Kolayat MLA Anshuman Singh Bhati: जयपुर। राजस्थान की 16वीं विधानसभा के पहले सत्र की शुरूआत हंगामे के साथ हुई। नवनिर्वाचित विधायक अभिमन्यु भाटी ने राजस्थानी भाषा में शपथ ली तो प्रोटेम स्पीकर कालीचरण सराफ ने इस पर आपत्ति जताई। इस पर पांच मिनट तक सदन में हंगामा होता रहा। हालांकि, बाद में भाटी को हिंदी में ही शपथ लेनी पड़ी।
16वीं विधानसभा का पहला सत्र सुबह 11 बजे से शुरू हुआ । दो दिवसीय सत्र के पहले दिन प्रोटेम स्पीकर कालीचरण सराफ ने पहले मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा और उसके बाद डिप्टी सीएम दीया कुमारी व डॉ. प्रेमचंद बैरवा ने शपथ ली। इससे बाद एक-एक करके दूसरे विधायकों को शपथ दिलाने का सिलसिला शुरू हुआ। लेकिन, कोलायत विधायक अंशुमान सिंह भाटी ने शपथ लेना शुरू किया तो प्रोटेम स्पीकर ने उन्हें टोक दिया। जिस पर करीब पांच मिनट तक सदन में हंगामा होता रहा।
ये है पूरा मामला
दरअसल, हुआ यूं कि कोलायत विधानसभा क्षेत्र के युवा विधायक अंशुमान सिंह भाटी ने विधानसभा में आज राजस्थान भाषा में शपथ लेने लगे। लेकिन, प्रोटेम स्पीकर कालीचरण सराफ ने राजस्थानी भाषा को आठवीं अनुसूची में मान्यता नहीं होने के कारण अंशुमान सिंह भाटी से हिंदी भाषा में शपथ लेने का आग्रह किया। इस पर विधायक भाटी बोले-आप राजस्थानी को मान्यता दिला दो। स्पीकर बोले, अभी मान्यता नहीं है। इस पर काफी देर तक विवाद चलता रहा। जिस पर अंशुमान सिंह भाटी ने फिर से हिंदी भाषा में शपथ ली।
प्रोटेम स्पीकर कालीचरण सराफ ने क्या कहा?
प्रोटेम स्पीकर कालीचरण सराफ ने भाटी से कहा कि जो भाषा आठवीं अनुसूची में है, उसी भाषा में ही शपथ ले सकते हैं। राजस्थानी भाषा आठवीं अनुसूची में शामिल नहीं है। इसलिए राजस्थानी भाषा में शपथ नहीं ले सकते। जब तक राजस्थनी भाषा की आठवीं अनुसूची में शामिल नहीं किया जाता है कि तब तक शपथ नहीं ले सकते है। हालांकि, हिंदी व अंग्रेजी में शपथ ले सकते हैं।
डोटासरा ने ली चुटकी
इधर, इसी बीच कांग्रेसी विधायक गोविंद डोटासरा ने चुटकी लेते हुए कहा कि अब तो डबल इंजन की सरकार आ गई है। राजस्थानी भाषा को मान्यता दिलाओ। इस दौरान बीजेपी के अन्य विधायकों ने अंशुमान सिंह भाटी का समर्थन करते हुए प्रोटेम स्पीकर के सामने राजस्थानी भाषा में शपथ लेने को लेकर सवाल-जवाब किए और कहा कि जब अन्य जगहों पर स्थानीय भाषा में शपथ ली जा रही है तो यहां राजस्थानी में क्यों नहीं?
राजस्थानी भाषा में क्यों शपथ नहीं ले पाए भाटी?
बता दे कि 8वीं अनुसूची के (अनुच्छेद 344 ( 1 ) और अनुच्छेद 351 में राजस्थानी भाषा में शपथ लेने का प्रावधान नही है। लेकिन, 8वीं अनुसूची में हिंदी-अग्रेजी और संस्कृत के साथ-साथ असमिया, बंगला, बोडो, डोगरी, गुजराती, कन्नड़, कश्मीरी, कोंकणी, मैथिली, मलयालम, मणिपुरी, मराठी, नेपाली और ओडिआ भाषा में शपथ लेने का प्रावधान है। यही वजह है कि भाटी राजस्थानी भाषा में शपथ नहीं ले पाए।
गौरतलब है कि संविधान की 8वीं अनुसूची में 22 भाषाएं शामिल हैं जिसमें असमिया, बांग्ला, गुजराती, हिंदी, कन्नड़, कश्मीरी, कोंकणी, मलयालम, मणिपुरी, मराठी, नेपाली, ओडिया, पंजाबी, संस्कृत, सिंधी, तमिल, तेलुगू, उर्दू, बोडो, संथाली, मैथिली और डोगरी शामिल है.
इन भाषाओं में से 14 भाषाओं को संविधान के प्रारंभ में ही शामिल कर लिया गया था. वहीं 1967 में सिंधी भाषा को 21वें संविधान संशोधन अधिनियम द्वारा आठवीं अनुसूची में शामिल किया गया था. इसके बाद 1992 में 71वें संशोधन अधिनियम द्वारा कोंकणी, मणिपुरी और नेपाली को शामिल किया गया. वहीं 2003 में 92वें सविधान संशोधन अधिनियम जो कि वर्ष 2004 से प्रभावी हुआ उसके द्वारा बोडो, डोगरी, मैथिली और संथाली को आठवीं अनुसूची में शामिल किया गया.
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