जोधपुर। आमतौर पर भांग को मादक पदार्थ के रूप में जाना जाता है। भगवान महादेव की पूजा में भी इसका बड़ा महत्व है। वहीं अब भांग का एक अनूठा उपयोग भी सामने आया है। इसको लेकर जोधपुर के दो भाइयों ने अजब करामात कर दिखाई है। दोनों भाइयों ने भांग से कपड़े का निर्माण कर दिया जो कि अब अन्तरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बना चुका है। भांग के पौधे से निकलने वाले रेशे से बने पकड़े की देश-विदेश में खासी डिमांड है। वहीं चीन की सेना में इस कपड़े का उपयोग होता है। जोधपुर निवासी दो भाइयों ने बतौर स्टार्टअप भांग के पेड़ से बने कपड़े लॉन्च किए हैं।
यह शुरुआत करने वाले राहुल सुथार और सुनील सुथार ने बताया कि भांग के पौधे के तने से निकलने वाले रेशे से बने धागे से यह कपड़ा बनता है। इसका निर्माण उत्तराखंड में होता है। सुनील का दावा है कि यह कपड़ा पूरी तरह से ऑर्गेनिक, केमिकल रहित और एंटी बैक्टीरियल होता है। हर धुलाई से इसकी सॉफ्टनेस बढ़ती है। ये कपड़ा 800 रुपए मीटर बिकता है। जोधपुर में चल रहे पोलो सीजन में हेमरिक्स के नाम से लॉन्च किया गया कपड़ा ऑनलाइन भी उपलब्ध है।
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कपड़ा बनाने में कम खर्च होता है पानी
आमतौर पर बनने वाले कॉटन और अन्य कपड़े को तैयार करने में बहुत मात्रा में पानी लगता है। सुनील ने बताया कि कॉटन की खेती से लेकर उसके कपड़े से शर्ट बनने में 2600 लीटर पानी लगता है। भांग की खेती में पानी भी कम लगता है और इसके धागे से बने कपड़े की प्रोसेसिंग में अन्य कपड़ों के मुकाबले दस फ़ीसदी ही पानी खर्च होता है।
मौसम के अनुरूप बदलती है तासीर
भांग के रेशे से बने इस कपड़े की खासीयत यह भी है कि मौसम के अनुसार इसकी तासीर भी बदल जाती है। यह कपड़ा गर्मी में ठंडा और सर्दी में गर्म अहसास करवाता हैद्ध यही वजह है कि चीन की सेना में भी इस कपड़े का प्रयोग होता है। भारत में इसका चलन अब शुरू हो रहा है। कलरफुल फैब्रिक्स के अलावा इसके टॉवल, चटाई भी बनाए जाते है।
उत्तराखंड में भांग उत्पादन की अनुमति
उत्तराखंड राज्य में भांग की खेती करने के लिए सरकारी अनुमति दी गई है। ऐसे में वहां पर इसकी फसल भी बहुतायत होती है। भांग के पेड़ के तने से निकलने वाले रेशे से धागा बनता है, जिसे बाद में प्रक्रिया कर कपड़ा बना दिया जाता है। उत्तराखंड में कई संस्थाएं इस पर काम कर रही हैं। इससे ग्रामीण क्षेत्र में रोजगार भी बढ़ रहा है। अनेक ग्रामीण इस कार्य से जुड़े हुए हैं।
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