Lord Shri Ram Katha : अयोध्या में रामलाल की प्राण प्रतिष्ठा के लिए पूरे देश में उत्साह का माहौल है और हर कोई इसका साक्षी बनना चाहता है। पूरा देश इस समय राममय हो गया है। श्री राम भगवान विष्णु के सातवें अवतार माने जाते हैं। आज हम आपको विष्णु भगवान के श्री राम के रूप में धरती पर जन्म लेने की कहानी बताते हैं। आइए जानते हैं….!
पौराणिक मान्यता है कि एक बार सनकादिक मुनी भगवान विष्णु के दर्शनों की इच्छा से बैकुंठ पधारे थे। तब उनको दो द्वारपालों ने अंदर प्रवेश नहीं कर दिया और उनका उपहास उड़ाने लगे। तब सनकादिक मुनी ने गुस्से आकर दोनों द्वार पालों को तीन जन्म तक राक्षस के रूप में पैदा होने का श्राप दे दिया। जय विजय दोनों के बार-बार माफी मांगने पर मुनि ने कहा कि भगवान विष्णु ही तीनों जन्मों में तुम्हारा वध करेंगे, तभी तुम्हें मोक्ष प्राप्त होगा।
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दोनों द्वारपालों का पहला जन्म हिरण्यकश्यप और हिरण्याक्ष के रूप में लिया तब भगवान विष्णु वराह अवतार में प्रकट हुए और इन दोनों का संहार किया। दूसरा जन्म इन्होंने रावण और कुंभकर्ण के रूप में लिया। जब भगवान विष्णु ने श्रीराम का अवतार लेकर इनका अंत किया। तीसरे जन्म में ये दोनों शिशुपाल और दंतवक्र के रूप में जन्में और भगवान विष्णु ने श्रीकृष्ण का अवतार लेकर इनका वध किया। इसके बाद इन दोनों को मोक्ष की प्राप्ति हुई।
नारद मुनी ने भगवान विष्णु को दिया श्रॉप?
धार्मिक कथाओ के अनुसार, एक बार नारद मुनि को कामदेव पर विजय प्राप्त करने के कारण अहंकार घर कर गया। तब अहंकार से ग्रस्त नारद मुनि भगवान विष्णु के पास जाकर कामदेव को जीतने की बात बताते हुए अपनी प्रशंसा करने लगे। तब भगवान विष्णु ने नारद मुनि के अहंकार को तोड़ने के लिए माया रची। बैकुंठ से लौटते समय नारद मुनि ने एक सुंदर नगर में भव्य महल में एक अति रूपवति राजकुमारी को देखा ओर उसपर मोहित हो गए। राजकुमारी से विवाह की इच्छा लिए वे भगवान विष्णु के पास पहुंचे और उनसे खुद को सुंदर और आकर्षक बनाने की विनती करने लगे। तब भगवान विष्णु ने कहा हम वहीं करेंगे जो आपके लिए कल्याणकारी होगा।
भगवान विष्णु ने ऐसा कहकर नारद मुनि का मुंह बंदर जैसा बना दिया। खुद के रूप से अनजान नारद मुनि राजकुमारी से विवाह करने उसके महल पहुंच गए जहां और राजकुमार राजकुमारी से विवाह के लिए आए हुए थे। वहां भरी सभा में सब नारद मुनि का बंदर वाला चेहरा देखकर हसीं उड़ाने लगे और राजकुमारी ने भी नारद मुनि को छोड़ एक अति सुंदर राजकुमार का रूप धरे भगवान विष्णु के गले में जयमाला डाल दी।
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जब नारद मुनि ने अपना मुख जल में देखा तब अपना मुख बंदर जैसा देख उनको भगवान विष्णु पर बहुत क्रोध आया और वो बैकुंठ पहुंचे वहां भगवान विष्ण के साथ वही राजकुमारी बैठी हुई थी। तब क्रोधित होकर नारद मुनि ने भगवान विष्णु को श्राप दिया कि आपकी वजह से मेरा मजाक बना इसलिए मतैं आपको श्राप देता हूं कि आप धरती पर मनुष्य के रूप में जन्म लेंगे और आपको बंदरों की सहायत की जरूरत पड़ेगी। आपकी वजह से मुझे अपनी प्रिय प्रेम स्त्री से दूर होना पड़ा इसलिए आप भी स्त्री वियोग सहेंगे। माना जाता है नारद मुनि के श्राप के कारण भगवान विष्णु ने श्री राम के रूप में मनुष्य जन्म लिया।