वॉशिंगटन। करीब 50 साल पहले सोवियत संघ ने अपने लैंडर चांद पर उतार दिए तभी अमेरिका सबसे पहले इंसानों को भेजने में कामयाब हो गया। 54 साल पहले इंसान ने चांद पर कदम रख दिया था। इसके पांच दशक बाद अब भारत ने भी अपना टार्गेट चांद को बनाया और 23 अगस्त को चांद के साउथ पोल पर लैंडर उतार दिया, जो आज तक कोई नहीं कर सका था। अब हर भारतीय के जेहन में सवाल है कि क्या कभी भारत चांद पर इंसानों को पहुंचा सकेगा? इसका जवाब अहमदाबाद में स्पेस एप्लीकेशन सेंटर के निदेशक नीलेश देसाई ने शुक्रवार को दिया। उन्होंने कहा कि चंद्रमा पर मानव मिशन भेजने में कम से कम दो से तीन दशक लग सकते हैं।
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4 अंतरिक्ष यात्री ले जाएगा आर्टेमिस-2
नासा 2024 के अंत तक आर्टेमिस-2 मिशन भेजेगा, जिसमें 4 अंतरिक्ष यात्रियों को चांद तक भेजा जाएगा। यह चांद का चक्कर लगा कर वापस आ जाएगा। इसमें आठ-दस दिन लगेंगे और ओरियन मॉड्यूल के लाइफ सपोर्टसिस्टम और इसकी क्षमता का मूल्यवान डेटा इकट्ठा किया जाएगा। तीसरा आर्टेमिस मिशन 30 दिनों का होगा, जिसके तहत इंसानों को चांद पर भेजा जाएगा। स्पेसएक्स की तरफ से एक ह्यूमन लैंडिंग सिस्टम डिजाइन किया जा रहा है, जिससे इंसानों को चांद पर उतारा जाएगा।
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नासा अब फिर इंसानों को भेजेगा
अब नासा एक बार फिर 50 साल पुरानी कहानी दोहराना चाहता है। उसने साल 2025 तक इंसानों को एक बार फिर चांद पर पहुंचाने का निश्चय किया है। इसके लिए नासा ने आर्टेमिस प्रोग्राम की शुरुआत की है। इसमें तीन मिशन चलाए जाएंगे। सबसे पहला मिशन आर्टेमिस-1 है जो 2022 में पूरा हो गया है। इसके तहत खाली ओरायन कैप्सूल को चांद तक भेजा गया। ये कैप्सूल चांद का चक्कर लगा कर धरती पर वापस आ गया। इसने 4,50,000 किमी की यात्रा की थी और 130 किमी की ऊंचाई से चांद का चक्कर लगाया था।