एक कलयुगी पति के बीमा कंपनी से एक करोड़ रुपए का क्लेम उठाने के लिए अपनी पत्नी को ही मरा घोषित कर देने का मामला सामने आया है। आरोपी ने पत्नी डेथ सर्टिफिकेट बनवाकर कलेम के लिए इंश्योरेंस कंपनी में फाइल भी लगा दी। मामले की पड़ताल में यह झूठ पकड़ में आ गया। मामले का खुलासा होने के बाद जयपुर के एक प्राइवेट हॉस्पिटल ने खुद की गलती मानते हुए नगर निगम को पत्र लिखा। अब सर्टिफिकेट को निरस्त कर दिया गया है।
हॉस्पिटल के स्टाफ से सांठ-गांठ
नगर निगम ग्रेटर के रजिस्ट्रार (जन्म-मृत्यु) प्रदीप पारीक और उप रजिस्ट्रार लतेश गुप्ता ने बताया पूरा मामला 4 अप्रैल 2023 का है। गुरुग्राम के मानेसर के रहने वाले जतिन अपनी पत्नी सुशीला देवी को जयपुर में इलाज के लिए लाया था। जेएलएन मार्ग स्थित एसके सोनी हॉस्पिटल में भर्ती करवाया था। इस हॉस्पिटल के स्टाफ से सांठ-गांठ कर सुशीला को इलाज के दौरान मृत बता दिया था।
डेथ पहचान पोर्टल पर करवा रजिस्ट्रेशन
उसका 6 अप्रैल 2023 का डेथ रजिस्ट्रेशन पहचान पोर्टल पर करवा दिया था। इस रजिस्ट्रेशन के आधार पर 14 अप्रैल 2023 को सुशीला के पति जतिन ने नगर निगम ग्रेटर के मालवीय नगर जोन में आवेदन करके पत्नी का डेथ सर्टिफिकेट जारी करवा लिया था। 3 महीने बाद जतिन ने एचडीएफसी लाइफ इंश्योरेंस कंपनी में सुशीला की पॉलिसी का एक करोड़ रुपए का क्लेम उठाने के लिए आवेदन कर दिया।
डेथ सर्टिफिकेट हुआ कैंसिल
कंपनी ने पड़ताल की तो पता चला कि जिस महिला को डेथ बताकर क्लेम उठाया जा रहा है, वह जिंदा है। इसके बाद कंपनी के प्रतिनिधियों ने एसके सोनी हॉस्पिटल पहुंचकर पड़ताल की। मामले का खुलासा हो गया। मामला खुलने के बाद हॉस्पिटल प्रशासन ने नगर निगम ग्रेटर को एक पत्र लिखा और निगम से जारी डेथ सर्टिफिकेट को निरस्त करने का आग्रह किया। इसके बाद मार्च 2024 में डेथ सर्टिफिकेट को कैंसिल कर दिया गया।