जयपुर। एनआईटी-लीडरशिप फॉर एकेडेमिशियंस प्रोग्राम (एन-लीप) पर एमएनआईटी में आयेाजित कार्यशाला के दूसरे दिन शिक्षाविदों ने एनआईटी सहित शिक्षा के संपूर्ण ढांचे के संबंध में चर्चा की। एनआईटी उत्तराखंड के निदेशक प्रो. ललित कुमार अवस्थी ने आईपीआर, अनुसंधान और परामर्श के व्यापक पहलुओं पर अपनी बात रखी। उन्होंने एनआईटीज में एमटेक छात्रों का ड्रॉप आउट होना, अच्छी गुणवत्ता वाले शिक्षकों का चयन, संस्थान की आर्थिक स्थिति, टीचिंग और नॉन टीचिंग स्टाफ की टीम में सामंजस्य जैसी चुनौतियों पर चर्चा की।
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रैंकिं ग से नहीं खुशी से आंकें क्वालिटी
एमएनएनआईटी इलाहाबाद के निदेशक प्रो.रमा शंकर वर्मा ने एनआईआरएफ की जानकारी दी। उन्होंने कहा कि खुशी, काम के माध्यम से संस्थान की पहचान होनी चाहिए, रैंकिं ग से नहीं। एनआईटी सिक्किम के निदेशक प्रो. एम सी गोविल ने 5R-राइट टाइम-क्वालिटी-प्लेस- प्राइज और राइट क्वांटिटी पर विचार रखे।
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संकाय संबंध सुधारने को बनें टी-क्लब
एनआईटी वारंगल के निदेशक प्रो. विद्याधर सुबुद्धि ने कहा कि एक समग्र प्रणाली और निर्णय एक संस्थान को रैंकिंग प्रणाली का पीछा करने की तुलना में बेहतर स्थिति में ले जा सकता है। एमएनआईटी निदेशक प्रो. एनपी पाढ़ी ने हर विभाग में टी-क्लब होने चाहिएं, इससे संकाय सदस्यों के बीच संबंध मधुर हो सकते हैं।