Rajasthan Politics : राजस्थान के नए सीएम को लेकर गहलोत गुट के 92 विधायकों ने अपनी इस्तीफा विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी के आवास पर जाकर सौंप दिया था। लेकिन अब इन 92 विधायकों की ‘मर्जी’ से अपना इस्तीफा देने के सवाल उठ रहे हैं। क्योंकि गहलोत गुट के कुछ नेताओं ने अपने बयानों से इस सवाल को हवा दे दी है। दरअसल कल गहलोत गुट की बामनवास विधायक इंदिरा मीणा ने मीडिया को दिए बयान में कहा था कि उन्होंने जिस कागज पर साइन किए उन्हें नहीं पता था कि वो उनके इस्तीफे का पत्र है। यही नहीं उन्होंने यह भी कहा कि अगर सचिन पायलट प्रदेश के मुख्यमंत्री बनते हैं तो हमें( इंदिरा मीणा) को कोई दिक्कत नहीं है हमें तो आलाकमान का आदेश का पालन करना है।
‘नहीं पता था जिस कागज पर साइन किए उस पर क्या लिखा था’
इंदिरा मीणा के इस बयान के बाद चर्चाओं का बाजार बेहद गर्म होने लगा है और साथ ही साथ यह सवाल भी अपनी मुंह उठा रहा है कि क्या सीपी जोशी को अपना इस्तीफा सौंपने वाले सभी 92 विधायकों की मर्जी शामिल थी य़ा उन्हें पता था कि वे किस वजह से शांति थारीवाल के घर मीटिंग के लिए जा रहे और जिस कागज पर उन्होंने साइन किए हैं क्या उन्हें पता था कि वह कागज उनके इस्तीफे का है।
मदन प्रजापति, संदीप यादव ने भी दिए बयान
दूसरी तरफ आज सुबह ही गहलोत गुट के विधायक संदीप यादव ने कहा कि कोई भी मुख्यमंत्री बने हमें कोई परेशानी नहीं हम बस आलकमान का आदेश मान रहे हैं। इसके अलावा मदन प्रजापति ने भी इसी तरह की बात कही। आपको यह भी बता दें कि इंदिरा मीणा के साथ ही इन विधायकों ने भी यह बयान दिया है कि वे बीते रविवार शाम 7 बजे CMR में निर्धारित बैठक के लिए ही जा रहे थे। लेकिन उन्हें फोन कर शांति धारीवाल के आवास पर बैठक के लिए बुला लिया गया। उन्हें लगा कि CMR से पहले यहां कोई बैठक होगी, इसलिए बुलाया है। लेकिन उन्हें पता नहीं था कि इस बैठक में क्या होने वाला है और क्या आदेस लिया जाने वाला है।
सियासी भंवर में आलाकमान
आपको बता दें कल रात 12 बजे कांग्रेस के गहलोत समर्थक 92 विधायकों ने विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी को उनके आवास पर जाकर इस्तीफा सौंप दिया। गहलतो गुट विधायकों नेपार्टी आलाकमान से 3 शर्ते रखी हैं जिनमें उन्होंन मांग की है कि जिन 103 विधायकों ने सरकार बचाई थी उनमें से प्रदेश का सीएम बनाया जाए। दूसरी शर्त में उन्होंने मांग की है कि इनमें से जो सीएम बने वह अशोक गहलोत की पसंद का होना चाहिए। तीसरी शर्त में उन्होंने मांग उठाई कि जब 19 अक्टूबर को गहलोत अध्यक्ष बन जाएंगे तभी विधायक अपनी बात कहेंगे वह भी खुद सोनिया गांधी से।
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