जयपुर. विश्व प्रसिद्ध धार्मिक स्थली खाटूधाम जहां का दशहरा महोत्सव क्षेत्र में अपनी अलग पहचान बनाए हुए है. विगत 110 सालों से भरने वाला यह मेला 44 साल पहले मुख्य बाजार में कुछ घंटो की नृसिंह लीला के आयोजन तक ही सीमित था. उस समय रावण के पुतले का दहन नहीं किया जाता था. मगर स्थानीय लोगों ने सन् 1980 में नवीन दशहरा समिति का गठन कर इसमें नवाचरों के साथ निखार लाने का प्रयास किया. जाने क्या है इसकी विशेषता…
हिन्दू ही नहीं मुस्लिम समुदाय के लोग भी बढचढकर भाग लेते है
मेले का विस्तार हुआ और लामियां तिराहे के पास रावण टीले पर 60 फिट के रावण के पुतले का दहन भव्य आतिशबाजी और सांस्कृतिक कार्यक्रमों के साथ होने लगा. वहीं मुख्य बाजार में नृसिंह लीला भी हाइटेक हो गई. जिसमें खाटू नगरी के लोग भगवान के 24 अवतारों की झांकियों सहित अनेक कलाकारों के पात्र बनकर संपूर्ण रात्रि नंगाड़े की थाप पर नाचते है. इनकी वेषभूषा और नृत्य लोगों को अपनी ओर आर्कषित करता है. वहीं विशेष नृम्य और कॉमिक ड्रामें दर्शकों के लिए विशेष आकर्षण का केन्द्र बने हुए है. श्री श्याम मंदिर कमेटी और खाटूवासियों के विशेष सहयोग से साल दर साल इसमें निखार आता गया. अब हर साल खाटू और आसपास के लोग ही नहीं वरन बड़ी तादाद में देशभर के श्याम भक्त भी इस दशहरा महोत्सव और नृसिंह लीला को देखने आते है. इस दशहरे में हिन्दू ही नहीं मुस्लिम समुदाय के लोग भी बढचढकर भाग लेते है. समिति के संरक्षक सुरेश तिवाड़ी, चांद खां, कानूनी सलाहकार प्रहलाद राय शर्मा, उपाध्यक्ष शिवराज सिंह चौहान, मंत्री शंकर सोनी, उप मंत्री मुकेश सेन, संगठन मंत्री पूरण तिवाड़ी व मुकेश तिवाडी, व्यवस्थापक संजय सोनी आदि कार्यकर्ता दशहरे व रावण के पुतले की तैयारियों में जुटे हुए है.
खाटूधाम के इन लाेगों ने दशहरा महोत्सव में निभाई अहम भूमिका
श्री नवीन दशहरा समिति खाटूश्यामजी के सरंक्षक प्रताप सिंह चौहान जो 55 साल के है और वर्तमान में श्री श्याम मंदिर कमेटी के अध्यक्ष है। चौहाने समिति में 5 साल अध्यक्ष पद पर भी रहे है और दशहरे में नृसिंह लीला में शंकासुर व शानदार अभिनय कर रहे है। इससे पहले वराह अवतार का पात्र बनते थे।
समिति में पप्पू शर्मा (55 वर्ष ) विगत 7 वर्षो से अध्यक्ष का पदभार संभाले हुए है। इनके पदभार संभालने के बाद दशहरा महोत्सव में नवाचारों की बौछार हो गई। यहां के युवा से लेकर वृद्ध ही नहीं अपितु श्याम भक्तों को भी दशहरे से जोड़ने की कोशिश की। जिसके बदौलत महोत्सव को देखने हजारों की तादाद में भीड़ आने लगी है। पेशे से शर्मा भजन गायक, श्याम कथा वाचक व अभिनेता है।
लक्ष्मीनारायण सेन (70 वर्ष ) के है और समिति में बतौर संरक्षक के पद पर है और विगत 37 सालों से नृसिंह लीला में वीर हनुमान का पात्र करते है। सेन की खाटू में जनरल स्टोर की दुकान चलाते है। इन्होंने बताया कि इनके देखते-देखते लीला व रावण पुतला दहन में बड़ा आया है।
दीनदयाल शर्मा (65 वर्ष ) भी समिति में संरक्षक पद पर है और पूरा लेखा जोखा व व्यवस्थाओं को संभालते है। 15 वर्ष तक केसरीया वीर, नलनीर बनकर नृत्य किया है। महोत्सव और समिति में 30 सालों से सेवा दे रहे है। शर्मा सेवानिवृत शिक्षक है।
सुभाष रामूका (50 वर्ष ) समिति में कोषाध्यक्ष है, जो कि लीला में 30 साल से गणेश जी सहित अनेक पात्रों का अभिनय करते आ रहे है। लीला को लेकर इनमें इतना जोश भरा रहता है कि यह किसी युवा से कम नहीं आकें जाते।
कालूराम बासोदिया (50 वर्ष ) जो कि लीला में विगत 10 सालों से नृसिंह अवतार का अभिनय कर रहे है। इससे पहले यह पात्र इनके पिता दिवंगत मदन बासोदिया व भाई दिवंगत बसंत बनते थे। लीला में अंत समय के दौरान भगवान नृसिंह का दर्शन करने और इनसे आशीर्वाद लेने की लोगों में होड़ मची रहती है।
हर्षवर्धन तिलकिया (35 वर्ष ) जो कि करीब 10 वर्षों से शंकासुर, श्वेताक्ष और शेषनाग जैसी कई पात्र बनकर शानदार नृत्य करते आ रहे है। बचपन में दशहरे में राम व अंगद का पात्र भी बने है। यह प्रसाद की दुकान के व्यवसायी है।
मुस्लिम समुदाय की विशेष भूमिका
सबसे बड़ी बात यह है की ये लीला में नृत्य नंगाड़ों की थाप पर बजने वाली धुन पर किया जाता है और इन नंंगाड़ों को मुस्लिम सुमदाय का ढ़ाडी परिवार 80 वर्ष से बजाता आ रहा है। हबीब और उनके बेटे व परिवार पूरी लीला में नंगाड़े बजाते है।