हम सभी ने बचपन में कॉपी-किताबों से खूब पढ़ाई की है। कॉपी के खाली पन्ने देखकर लगता था बस लिखते जाएं। यदि किताबें न होती तो हम जीवन का ज्ञान प्राप्त नहीं कर पाते। हालांकि डिजिटल के दौर में, अब मोबाइल कंप्यूटर से पढ़ाई होने लगी है। लेकिन स्कूलों में आज भी बच्चे कॉपी- किताबों से ही शुरूआती पढ़ाई करते हैं। कई बार गलती हो जाने पर हम रबर से उसे मिटा दिया करते थे, लेकिन कभी-कभी कमजोर कागज होने के कारण वो बीच से फट जाया करता था।
उस समय हम सोचते थे कि आखिर यह कागज किस चीज से बनता है। कई बार हम अपने बड़ों से पूछते थे कि इनका निर्माण कैसे होता था, तब हमें जवाब मिलता था पेड़-पौधों से… लेकिन यह विश्वास करना मुश्किल होता था कि आखिर पेड़ से कागज कैसे बन सकते हैं। लेकिन जब बड़े हुए तो मालूम हुआ कि वास्तव में कागजों का निर्माण पौधों से ही होता है। यह कैसे होता है, तथा किस तत्व के कारण होता है, इसी के बारे में विस्तार से जानेंगे आज के कॉर्नर में…
कैसे बनता है कागज
कागज का निर्माण पौधों में मौजूद सेल्यूलोस नामक कार्बोहाइड्रेट से होता है। यह पौधों की कोशिकाओं में पाया जाता है। दरअसल पौधों की कोशिकाओं की भित्ति सेल्यूलोज की बनी होती है। यह पौधों के पंजर का मुख्य पदार्थ है, जिनके रेशों को आपस में मिला दिया जाए तो एक पतली चादरनुमा वस्तु बनती है। इस पतली चादर को ही कागज कहा जाता है। जिन पौधो या पेड़ों में सेल्यूलोस नहीं पाया जाता उनसे कागज का निर्माण नहीं किया जा सकता है।
रुई एक प्रकार का शुद्ध सेल्यूलोस है, लेकिन इससे कागज नहीं बनता है। रूई एक महंगा पदार्थ है तथा इसका प्रयोग मुख्य रूप से कपड़ा बनाने के लिए किया जाता है। इसके अलावा रेशम और ऊन के रेशों से भी कागज नहीं बनता, क्योंकि इसमें परस्पर चिपकने वाले गुण मौजूद नहीं होते हैं। यही कारण है कि कागज केवल सेल्यूलोस से ही बनाया जा सकता है। पौधों में जितना अधिक सेल्यूलोस पाया जाता है, उतना ही स्वच्छ और सुंदर कागज बनता है।
इतिहास
बात करें कागज के इतिहास की तो 201 ईसा पूर्व में हान राजवंश के समय चीन में त्साई-लुन नामक व्यक्ति ने कपड़ों के चिथड़ों से दुनिया का पहला कागज बनाया था। इसलिए उन्हें कागज का संत भी कहा गया। दिलचस्प बात यह है कि कपड़ों के चिथड़ों और कागज की रद्दी में सबसे अधिक सेल्यूलोस मिलता है, इसलिए इनसे सरलता से कागज बन जाता है। इसमें लगभग सौ प्रतिशत सेल्यूलोस पाया जाता है। इसके अलावा पौधों में लिग्निन, पेक्टिन, खनिज लवण, वसा और रंग जैसे जैसे पदार्थ भी पर्याप्त मात्रा में पाए जाते हैं। इसलिए जब तक सेल्यूलोस को अलग नहीं किया जाए, कागज का निर्माण संभव नहीं है।
आवश्यक वस्तुएं
कागज बनाने के लिए चिथड़े, कागज की रद्दी, बांस, स्प्रूस और चीड़ जैसे पेड़ों की लकड़ी और घांस को मिलाकर लुगदी बनाई जाती है। इससे कागज बनाया जाता है। कागज का इतिहास बहुत पुराना है। पुराने जमाने में लिखने के लिए ताड़पत्रों का प्रयोग किया जाता था। कागज के आविष्कार से पहले बांस और रेशम के कपड़े पर भी लिखा जाता था।
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