जयपुर: राजधानी के एक नामी प्राइवेट अस्पताल की लापरवाही का मामला गरमाया हुआ है जहां शहर के फोर्टिस हॉस्पिटल पर एक मरीज की हार्ट सर्जरी के दौरान लापरवाही का आरोप लगा है जिसके 12 दिन बाद मरीज की तबीयत लगातार बिगड़ गई और मौत हो गई. वहीं मृतक का परिवार जब अंतिम संस्कार के 3 दिन बाद अस्थियां लेने श्मशान पहुंचा तो वहां अस्थियों में उन्हें एक सर्जिकल कैंची मिली जिसके बाद हंगामा हो गया. मृतक के परिजनों का आरोप है कि डॉक्टरों ने ऑपरेशन के दौरान सर्जिकल कैंची उनके शरीर में ही छोड़ दी.
हालांकि हॉस्पिटल ने सभी आरोपों को खारिज कर दिया है. वहीं मृतक के परिवार की ओर से अब जवाहर सर्किल थाने में एक लिखित शिकायत दी गई है. इसके अलावा स्वास्थ्य मंत्री परसादी लाल मीणा ने मामले की जांच के लिए विभाग ने तीन सदस्यों की एक जांच समिति का गठन भी किया है.
बता दें कि फोर्टिस हॉस्पिटल की इस लापरवाही की खबर को ‘सच बेधड़क’ ने मुखरता से उठाया था और मृतक के भतीजे ने चैनल से खास बातचीत में कहा कि अस्पताल प्रशासन की लापरवाही से हमनें हमारे परिजन को खो दिया.
30 मई को ऑपरेशन, 12 जून को मौत
दरअसल 74 साल के मृतक उपेन्द्र की तबियत खराब होने के चलते 29 मई को उन्हें फोर्टिस अस्पताल ले जाया गया जहां 30 मई की रात को डॉक्टरों की एक टीम ने उनका हार्ट का सफलता पूर्वक ऑपरेशन किया जिसके बाद रात डेढ बजे उन्हें ऑपरेशन थिएटर से बाहर निकाला गया. वहीं इसके बाद अलसुबह 4 बजे फिर उन्हें ऑटी में लेकर गए जिसके बारे में पीड़ित के परिजनों को कोई भी जानकारी नहीं दी गई.
मृतक के परिजनों के मुताबिक इसके बाद 31 मई को पेशेंट को छुट्टी दी गई जहां दो दिन बाद उपेंद्र की तबियत बिगड़ने लगी तो डॉक्टर आनाकानी करने लगे और धीरे-धीरे सब ठीक होने का आश्वासन दिया. लेकिन 12 जून को उनकी तबियत ज्यादा बिगड़ गई जिसके बाद देर रात उनकी मौत हो गई.
अस्थियों में मिली थी सर्जिकल कैंची
वहीं की उपेन्द्र मौत के 3 दिन बाद जब उनके परिजन शमशान घाट में अस्थियां लेने पहुंचे तो वहां अस्थियों के बीच उनकी नजर एक सर्जिकल कैंची पर पड़ी जिसके बाद उनके पैरों तले जमीन खिसक गई. वहीं परिजनों ने तुरंत मामले की जानकारी जवाहर सर्किल पुलिस को दी जिसके बाद पुलिस ने शमशान घाट पहुंचकर मृतक की राख और अस्थियों के बीच से कैंची की वीडियोग्राफी की.
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एक्शन में आया स्वास्थ्य विभाग
इधर फोर्टिस अस्पताल प्रशासन की ओर से मृतक के परिजनों के सभी आरोपों को खारिज कर दिया गया है. अस्पताल प्रशासन का कहना है कि उनके पास मरीज का पूरा रिकॉर्ड है और ऑपरेशन के बाद मरीज के शरीर के अंदर कोई भी चीज नहीं छोड़ी गई. वहीं मामले के तूल पकड़ने के बाद स्वास्थ्य मंत्री परसादी लाल मीणा ने जांच के लिए विभाग ने तीन सदस्यों की एक जांच कमेटी का गठन किया है.
यह कमेटी अगले 3 दिनों में अपनी रिपोर्ट पेश करेगी. इस कमेटी में निदेशक जन स्वास्थ्य रवि प्रकाश माथुर, अतिरिक्त निदेशक अस्पताल प्रशासन सुशील कुमार परमार और मुख्य चिकित्सा और स्वास्थ्य अधिकारी जयपुर द्वितीय बीएल मीणा को शामिल किया गया है.