मलमास शुरू…शादियों पर लगा ब्रेक, अब 15 जनवरी को मकर संक्रान्ति से शुरू होंगे मांगलिक कार्य

पिछले 20 दिन से शहर में गूंज रही शहनाईयों पर एक माह के लिए ब्रेक लग गया है।

image 2023 12 17T082643.357 | Sach Bedhadak

Malamas 2023 : जयपुर। पिछले 20 दिन से शहर में गूंज रही शहनाईयों पर एक माह के लिए ब्रेक लग गया है। शनिवार सेमलमास की शुरुआत के साथ ही शादी, सगाई व सभी मांगलिक कार्यों पर रोक लग गई है। मलमास के दौरान भगवान सूर्य वृश्चिक राशि से धनु राशि में प्रवेश करते हैं। 

मलमास शुरू होने के साथ ही अब अगले एक महीने यानी मकर सक्रांति तक विवाह और अन्य मांगलिक कार्यक्रम निषेध रहेंगे। सनातन मान्यता के अनुसार मलमास की अवधि में भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना और दानपुण्य का महत्व बढ़ जाता है।

सुर्य का धनु राशि में प्रवेश 

पञ्चांगकर्ता पंडित दामोदर प्रसाद शर्मा ने बताया कि मलमास शनिवार शाम 4 बजे के बाद से प्रारंभ हो गया और 14 जनवरी को मध्यरात्रि बाद 2:45 बजे समाप्त होगा। उन्होंने बताया कि जब सूर्य देव धनु राशि में प्रवेश करते हैं तो उस दिन से लेकर मकर राशि में प्रवेश तक के काल को मलमास या खरमास कहते हैं। मलमास के खत्म होने पर 15 जनवरी को सुबह से दिनभर मकर संक्रांति का दान-पुण्य काल रहेगा। मलमास के दौरान श्रद्धालु लोग तिल व तेल से बनी वस्तुओं, गर्म वस्त्र आदि का दान-पुण्य करेंगे। मंदिरों में मल थाली के आयोजन भी होंगे।

होगी भगवान विष्णु की आराधना

शास्त्रों के अनुूसार मलमास भगवान विष्णु की आराधना का महीना है, इस माह में झूठ, चोरी, घृणा, क्रोध, लोभ, अभद्र भाषा का प्रयोग गलत व्यवहार आदि अनैतिक आचरण से दूर रहकर भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की आराधना करनी चाहिए। इस महीन में दही-चावल और दूध से निर्मित पकवान (खीर आदि) के भोग का विशेष महत्व है। निष्काम भाव स धे र्मशास्त्र के पुस्तक का वाचन, स्तोत्र पाठ आदि धार्मिक क्रियाओं को करने का विधान है।

मांगलिक कार्य रहेंगे निषेध 

पंडित दामोदर प्रसाद शर्मा ने बताया कि शास्त्रों के अनुसार मलमास शुरू होते ही विवाह और मांगलिक कार्यक्रमों पर विराम लग गया है। इस दौरान मांगलिक कार्यजैसेविवाह, गृह प्रवेश, नींव पूजन, नव प्रतिष्ठान प्रारंभ, यज्ञोपवित संस्कार नहीं हो सकते, लेकिन नवजात बच्चों के नामकरण और नक्षत्र शांति पूजा हो सकती है। मलमास खत्म होने के बाद 15 जनवरी से अगले दो माह यानि की मार्च तक विवाह और मांगलिक कार्यक्रम के मुहूर्त रहेंगे। ऐसे में अगले एक माह तक शहनाई की गूंज थम जाएगी। 

इस पूरे माह में सूर्य देव की पूजा का फल बताया गया है। खरमास में सूर्य देव को तांबे के पात्र से अर्घ्य देना चाहिए। सूर्य पाठ और सूर्य के मंत्रों का जाप करना चाहिए। खरमास में तामसिक भोजन नहीं करना चाहिए। तिल और तेल से बनी वस्तुओं के दान का महत्व बढ़ जाता है। सर्दी के मौसम के चलते कं बल, रजाई, बिस्तर जैसे गर्म वस्त्रों का दान करना चाहिए।

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