दो दिन पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) ने नए संसद भवन की छत पर राष्ट्रीय प्रतीक अशोक स्तंभ का अनावरण किया था। अब विपक्ष ने इस पर बवाल मचाया हुआ है। विपक्ष का कहना है कि अशोक स्तंभ के डिजाइन में बदलाव किया गया है। शेरों की मुद्राओं को आक्रामक दिखाया गया है, जो कि मूल चिह्न से बिल्कुल अलग है। विपक्ष का कहना है कि केंद्र सरकार ने इतिहास से छेड़छाड़ की है। राष्ट्रीय चिह्न के डिजाइन पर बदलाव नहीं किया जा सकता।
सरकार ने क्या दिया तर्क
विपक्ष के आरोपों की जवाब देते हुए सत्ता पक्ष ने कहा है कि इतिहास से कोई छोड़छाड़ नहीं की गई है। नए संसद भवन की छत पर स्थित अशोक स्तंभ पूरी तरह सारनाथ की अशोक की लाट से प्रेरित है। विपक्ष ने एक प्रिंट किया हुआ 2D मॉडल देखा है, अब वे इसकी तुलना 3D आकृति से कर रहे हैं। विपक्ष को हर बात पर राजनीति करने की आदत है।
मूर्ति का निर्माण करने वाले शिल्पकार ने क्या कहा
इस विवाद के बीच अशोक स्तंभ की विशाल मूर्ति का निर्माण करने वाले शिल्पकार सुनील देवर ने कहा कि यह प्रतिकृति 99 प्रतिशत तक मूल चिह्न जैसी ही है। इसे संसद भवन की छत पर काफी ऊंचाई पर रखा गया है। इसलिए इसे नीचे से देखने पर कुछ अलग दिखाई दे रहा है। हालांकि इसे सामने से देखेंगे तो यह मूल चिह्न जैसा ही दिख रहा है। देवरे की इस बात का BHU के प्रोफेसर हीरालाल प्रजापति और ASI यानि भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के पूर्व उपमहानिदेशक बीआर मणि ने भी किया है।
डिजाइन के बदलाव पर क्या कहता है कानून
अशोक स्तंभ पर मचे विवाद का जवाब क्या है, इसे भारतीय राष्ट्रीय चिह्न दुरुपयोग की रोकथाम एक्ट 2005 से जान सकते हैं। बता दें कि इस एक्ट को 2007 में संशोधित किया गया था। इस एक्ट में लिखा है कि भारत के राष्ट्रीय प्रतीक को अधिकारिक मुहर के रूप में उपयोग करने के लिए अनुसूची में वर्णित किया गया है। यह चिह्न सारनाथ के अशोक की लाट से लिया गया है। इसके अलावा इस एक्ट के सेक्शन 6(2)(f) में कहा गया है कि सरकार राष्ट्रीय प्रतीकों के डिजाइन में भी बदलाव कर सकती है।
क्या सरकार कर सकती है डिजाइन में बदलाव
सरकार के पास इसका अधिकार है लेकिन शर्त के साथ। वो शर्त यह है कि सरकार इसके डिजाइन में तो बदलाव कर सकती है, पर इसे पूरी तरह बदल नहीं सकती। इसमें लिखा है कि राष्ट्रीय प्रतीक में बदलाव करते समय यह ध्यान रखना जरूरी है कि इससे किसी कानून का उल्लंघन तो नहीं हो। वहीं अगर सरकार इसे पूरी बदलना चाहती भी है तो इस एक्ट में उसे संशोधन करना पड़ेगा। और इसे संसद के दोनों सदनों में पास कराना होगा।