उलझे और बेकाबू बाल एक ऐसी स्थिति है जिसने लोगों को परेशान कर रखा है, अब वैज्ञानिकों का मानना है कि इस ‘उलझे बाल सिंड्रोम’ के लिए जीन जिम्मेदार हैं। बालों का उलझा होना और संवरने में न आना सिर्फ मुश्किल बालों से कहीं ज्यादा है। जैसा कि इसके नाम से पता चलता है, ये ऐसे बाल हैं जो सभी कोणों पर एक दूसरे से चिपक जाते हैं, जिससे इन्हें सुलझाना या कंघी करना लगभग असंभव हो जाता है। यह आमतौर पर तीन महीने और 12 साल की उम्र के बीच के बच्चों में शुरू होता है और यह मुख्यत: स्ट्रॉ ब्लॉन्ड या सिल्वर ब्लॉन्ड घुंघराले बालों वाले बच्चों में होते हैं।
100 से अधिक बच्चों पर अध्ययन
जर्मनी के बॉन विश्वविद्यालय में आनुवंशिकीविदों द्वारा 100 से अधिक बच्चों के साथ अपने इस आनुवंशिकी अध्ययन को दोहराया है। सामने आया कि बालों के रेशे के आकार और कर्ल के लिए विरासत में मिली कुछ विविधताएं जिम्मेदार होती हैं। दूसरे शब्दों में, माता-पिता दोनों उत्परिवर्तित जीन के वाहक होने चाहिए, हालांकि यह संभव है कि खुद उनके साथ ऐसा न हो। वैसे यदि उनके बच्चे को माता-पिता दोनों में मौजूद उस जीन की एक प्रति विरासत में मिलती है, तो उन्हें यह सिंड्रोम होगा।
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बालों के अलावा अन्य अंतर भी जीन भिन्नता के कारण
वैज्ञानिकों ने पुष्टि की है कि इनमें से 76 बच्चों में इस सिंड्रोम का कारण पीएडीआई3 जीन में उत्परिवर्तन के साथ-साथ दो अन्य जीनों की भागीदारी से जुड़ा हुआ है, जिनमें से तीनों बाल-फाइबर निर्माण में शामिल महत्वपूर्ण प्रोटीन के लिए कोड हैं। बालों सहित अन्य मानव भिन्नताएं, वैश्विक आबादी में हमारे जीनों में कई छोटी भिन्नताओं का परिणाम है। जब जीन में उत्परिवर्तन होता है, तो कभी-कभी यह प्रोटीन के कार्य में परिवर्तन की ओर ले जाता है।