जयपुर- भाद्रपद मास की अमावस्या को कुशग्रहणी अमावस्या कहते हैं। इस साल ये अमावस्या सोमवती अमावस्या के साथ तिथियों की घट-बढ़ की वजह से दो (2 और 3 सितंबर) दिन रहेगी। पुराने समय में पूजा-पाठ करने वाले लोग इसी तिथि पर पूरे साल के लिए कुशा घास इकट्ठा करते थे, क्योंकि पूजन के साथ साथ ग्रहण में इस घास का विशेष महत्व है। कुशा के बिना पूजा-पाठ और पितरों के लिए किए गए धूप-ध्यान अधूरे ही माने जाते हैं। ज्योतिष के मुताबिक सोमवार की अमावस्या को सोमवती और मंगलवार की अमावस्या को भौमवती कहते हैं। इस बार 2 सितंबर को सोमवती अमावस्या और 3 सितंबर को भौमवती अमावस्या रहेगी।
धार्मिक कार्यों में कुशा का है बहुत महत्व
पं. मनमोहन शर्मा (खाटू) ने बताया कि धार्मिक कार्यों में कुशा का बहुत महत्व है। कुशा को ज्यादातर पूर्वजों के श्राद्ध में या फिर ग्रहण के दौरान घर में मौजूद खाने-पीने की चीजों में डालने के लिए किया जाता है। ग्रहण के दौरान खाने-पीने की चीजों में कुशा डालने से ग्रहण की अशुभ किरणों से खाद्य पदार्थ को बचाया जाता है। सोमवती सोमवार और अमावस्या के योग में भगवान शिव का विशेष अभिषेक करें। शिव जी को जल-दूध चढ़ाएं।
भगवानशिव के मंत्र का करें जप
ॐ नमः शिवाय मंत्र का जप करें। बिल्व पत्र, धतूरा, आंकड़े के फूल चढ़ाएं। शिवलिंग पर चंदन लगाएं। धूप-दीप जलाएं। मिठाई का भोग लगाएं। पूजा में भगवान के मंत्रों का जप कम से कम 108 बार करें। सोमवार को शिव जी के मस्तक पर विराजित चंद्र देव की भी पूजा करें। चंद्र देव के निमित्त दूध का दान करें। ॐ सोंसोमायनमः मंत्र का जप करें।
मंगल की पूजा शिवलिंग रूप में होती है
मंगलवार और अमावस्या के योग में मंगल ग्रह की विशेष पूजा करनी चाहिए। मंगल की पूजा शिवलिंग रूप में की जाती है। शिवलिंग पर जल-दूध चढ़ाने के बाद लाल गुलाल, लाल फूल, लाल वस्त्र, लाल मसूर की दाल चढ़ाएं। ॐ अंअंगारकायनमः मंत्र का 108 बार जप करें। मंगल ग्रह से संबंधित चीजें जैसे मसूर की दाल, लाल कपड़े का दान करें। अमावस्या पर जरूरतमंद लोगों को धन, अनाज, कपड़े, जूते- चप्पल का दान करें। किसी गौ शाला में गायों की देखभाल के लिए धन का दान करें।