बर्मिंघम। दुनिया में चल रही आर्थिक मंदी की आहट के बीच दुनिया पर राज करने वाले ब्रिटेन का दूसरा सबसे बड़ा शहर बर्मिंघम (Birmingham) दिवालिया हो गया है। बर्मिंघम में हालात ऐसे हो गए है कि कर्मचारियों को कई महीनों से वेतन तक नहीं मिला है। ऐसे में दो जून की रोटी के भी लाले पड़ गए है। बर्मिंघम को चलाने वाले स्थानीय अधिकारियों ने सालाना बजट में कमी के कारण काउंसिल को दिवालिया घोषित किया और मंगलवार को धारा 114 नोटिस दायर किया है।
बर्मिंघम की सिटी काउंसिल (Bermingham City Council) के नोटिस के मुताबिक आर्थिक संकट से उबरने के लिए पर्याप्त रिसोर्स नहीं बचे हैं। इसके चलते 11 लाख से अधिक आबादी वाले शहर में जरूरी सेवाओं को छोड़कर बाकी खर्चों पर तत्काल प्रभाव से रोक लगा दी गई है। शहर पर 76 करोड़ पाउंड यानी भारतीय करेंसी के मुकाबले 95.6 करोड़ डॉलर तक की सैलरी बकाया है। शहर को इस साल 2023-24 में 8.7 करोड़ पाउंड का घाटा होने की आशंका है।
पीएम सुनक बोले-ऐसे हालात के लिए प्रशासन जिम्मेदार
बर्मिंघम सिटी के कंगाल होने के लिए भारतीय मूल के ब्रिटिश प्रधानमंत्री ऋषि सुनक ने प्रशासन को जिम्मेदार ठहराया है। ब्रिटिश पीएम के प्रवक्ता मैक्स ब्लेन ने कहा कि बर्मिंघम के लोगों के लिए यह बेहद चिंताजनक स्थिति है। सरकार ने पहले ही काउंसिल के लिए उसके बजट का लगभग 10 फीसदी अतिरिक्त धन उपलब्ध करा दिया है, लेकिन यह स्थानीय रूप से निर्वाचित परिषदों के लिए है कि वे अपने बजट का प्रबंधन स्वयं करें।
काउंसिल की उप नेता ने कहा-सत्तारूढ़ कंजर्वेटिव पार्टी
इधर, काउंसिल की उप नेता शेरोन थॉम्पसन ने इन हालातों के लिए ब्रिटेन की सत्तारूढ़ कंजर्वेटिव पार्टी को भी जिम्मेदार ठहराया है। उन्होंने कहा कि बर्मिंघम में कंजर्वेटिव सरकारों ने एक बिलियन पाउंड की फंडिंग छीन ली। जिसके चलते हालात बदतर हो गए और ऐसे में अब शहर में फिजूलखर्ची पर बैन लगा दिया गया है।