जयपुर। राजस्थान में डीओआईटी में वीडियो वॉल टेंडर प्रक्रिया समेत अन्य टैंडरों में भारी अनियमितताएं सामने आने के मामले की जांच अब नए मुख्यमंत्री भजनलाल तय करेंगे। भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) ने डीओआईटी में अनियमितता के मामले में चेयरमैन अखिल अरोड़ा से पूछताछ करने और जांच करने के लिए दो माह पहले कार्मिक विभाग से अनुमति मांगी थी, लेकिन कार्मिक विभाग के अफसर प्रकरण को दबाकर बैठे हैं।
सूत्रों ने बताया कि अब नए मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा इस मामले में तय करेंगे कि अरोड़ा से पूछताछ व उसके खिलाफ जांच की जाए या नहीं। इस मामले में कार्मिक विभाग के प्रमुख शासन सचिव हेमंत गैरा से बात की तो उन्होंने कुछ भी बोलने से इनकार कर दिया। दरअसल, साल 2017 में भ्रष्टाचार के कानून में संशोधन हुआ था। नए कानून के तहत के पद के दुरुपयोग और आय से अधिक संपत्ति के मामले में एसीबी को पहले संबंधित अधिकारी के खिलाफ उस विभाग के प्रमुख से अनुमति लेनी पड़ती है। ऐसे मामलों में एसीबी सीधे तौर पर कार्रवाई नहीं कर सकती है।
एसीबी केवल ट्रेप की कार्रवाई ही सीधे तौर पर कर सकती है। एसीबी ने पिछले चार साल में 55 अफसरकर्मचारियों के खिलाफ भ्रष्टाचार की शिकायत पर मिलने पर जांच व एफआईआर दर्ज करने की अनुमति मांगी है, लेकिन सरकारी विभागों के प्रमुख ने केवल 10 फीसदी मामलों में ही जांच की अनुमति है। जबकि आधे से ज्यादा मामलों में जांच की अनुमति नहीं दी। करीब 20 मामले में अनुमति नहीं मिलने के बाद विभागों के मुखिया के पास पेंडिंग पड़े हैं। सबसे ज्यादा मामले में यूडीएच, डीएलबी, मेडिकल, कार्मिक, गृह विभाग में पेंडिंग है।
फंसते दिख रहे हैं भ्रष्ट ऑफिसर…
प्रदेश में बीजेपी की सरकार आ गई है। ऐसे में सरकार बदलने के साथ अरोड़ा फंसते हुए दिख रहे हैं। एसीबी को एक गोपनीय परिवाद मिला था। उसकी प्रारंभिक जांच के बाद एसीबी ने इस मामले में आईएएस अखिल अरोड़ा से पूछताछ व एफआईआर दर्ज करके जांच के लिए अनुमति मांगी थी, लेकिन कार्मिक विभाग के अफसर एसीबी को जांच की अनुमति नहीं दे रहे है।