल्दबाजी में डिवाइडर या कट से यू टर्न नहीं लेकर ऐसी लापरवाही करने से पिछले चार साल में 4 हजार 788 जानें गई हैं। सड़क दुर्घटनाओं लेकर पहली बार पुलिस के सहयोग से गृह विभाग ने इस तरह के आंकड़े जुटाए हैं। ये आंकड़े बता रहे हैं कि रॉन्ग साइड से साल 2018 से 2022 तक पांच साल में सालाना एक हजार लोगों की जान जा रही है। गृह विभाग के यह आंकड़े यह भी बता रहे हैं कि 5 साल में सिर्फ इसी लापरवाही के कारण 8 हजार 910 हादसे हुए हैं।
जयपुर ट्रैफिक पुलिस टीआई प्रवीण कुमार का कहना है कि डीजीपी ने साल 2023 की प्राथमिकताओं में सड़क हादसों को रोकने केलिए प्राथमिकता पर रखा है। हम रॉन्ग साइड ड्राइव करने वालों पर कार्रवाई करते हैंऔर उन्हें समझाते हैं कि गलत रास्तों पर चलने का हमेशा नुकसान होता है।
Road Accidents in Rajasthan : इन आंकड़ों की स्थिति भयावह
साल 2018 से 2022 तक प्रदेश के सभी जिलों में ऐसे हादसों के आंकड़े भयावह हैं। धौलपुर के अलावा कोई जिला नहीं जहां इस कारण हादसे नहीं हुए हैं। इस अवधि में अलवर में सबसे ज्यादा 704 हादसे हुए, जिनमें 414 लोगों की मौत हुई। इसी प्रकार में अजमेर 597 हादसों में 276 की मौत हुई हैं।
5 साल में 9,72,847 चालान
ऐसा नहीं कि पुलिस इस पर ध्यान नहीं दे रही है। इन पांच साल में पुलिस ने प्रदेश में 9,72,847 चालान किए हैं। यातायात नियमों की पालना करवाने में जयपुर पुलिस सबसे आगे है। जयपुर ट्रैफिक पुलिस ने रॉन्ग साइड ड्राइविंग पर 2,92,719 चालान किए हैं। यही कारण रहा कि कमिश्नरेट के चारों जिलों में अधिक आबादी होने के बावजूद यहां मौतों की संख्या कम रही। जयपुर कमिश्नरेट क्षेत्र में इस अवधि में कु ल 121 लोगों ने ही दम तोड़ा। जिन जिलों में चालान या सख्ती कम हुई वहां हादसे बढ़े हैं। अलवर जिले में सिर्फ 10 हजार 364 चालान हुए। यही वजह मानी जा सकती है कि 5 साल में यहां सबसे ज्यादा 704 हादसे हुए और इनमें 414 लोगों की मौत हुई।
पांच साल में कहां कितने हादसे
जिला हादसे मौतें
अलवर 704 414
प्रतापगढ़ 579 237
झालावाड़ 505 221
भरतपुर 499 345
उदयपुर 491 321
चूरू 493 319
चित्तौड़गढ़ 455 144
डूंगरपुर 410 239
जयपुर कमिश्नरेट 401 121
जयपुर ग्रामीण 57 22
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