Population of the world : लंदन। इंसानों को 100 से 200 करोड़ होने में 125 साल लगे थे, जबकि 15 नवंबर 2022 को धरती पर होमो सेपियंस (इंसानी) आबादी 800 करोड़ हो गई और 700 से 800 करोड़ होने में मात्र 12 साल लगे। अब 2050 तक 900 करोड़ होने में 27 साल लग रहे हैं। जाहिर है, इंसानों की प्रजनन क्षमता कम हो रही है। भविष्य में जिस चीज के लिए तरसेंगे वो है साफ सुथरी हवा। यूएन डेसा की वर्ल्ड पॉपुलेशन प्रॉसपेक्ट्स-2022 की रिपोर्ट में कहा गया था कि 2037 में आबादी 900 करोड़ हो जाएगी व 2058 तक तो 1000 करोड़ पार कर जाएगी, लेकिन अब ऐसा होता दिख नहीं रहा है।
8 देशों में ज्यादा होगी वृद्धि
संयुक्त राष्ट्रकी रिपोर्ट के मुताबिक साल 2050 तक दुनिया के जिन आठ देशों में सबसे तेजी से आबादी बढ़ेगी, वो हैं- कांगो, मिस्र, इथियोपिया, भारत, नाइजीरिया, पाकिस्तान, फिलिपींस और तंजानिया। 2050 तक जो भी जनसंख्या बढ़ रही है, उसमें आधे से ज्यादा योगदान अफ्रीका के सब-सहारन देशों का रहेगा।
जनसंख्या 2040 तक हो जाएगी 850 करोड़
वैश्विक असंतुलन, इकोलॉजिकल फुट प्रिंट, वाइल्ड लाइफ का विलुप्त होना आगे चलकर आर्थिक स्थिति और आबादी को बर्बाद करेगा। सबसे अच्छी स्थिति जो मानी जा रही है, वो है जॉयंट लीप यानी 2040 तक इंसानों की संख्या 850 करोड़ हो जाएगी, लेकिन सदी के अंत तक यह घटकर 600 से 730 करोड़ तक हो सकती है। कुल मिलाकर आबादी कम होने की सबसे बड़ी वजह है आर्थिक असंतुलन और जलवायु परिवर्तन होगा।