जयपुर: राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के ‘कोई भूखा ना सोए’ के संकल्प के साथ प्रदेश में शुरू की गई इंदिरा रसोई योजना लगातार पिछले 3 सालों से गरीब एवं जरूरतमंदो का पेट भरने का सपना साकार कर रही है. राज्य के सभी नगर निकायों में चल रही इंदिरा रसोई गरीब एवं जरूरतमंदो का पेट भरने के साथ-साथ अब देसी-विदेशी सैलानियों को भी पसंद आ रही है जहां लगातार विदेशी सैलानी यहां खाना खाने पहुंचते हैं और भोजन के स्वाद, पौष्टिकता और गुणवत्ता की तारीफ करते नहीं थकते.
मालूम हो कि इंदिरा रसोई योजना के तहत महज 8 रुपए में भरपेट पौष्टिक भोजन दिया जाता है. वहीं ताजा आंकड़ों के मुताबिक प्रदेश भर में सोमवार दोपहर तक इंदिरा रसोई से कुल 13 करोड़ 4 लाख से ज्यादा थालियां परोसी जा चुकी है.
बता दें कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने अगस्त 2020 में प्रदेश के सभी नगरीय निकायों में 358 रसोइयों के माध्यम से इंदिरा रसोई योजना का शुभारंभ किया था. वहीं रसोइयों में मिल रहे खाने को लेकर लोगों में बढ़ती लोकप्रियता के बाद इनकी संख्या में बढ़ोतरी की गई थी. इसके अलावा हाल में बजट घोषणा 2023-24 के अनुसार ग्रामीण क्षेत्रों में भी अब 1 हजार रसोइयां खोली जाएंगी.
विदेशी सैलानियों को लगा घर जैसा खाना
हाल में मॉरिशियस से जयपुर घूमने आई एक विदेशी सैलानी ने बताया कि उन्होंने पहले होटल में खाना खाया था, लेकिन जलमहल की पाल पर घूमते समय उन्हें इंदिरा रसोई का बोर्ड नजर आया जिसके बाद जब इंदिरा रसोई में भोजन किया तो यहां का खाना उन्हें पौष्टिक और घर जैसे स्वाद वाला लगा.
उन्होंने बताया कि मात्र 8 रुपए में भरपेट खाना मिलने पर उन्हें आश्चर्य हुआ और यह जानकर प्रसन्नता हुई कि यह रसोई गरीबों और मजदूरी पेशा लोगों के लिए सम्मानपूर्वक पेट भरने में सहायक सिद्ध हो रही है. वहीं इंदिरा गांधी रसोई में ‘अतिथि देवो भव:’ की परंपरा निभाते हुए रसोई में आने वाले हर एक व्यक्ति को आदर के साथ बिठाकर भोजन करवाया जाता है.
गुणवत्ता पर रखा जाता खास ध्यान
बता दें कि रसोई में भोजन की गुणवत्ता को लेकर बनाने वालों की ओर से विशेष ध्यान रखा जाता है जहां आमजन को संतुलित आहार देते हुए प्रति थाली 100 ग्राम दाल, 100 ग्राम सब्जी, 250 ग्राम चपाती और अचार दिया जाता है. मालूम हो कि गुणवत्ता को बनाए रखने पर जोर देते मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने बीते दिनों कई बार इंदिरा रसोइयों का दौरा किया था और वह खुद भी यहां भोजन कर चुके हैं.