Rajasthan Assembly Election 2023: राजस्थान में 23 नबंवर को विधानसभा चुनाव होने वाला है। इसके नतीजे 3 दिसंबर को आ जाएंगे। ऐसे में जैसे-जैसे चुनाव के दिन नजदीक आते जा रहे हैं, वैसे-वैसे बीजेपी-कांग्रेस सहित सभी राजनीतिक दलों ने तैयारी शुरू कर दी है। लेकिन, इस बार राजस्थान में किसकी सरकार बनेगी, ये तो चुनाव के नतीजे आने के बाद भी पता चल पाएगा। राजस्थान की 200 विधानसभा सीटों के क्या समीकरण है क्या इसका इतिहास रहा है। क्या वर्तमान स्थिति है। इसकी जानकारी लगातार आपको दे रहे है। इसी क्रम में आज हम बात करेंगे करौली विधानसभा सीट की।
करौली विधानसभा सीट सामान्य
करौली जिले में करौली विधानसभा सीट सामान्य है। इस विधानसभा सीट में वोटरों की कुल संख्या 194146 है। 2013 के विधानसभा चुनाव में इस सीट पर दर्शन सिंह (कांग्रेस) ने 52361 वोट हासिल कर जीत दर्ज की थी। 2018 के विधानसभा चुनाव में बसपा से लाखन सिंह लाखन सिंह कटकड़ ने जीत दर्ज की थी।
महाराज लगातार 5 बार विधायक बने
हंसराम गुर्जर वर्ष 1977 में करौली सीट से कांग्रेस से विधायक बने और पहली बार विधायक महल से बाहर आये। इसके बाद 1980 में कांग्रेस के जनार्दन सिंह, 1985 में बीजेपी के शिवचरण सिंह, 1990 में कांग्रेस के जनार्दन सिंह, 1993 में निर्दलीय हंसराम गुर्जर, 1998 में कांग्रेस के जनार्दन सिंह, 2003 में बीएसपी के सुरेश मीणा, 2008 में बीजेपी की रोहिणी कुमारी आईं। 2013 में दर्शन सिंह गुर्जर कांग्रेस से विधायक चुने गए थे। गौरतलब है कि करौली के महाराज कुमार बृजेंद्र पाल 1952 से 1972 तक लगातार विधायक रहे।
तीन बार बाहरी लोगों पर भरोसा जताया
करौली की जनता ने भी तीन बार विधायक पद के चुनाव में बाहरी प्रत्याशी पर भरोसा जताया। साल 1980, 1990 और 1998 में कांग्रेस नेता जनार्दन सिंह गहलोत विधायक चुने गए। हालांकि, बाद में गहलोत ने करौली को अपना निवास स्थान बनाया, लेकिन ज्यादातर उनका निवास स्थान जयपुर में ही रहा। उनका यहां खनन का कारोबार भी है। इसी तरह मूल रूप से सपोटरा क्षेत्र के रहने वाले सुरेश मीना ने भी 2003 में बसपा से बाहरी प्रत्याशी के रूप में चुनाव जीता था। अब तक के कार्यकाल में सबसे ज्यादा कांग्रेस पार्टी के उम्मीदवार करौली विधानसभा क्षेत्र से जीते हैं।
रियासत से राजनीति तक का सफर
1952, 1957 और 1972 में महाराज कुमार बृजेन्द्र पाल कांग्रेस पार्टी से और 1962 और 1967 के चुनाव में निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में विधायक चुने गये। हालांकि, करीब 31 साल बाद 2008 के विधानसभा चुनाव में इसी राजपरिवार की रोहिणी कुमारी बीजेपी से विधायक चुनी गईं। इस तरह करौली राजघराने को रियासत से राजनीति तक के सफर में छह बार प्रतिनिधित्व करने का मौका मिला।
रोहिणी पहली महिला और सुरेश मीणा एसटी वर्ग से पहले विधायक
आजादी के बाद लोकतांत्रिक चुनाव प्रणाली में राजपरिवार को छह बार करौली संसदीय क्षेत्र से चुनाव लड़ने का मौका मिला। साल 2008 में पूर्व राजघराने की रोहिणी कुमारी को पहली महिला विधायक चुने जाने का गौरव मिला। वर्ष 2003 के चुनाव में करौली से निर्वाचित कुल 13 विधायकों में से पहली बार एसटी वर्ग से बसपा पार्टी के सुरेश मीना को पहला विधायक बनने का मौका मिला। दरअसल, करौली सीट जिले की एकमात्र सामान्य सीट है।