Rajasthan Assembly Election 2023 : राजस्थान में विधानसभा चुनाव का रण पूरी तरह तैयार है। ऐसे में बीजेपी-कांग्रेस सहित कई राजनीतिक दल सक्रिय हैं। चुनाव से पहले हम राजस्थान की ऐसी विधानसभा सीट के बारे में बता रहे हैं, जिसका चुनावी इतिहास काफी रोचक रहा है। हम बात कर रहे है कि प्रदेश की 200 विधानसभा सीटों में से एक मालपुरा विस सीट की, जो अति संवेदनशील है। खास बात ये है कि मालपुरा विधानसभा से प्रदेश को दामोदर व्यास के रूप में पहला गृह मंत्री तो मिला, लेकिन पिछले 30 सालों से कांग्रेस खाली हाथ है और 10 साल से इस सीट पर बीजेपी का कब्जा है। ऐसे में सवाल ये है कि क्या इस बार कांग्रेस बीजेपी के गढ़ में सेंध लगाने में कामयाब हो पाएगी।
दरअसल, इस बार के विधानसभा चुनाव में गहलोत गुट के रामबिलास चौधरी, पायलट गुट के घासीलाल चौधरी सहित अवधेश शर्मा, हंसराज चौधरी, भंवर मुवाल, प्रभातीलाल जाट मालपुरा विधानसभा सीट से कांग्रेस के संभावित उम्मीदवार है। वहीं, पिछले 10 साल से मालपुरा-टोडारायसिंह सीट पर बीजेपी के विधायक कन्हैया लाल चौधरी और पूर्व प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया बीजेपी के दावेदार माने जा रहे है। ऐसे में दोनों पार्टियों के उम्मीदवारों की लिस्ट आने के बाद ही पता चल पाएगा कि कौन-कौन चुनावी रण में उतरेगा। लेकिन, यह तो साफ है कि जनता ही बीजेपी और कांग्रेस के उम्मीदवारों का फैसला करेगी। लेकिन, सवाल ये है कि इस बार जीत का सेहरा किसके सिर बंधेगा?
ये रहेंगे चुनावी मुद्दें
मालपुरा विधानसभा क्षेत्र में बीसलपुर बांध का पानी टोरडी सागर बांध में डाले जाने का मुद्दा साल 2004 से उठाया जा रहा है। लेकिन, अभी तक कोई समाधान नहीं हो पाया है। हालांकि, लंबे समय से चली आ रही मालपुरा को जिला बनाने की मांग को गहलोत सरकार ने मान लिया है। सीएम गहलोत ने शुक्रवार को ही मालपुरा को जिला बनाने का ऐलान किया। ऐसे में यह तो साफ है कि कांग्रेस नए जिले की आड़ में बीजेपी के किले में सेंध लगाने की कोशिश करेंगी।
भगवा के सहारे फिर पार पा सकती बीजेपी
साल 1992 के सांप्रदायिक दंगे, कांवड़ यात्रा पर हमले, मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्रों में हुए सांप्रदायिक घटनाएं और आईएसआई व पाक जिंदाबाद के नारे लगाने के लिए मालपुरा बदनाम रहा है। ऐसे में कांग्रेस इन मुद्दों को भी उठाना चाहेगी। हालांकि, यह तो साफ है कि भगवा के सहारे ही बीजेपी मालपुरा की जनता का दिल जीतने में कामयाब होगी। दूसरी वजह ये भी है कि इस क्षेत्र की कांग्रेस सरकार लगातार उपेक्षा करती आ रही है। ऐसे में इन मुद्दों को दोनों ही पार्टियां भुनाने की कोशिश करेगी।
ये रहा है चुनावी इतिहास
मालपुरा क्षेत्र से ही राजस्थान को पहला गृह मंत्री मिला था। कांग्रेस सरकार में गृह मंत्री रहे दामोदर लाल व्यास तीन बार विधायक रहे। लेकिन, 1951 से 2018 तक 15 बार चुनावों में सबसे बड़ी जीत का रिकॉर्ड बीजेपी के कन्हैया लाल चौधरी के नाम है। साल 2013 में कन्हैया लाल चौधरी ने कांग्रेस प्रत्याशी रामबिलास चौधरी को 40221 वोटों से हराया था। जनता पार्टी के नारायण सिंह दो बार 1977 व 1985 में विधायक रहे। भाजपा के जीतराम चौधरी भी दो बार 1993 व 2003 में विधायक बने। वर्तमान भाजपा विधायक कन्हैया लाल चौधरी भी 2013 और 2018 का चुनाव लगातार बडे़ मार्जिन से जीत दर्ज कर विधानसभा पहुंचने में कामयाब रहे हैं। एक-एक बार स्वतन्त्र पार्टी के जय सिंह ने 1962 का चुनाव तथा निर्दलीय रणबीर पहलवान ने भी 2008 का चुनाव जीता।
35 साल तक व्यास परिवार का दबदबा
मालपुरा की राजनीति में 35 साल तक व्यास परिवार का दबदबा रहा। पूर्व गृह मंत्री दामोदर लाल व्यास 1957 में निर्विरोध निर्वाचित हुए। कांग्रेस सरकार में गृह मंत्री रहे दामोदर लाल व्यास तीन बार विधायक रहे। कांग्रेस के दामोदर व्यास साल 1951 और 1967 में विधायक चुने गए थे। वहीं, कांग्रेस के दिग्गज नेता सुरेन्द्र व्यास मालपुरा से सर्वाधिक चार बार चुनाव विधायक रहे। व्यास ने 1972, 1980, 1990 में कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में और1998 में निर्दलीय प्रत्याशी के रुप में चुनाव जीता।
मालपुरा सीट की जातिगत समीकरण
मालपुरा विधानसभा क्षेत्र में कुल 2 लाख 63 हजार वोटर्स है। जातिगत आंकड़ों की बात करें तो यहां जाट समुदाय के करीब 60 हजार, अनुसूचित जाति के 46 हजार, गुर्जर 38 हजार, माली 24 हजार, ब्राह्मण 21 हजार, जाट 26 हजार, वैश्य-महाजन 13 हजार, राजपूत 13 हजार और मुस्लिम समुदाय के करीब 20 हजार वोटर्स है। ऐसे में यह तो साफ है कि जाट समुदाय के एक तरफा वोट पड़े तो बीजेपी ही वापस मालपुरा में परचम लहराएगी।
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