राजस्थान हाई कोर्ट की जयपुर पीठ ने सह आरोपी जावेद को 2 लाख रुपये के जमानत मुचलके और 1 लाख रुपये की राशि पर जमानत दी है.आरोपी जावेद को कोर्ट से मिली जमानत के बारद कांग्रेस द्वारा इसको लेकर जांच एजेंसी पर कई तरह के सवाल खडे किए है.
Udaipur Kanhaiyalal Murder Case:उदयपुर में सबसे चर्चित रहे कन्हैयालाल हत्याकांड मामले में एक आरोपी को जमानत मिल चुकी है. राजस्थान हाई कोर्ट की जयपुर पीठ ने सह आरोपी जावेद को 2 लाख रुपये के जमानत मुचलके और 1 लाख रुपये की राशि पर जमानत दी है.आरोपी जावेद को कोर्ट से मिली जमानत के बारद कांग्रेस द्वारा इसको लेकर जांच एजेंसी पर कई तरह के सवाल खडे किए है. साथ ही कांग्रेस ने सरकार की कमजोर पैरवी की वजह से आरोपी को जमानत मिलने की बात कही है. उधर सरकार के मंत्री की बात करे तो उनका साफ तौर पर कहना है कि विशेष अध्ययन करवाकर पता लगाया जाएगा. साथ ही आरोपियों को कठोर सजा के लिए सरकार परोकारी करेगी.
सरकार इसके लिए करेगी पैरोकारी,गृहमंत्री जवाहर सिंह
गृह राज्य मंत्री जवाहर सिंह बेढ़म ने इस पूरे मामले में कहा कि कन्हैयालाल लाल की हत्या हुई है. सरकार पूरी पत्रावली का विशेष अध्ययन करवा कर पता लगाएगी कि जांच में कहां कमी रह गई है. आरोपियों को कठोर सजा मिले, इसके लिए सरकार पैरोकारी करेगी. जमानत कोर्ट का क्षेत्राधिकार है. इस पर कुछ नहीं कहा जा सकता.
जमानत देते हुए क्या कहा कोर्ट ने जानिए
राजस्थान हाई कोर्ट ने आरोपी जावेद को जमानत देते हुए कहा है कि एनआईए ने जो टॉवर लोकेशन दी है, उसके मुताबिक 27 जून को सुबह साढ़े 9 से साढ़े 10 तक आरोपी रियाज और जावेद धर्मेंद्र साहू की चाय दुकान पर नहीं थे. खुद धर्मेंद्र साहू ने भी दोनों को वहां नहीं देखा था. एनआईए ने कोई सीसीटीवी फुटेज भी पेश नहीं किया, जिससे साफ हो कि दोनों मिले थे. जावेद और कन्हैयालाल की दुकान के बीच में पंद्रह दुकानें आती हैं. एनआईए ने ऐसा कोई सीसीटीवी फुटेज पेश नहीं किया, जिससे पता चले कि जावेद ने हत्या से पहले कन्हैयालाल के दुकान पर होने की जानकारी रियाज को दी थी.
पूर्व मुख्यमंत्री गहलोत ने खडे किए सवाल
राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने इस पूरे मामले में आरोपी को जमानत मिलने पर एनआईए जांच पर सवाल उठाए थे. कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने ट्वीट कर कहा कि सरकार की कमजोर पैरवी की वजह से आरोपी को जमानत मिली है. राजस्थान हाईकोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता एके जैन इसे एनआईए की गंभीर लापरवाही मानते हैं. वे कहते हैं कि इतने गंभीर मामले में जमानत मिलना बड़ी बात है. कोर्ट ने यह महसूस किया कि जांच एजेंसी ने सबूत इकट्ठा नहीं किया. एनआईए ने विटनेस बहुत सारे रिकॉर्ड कर लिए, लेकिन सबूत इकट्ठे ही नहीं किए. एनआईए को बताना चाहिए था कि आखिर जावेद ने कन्हैयालाल को कहां से कहां तक फॉलो किया. कैसे रियाज को बताया, लेकिन एनआईए ऐसा नहीं कर पाई.