Rajasthan coal crisis : जयपुर। राजस्थान में एक बार फिर बिजली संकट गहरा सकता है। इसका कारण प्रदेश में कोयला संकट के बादल गहराने लगे है। राजस्थान के पावर प्लांट में एक सप्ताह से भी कम दिन का कोयला बचा है। इसको लेकर भजनलाल सरकार में बेचैनी बढ़ गई है। यही वजह है कि राजस्थान के कोल क्राइसिस पर आज दिल्ली में मंथन होगा।
मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा और ऊर्जा मंत्री हीरालाल नागर आज दिल्ली में है और दोनों नेताओं की केंद्रीय ऊर्जा मंत्री आरके सिंह व कोयला मंत्री प्रहलाद जोशी के साथ मुलाकात प्रस्तावित है। ऐसे में यह तो साफ है कि इस दौरान राजस्थान के पावर प्लांट्स में कोयले की किल्लत को दूर करने पर चर्चा होगी। मीटिंग के दौरान सीएम भजनलाल 48000 मीट्रिक टन कोयला और 1000 मेगावाट सस्ती बिजली की मांग रखेंगे। इस दौरान प्रमुख ऊर्जा सचिव आलोक गुप्ता भी साथ में रहेंगे।
अधिकांश थर्मल में कुछ दिन का ही कोयला शेष
राजस्थान में थर्मल आधारित बिजली उत्पादन की कुल 23 यूनिट है। राजस्थान विद्युत उत्पादन निगम के आंकड़ों की मानें तो कोटा थर्मल में 3 दिन, सूरतगढ़ थर्मल व छबड़ा थर्मल में 1 दिन, छबड़ा सुपर क्रिटिकल में 5 दिन, कालीसिंध थर्मल पावर प्रोजेक्ट में 4 दिन का कोयला बचा है। हालांकि, सूरतगढ़ सुपर क्रिटिकल में 7 दिन का कोयला शेष है। लेकिन, विदेशी कोयले को हटा दे तो यहां पर भी सिर्फ 4 दिन का कोयला है। सभी पावर प्लांट को फुल लोड पर चलाने के लिए हर दिन 23 रैक कोयले की दरकार है। लेकिन, अभी कोल इंडिया से औसतन 15 रैक ही कोयला मिल रहा है। जिसके चलते राजस्थान में बिजली संकट गहरा सकता है।
ये खबर भी पढ़ें:-25 साल बाद भी भरतपुर-धौलपुर के जाट ‘खाली’ हाथ …अब लडेंगे आर-पार की लड़ाई, आरक्षण आंदोलन आज से
निगम के अधिकारियों ने छत्तीसगढ़ सरकार के समक्ष लगाई थी गुहार
पिछले 5 दिन पहले ही राजस्थान बिजली निगम के अध्यक्ष और प्रबंधक निदेशक आरके शर्मा छत्तीसगढ़ दौरे पर गए थे और कोयले की डिमांड पूरी करने के लिए छत्तीसगढ़ सरकार के समक्ष लगाई गुहार थी। क्योंकि कोयले के लिए राजस्थान छत्तीसगढ़ की खदानों पर निर्भर हैं। लेकिन, सितंबर माह से ही छत्तीसगढ़ की माइंस से कोयला आपूर्ति बंद है।
2 साल से कोल संकट से जूझ रहा प्रदेश
बता दे कि वैसे तो राजस्थान पिछले 2 साल से कोयला संकट से जूझ रहा है। लेकिन, अब तो हालात ये है कि राजस्थान के अधिकांश पावर प्लांट में तीन-चार दिन से भी कम का कोयला बचा है। दरअसल, सितंबर माह से ही छत्तीसगढ़ की माइंस से कोयला आपूर्ति बंद है। ऐसे में कोल इंडिया की तरफ से दिए जा रहे कोयले पर ही राजस्थान निर्भर है। लेकिन, रबी सीजन के चलते राजस्थान में बिजली की डिमांड लगातार बढ़ती जा रही है। जिसके चलते राजस्थान में कोयल संकट बढ़ गया है। राजस्थान की मौजूदा स्थिति को लेकर अब केंद्र के समक्ष गुहार लगाई जा रही है।