Jaipur Police: जयपुर। राजस्थान में हर परिवादी की फरियाद सुनकर उसको न्याय दिलाने के दावे करने वाले पुलिस के ही अफसर दर्ज मुकदमों की जांच में पक्षपात कर रहे हैं। मुकदमों की जांच में अनुसंधान अधिकारी निर्दोष को आरोपी और आरोपी पक्ष को निर्दोष साबित करने में लगे हैं। पुलिस के आंकड़ों की माने तो वर्ष 2023 में अक्टूबर माह तक 1774 दर्ज हुए गंभीर अपराध समेत अन्य प्रकरण के मामले फिर से जांच के लिए रिओपन हुए हैं। रिओपन करके फिर से जांच के निर्देश कोर्ट ने या फिर पुलिस के ही उच्च अधिकारियों ने दिए हैं।
परिवादियों की शिकायतों के आधार पर फाइलों की स्क्रूटनी कराई तो अनुसंधान में भारी गड़बड़ियां मिली है। प्रदेश में सबसे ज्यादा अनुसंधान में जयपुर कमिश्नरेट की पुलिस अनियमितताएं करती हैं। जयपुर कमिश्नरेट के अलग-अलग थानों में दर्ज हुए 613 मुकदमे जांच के लिए फिर से रिओपन हुए हैं। बांसवाड़ा रेंज में सबसे कम 6 मुकदमे रिओपन हुए हैं।
उच्च अधिकारियों की कार्यशैली पर उठे सवाल
खास बात है कि अनुसंधान अधिकारियों द्वारा दर्ज मुकदमों में पक्षपात करने की बात सामने आने के बाद ही पुलिस के उच्च अधिकारी उनके खिलाफ कार्रवाई नहीं करके केवल मामले को रिओपन करने के बाद अनुसंधान अधिकारी बदलकर खानापूर्ति कर लेते हैं। ऐसे में उच्च अधिकारियों की कार्यशैली पर भी सवाल उठने लगे हैं।
सलुंबर में एक भी मुकदमा रिओपन नहीं
सलुंबर में तो एक भी मुकदमा रिओपन नहीं हुआ। दूदू, शाहपुरा, भिवाड़ी, बूंदी, कोटा ग्रामीण, राजसमंद, बांसवाड़ा, डूंगरपुर, प्रतापगढ़, सांचोर, बालाेतरा, जोधपुर ग्रामीण, फलौदी व चूरू जिले में 10 कम मुकदमे ही रिओपन हुए हैं। रिटायर्ड एडिशनल एसपी अनिल गोठवाल का कहना है कि जो तफ्तीश होती है, उनका सुपरविजन होना जरूरी है। सबूत मिलते हैं उसके आधार पर कार्रवाई होनी चाहिए। कुछ मामलों में पक्षपात की बात सामने आती है, लेकिन पक्षपातपूर्ण कार्रवाई नहीं होनी चाहिए।
जयपुर कमिश्नरेट के हालात
प्रदेश में सबसे ज्यादा अनुसंधान में गड़बड़ करने के मामले जयपुर कमिश्नरेट के चारों जिले में सामने आए हैं। जयपुर कमिश्नरेट की पश्चिम जिले की पुलिस द्वारा दर्ज किए गए सबसे ज्यादा 212 मुकदमे फिर से जांच के लिए रिओपन हुए हैं। इसके बाद में पूर्व जिले के 210, दक्षिण जिले के 111 और उत्तर जिले के 80 मुकदमे रिओपन हुए हैं।
इन जिलों के अलावा कोटा शहर के 62 व नागौर के 63 मुकदमे रिओपन हुए हैं। चार साल में जयपुर कमिश्नरेट के पुलिस द्वारा दर्जमुकदमों में किए गए अनुसंधान को लेकर पुलिस मुख्यालय को कई दफा शिकायते मिली हैं, लेकिन पुलिस मुख्यालय ने शिकायतों पर कोई अमल नहीं किया।
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