नई दिल्ली। कोरोना महामारी (Covid-19) को रोकने के लिए एमआरएनए (mRNA) वैक्सीन वैक्सीन के विकास से संबंधित खोजों के लिए वैज्ञानिक कैटेलिन कैरिको (Katalin Kariko) और ड्रू वीजमैन (Drew Weissman) को चिकित्सा का नोबेल पुरस्कार मिला है। नोबेल असेंबली के सचिव थॉमस पर्लमैन ने सोमवार को स्टाकहोम में पुरस्कार की घोषणा की। दोनों वैज्ञानिकों ने इस वैक्सीन के जरिए पूरी दुनिया में सोच बदल दी। वैक्सीन की वजह से दुनियाभर के वैज्ञानिक शरीर में होने वाले इम्यून सिस्टम के एक्शन और रिएक्शन को और ज्यादा समझ पाए थे।
दोनों वैज्ञानिकों ने वायरस को समझा…
जब पूरी दुनिया में कोरोना फैल चुका था। लोग अपनी जान बचाने को लेकर परेशान थे और इसका कहीं भी कोई इलाज नहीं था। तब वैज्ञानिक दवाएं खोज रहे थे। ऐसे में वैज्ञानिकों के ऊपर काफी दबाव था कि वो ऐसी वैक्सीन विकसित करें, जिससे तत्काल कोविड महामारी पर रोकथाम लगाई जा सके।
उस समय दोनों वैज्ञानिक कैटेलिन कैरिको और ड्रू वीजमैन ने वायरस के RNA को समझा। फिर इंसान के शरीर में होने वाले बदलावों को समझा। जेनेटिक लेवल पर RNA कैसे टूट रहा है।
कैसे कोविड-19 पर काम करती है mRNA वैक्सीन…
कोरोना वायरस कैसे शरीर में फैल रहा है। वह किस हिस्से पर ज्यादा असर कर रहा है। यह सब समझने के बाद दोनों वैज्ञानिकों ने mRNA वैक्सीन का फॉर्मूला विकसित किया। इसके बाद दोनों वैज्ञानिकों ने वैक्सीन बनाई। वैज्ञानिकों ने बताया कि असल में हमारी कोशिकाओं में मौजूद डीएनए को मैसेंजर आरएनए यानी एमआरएनए के रूप में बदला गया। इसे इन विट्रो ट्रांसक्रिप्शन कहते हैं। इस प्रोसेस को कैटेलिन 90 के दशक से विकसित कर रही थीं।
उसी समय ड्रू वीजमैन कैटेलिन के नए साथी बने। जो एक बेहतरीन इम्यूनोलॉजिस्ट हैं। इसके बाद दोनों ने मिलकर डेंड्रिटिक सेल्स की जांच-पड़ताल की। कोविड मरीजों की इम्यूनिटी देखी। फिर वैक्सीन से पैदा होने वाले इम्यून रेसपॉन्स को बढ़ाया। इन्होंने mRNA प्रोसेस से वैक्सीन को विकसित किया। जिसका नतीजा ये हुआ कि कोरोना से लोगों को राहत मिली।
नोबेल पुरस्कार पाने वाले वैज्ञानिकों के बारे में जानिए…
कैटेलिन कैरिको का जन्म 1955 में हंगरी के जोलनोक में हुआ था। उन्होंने 1982 में जेगेड यूनिवर्सिटी से पीएचडी की। इसके बाद हंगेरियन एकेडमी ऑफ साइंसेस में पोस्ट डॉक्टोरल फेलोशिप पूरा किया। इसके बाद उन्होंने फिलाडेल्फिया के टेंपल यूनिवर्सिटी में अपना पोस्ट डॉक्टोरल रिसर्च पूरा किया। फिर वो पेंसिलवेनिया यूनिवर्सिटी में असिसटेंट प्रोफेसर बन गईं। 2013 के बाद कैटेलिन BioNTech RNA फार्मास्यूटिकल कंपनी की सीनियर वाइस प्रेसिडेंट बनी। 2021 में इसी दौरान उन्होंने कोविड महामारी के दौरान कोरोना के mRNA वैक्सीन विकसित की।
साल 1959 में ड्रू वीजमैन का मैसाच्यूसेट्स में जन्म हुआ। उन्होंने 1987 में बोस्टन यूनिवर्सिटी से पीएचडी और एमडी की डिग्री हासिल की। इसके बाद हार्वर्ड मेडिकल स्कूल के बेथ इजरायल डिकोनेस मेडिकल सेंटर क्लीनिकल ट्रेनिंग करते रहे। 1997 में वीजमैन ने अपना रिसर्च ग्रुप तैयार किया। वो पेंसिलवेनिया यूनिवर्सिटी के पेरेलमैन स्कूल ऑफ मेडिसिन में रिसर्च शुरू किया। फिलहाल पेन इंस्टीट्यूट ऑफ आरएनए इनोवेशंस के डायरेक्टर हैं।
नोबेल पुरस्कार में कितना मिलेगा इनाम…
बता दें कि नोबेल पुरस्कार में 1.1 करोड़ स्वीडिश क्रोनर यानी (10 लाख डॉलर) का नकद इनाम दिया जाता है। यह धन पुरस्कार के संस्थापक स्वीडिश नागरिक अल्फ्रेड नोबेल की संपत्ति में से दिया जाता है। अल्फ्रेड नोबेल का सन 1896 में निधन हो गया था।
नोबेल पुरस्कार की राशि में की गई बढ़ोत्तरी…
बता दें कि स्वीडिश मुद्रा के गिरते मूल्य के कारण इस वर्ष पुरस्कार राशि में 1 मिलियन यानी 10 लाख क्रोनर की बढ़ोतरी की गई। पुरस्कार विजेताओं को अल्फ्रेड नोबेल की पुण्यतिथि पर 10 दिसंबर को समारोह में पुरस्कार प्राप्त करने के लिए आमंत्रित किया जाता है। प्रतिष्ठित शांति पुरस्कार अल्फ्रेड नोबेल की इच्छा के अनुसार ओस्लो में दिया जाता है, जबकि दूसरे पुरस्कार समारोह का आयोजन स्टॉकहोम में किया जाता है।