फाइनेंशिएल एक्शन टास्क फोर्स FATF ने तंगहाली से जूझ रहे पाकिस्तान को ग्रे लिस्ट से बाहर कर दिया है। अब पाकिस्तान गर्त में जाती अर्थव्यवस्था को बाहर निकालने के लिए IMF यानी अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष, वर्ल्ड बैंक, एशियाई विकास बैंक, यूरोपीय यूनियन जैसी संस्थाओं से वित्तीय मदद प्राप्त कर सकता है।
4 महीने में ग्रे लिस्ट से बाहर आने के पैमाने को किया पूरा ?
FATF के प्रेसिडेंट टी. राजा कुमार ने सिंगापुर से एक वर्चुएल प्रेस कांफ्रेंस की। जिसमें उन्होंने पाकिस्तान को ग्रे लिस्ट से हटाने के फैसले के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि पेरिस में बीते 20 व 21 अक्टूबर को हुई बैठक में यह फैसला लिया गया है कि पाकिस्तान को इस लिस्ट से बाहर किया जाए। इससका कारण बताते हुए टी राजा ने कहा कि पाकिस्तान अपनी कार्ययोजना की प्रतिबद्धता में चिह्नित रणनीतिक कमियों को दूर कर लिया था। इसलिए यह कदम उठाया गया है। इसी साल के जून महीने में हुई बैठक में FATF ने पाकिस्तान को ग्रे लिस्ट में बरकरार रखने का फैसला लिया था। इसके ठीक 4 महीने बाद ही पाकिस्तान को इस लिस्ट से बाहर कर दिया है।
क्या है FATF ?
एफएटीएफ (FATF) एक इंटर गवर्नमेंटल संस्था है। जो जो मनी लॉन्ड्रिंग, आतंकी वित्तपोषण पर कड़ी नजर रखता है और अंतरराष्ट्रीय वित्तीय प्रणाली को मजबूत करने के लिए कड़े कदम उठाता है एफएटीएफ का पूरा नाम फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स है। इसकी स्थापना 1989 में G-7 देशों की पहल पर हुई थी। वर्तमान में इस संस्था के 39 देश सदस्य हैं जिसमें चीन, ब्रिटेन, रूस, अमेरिका, भारत भी शामिल है। बता दें कि भारत एफएटीएफ के कंसल्टेंट्स और एशिया पैसिफिक ग्रुप का भी हिस्सा है।
क्या करता है FATF ?
FATF का मुख्य काम दुनिया भर में आतंकी फंडिंग पर नजर रखना है और उन पर नकेल कसना है। यह काम करने वाली FATF विश्व की सर्वोच्च संस्था है। बता दें कि पाकिस्तान को साल 2018 में FATF ने ग्रे लिस्ट में डाला था और अब लगभग 4 साल बाद उसे इस लिस्ट से बाहर कर दिया है। ग्रे लिस्ट का मतलब होता है कि जो देश मनी लॉन्ड्रिंग और आतंकवाद को रसद देने का काम करते हैं, उन पर कड़ी निगरानी रखकर इस लिस्ट में डाला जाता है।
क्या है ग्रे लिस्ट ?
इस ग्रे लिस्ट को एक तरह से निगरानी सूची के नाम से भी जाना जा सकता है। अगर इस संस्था ने किसी देश को ग्रे लिस्ट में डाला है तो इसका मतलब यह है कि वह विश्व की वित्त और बैंकिंग प्रणाली को एक तरह से सूचना देता है कि इस देश के साथ लेनदेन जोखिम भरा हो सकता है और आईएमएफ और वर्ल्ड बैंक जैसे संगठनों से लेनदेन को लेकर काफी समस्या आ सकती है। इसीलिए यह सारी वित्तीय संस्थाएं ग्रे लिस्ट में शामिल देशों को लोन या फिर वित्तीय सहायता देने से इंकार कर देती हैं और उन पर बैन लगा देती हैं।
ये देश ग्रे लिस्ट में शामिल
बता दें कि एफएटीएफ की ग्रे लिस्ट में 23 देश हैं जिसमें संयुक्त अरब अमीरात, सीरिया, तुर्की, म्यांमार, फिलिपिंस, यमन जैसे देश भी शामिल है। वहीं पाकिस्तान को अब इस लिस्ट से बाहर कर दिया है।
क्या है ब्लैक लिस्ट ?
वहीं अब अगर बात ब्लैक लिस्ट की करें तो बता दें कि एफएटीएफ की ग्रे लिस्ट और ब्लैक लिस्ट में काफी अंतर होता है। ब्लैक लिस्ट में वे देश शामिल होते हैं जिन पर मनी लॉन्ड्रिंग और आतंकी फंडिंग का आरोप साबित हो जाता है और यह देश इन आरोपों को नकार पाने में नाकामयाब हो जाते हैं। ब्लैक लिस्ट में शामिल देशों को आईएमएफ या वर्ल्ड बैंक जैसी सर्वोच्च फाइनेंशियल संस्था भी आर्थिक मदद नहीं देती और उस देश से कई मल्टीनेशनल और इंटरनेशनल कंपनियां अपना कारोबार हटा लेती है। जिससे देश की अर्थव्यवस्था बुरी तरह से चौपट हो जाती है और देश तंगहाली में आ जाता है। ब्लैक लिस्ट से बाहर आने के लिए कम से कम 36 सदस्य देशों में से 15 का समर्थन होना बेहद जरूरी है। बता दें कि अभी तक एफएटीएफ की ब्लैक लिस्ट में उत्तर कोरिया और ईरान शामिल है।
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