(निरंजन चौधरी): जयपुर। प्रदेश में मंदिर के जरिए सामाजिक बदलाव और सामाजिक समरसता को लेकर पहली बार राज्य सरकार ने पहल की है। देवस्थान विभाग के मंदिरों में दलित और पिछड़े वर्ग के लोग भी भगवान की सेवा-पूजा करेंगे। राज्य सरकार की तरफ से दी गई यह नियुक्ति समाज में आमूलचूल परिवर्तन की तरफ इशारा कर रही है। देश में जहां एक तरफ दलितों को मंदिर में प्रवेश करने को लेकर विवाद की खबरें सामने आती है, वहीं प्रदेश के देवस्थान विभाग के मंदिरों में सामाजिक समरसता की घंटी और घोष सुनाई देंगे। इससे बड़ा सामाजिक बदलाव भी आएगा।
जयपुर को मिले सर्वाधिक 32 पुजारी
देवस्थान विभाग की ओर से राजधानी जयपुर में सर्वाधिक 32 पुजारी लगाए गए हैं। इनमें 4 पुजारी दलित समुदाय, 2 पिछड़ा वर्ग के अलावा बाकी ओबीसी और सामान्य वर्ग के हैं। यहां अधिकतर पुजारियों ने 8 जून तक जयपुर स्थित कार्यालय पर ज्वाइन भी कर लिया है। सभी पुजारियों को आगामी समय में किए जाने वाली पूजा-पाठ समेत मंदिर खोलने से लेकर भोग लगाने से जुड़े कार्यों की ट्रेनिगं दी जा रही है। ट्रेनिगं के बाद सभी पुजारियों को मंदिरों में भेज दिया जाएगा, जहां सभी पूजा अर्चना करते हुए नजर आएंगे।
2014 में भर्ती, नौ साल बाद नियुक्ति
देवस्थान विभाग की ओर से 2014 में निकाली गई भर्ती में आधा दर्जन से अधिक एससी और एसटी समुदाय के लोगों का पुजारी के पद पर चयन हुआ है। अब ये प्रदेशभर के कई मंदिरों में पूजा-पाठ करेंगे और वहां की व्यवस्थाओं को संभालेंगे। देवस्थान विभाग की ओर से 65 पदों पर भर्ती की गई हैं। इनमें संभाग मुख्यालय पर 7 मैनेजर, मंदिरों के लिए 47 पुजारी और 11 सेवागीर शामिल हैं। इस भर्ती को पूरा होने में करीब 9 वर्ष का समय लग गया। इधर नौ साल के इंतजार के बाद मिली ज्वाइनिगं से पुजारियों के चेहरे खिल उठे.
इससे पहले 1989 में हुई थी पुजारियों की भर्ती
देवस्थान विभाग की ओर से 2014 से पहले वर्ष 1989 में पुजारियों की भर्ती की गई थी। इसके अलावा 2022 सितंबर में परिणाम जारी होने के बाद प्रतिभागियों को जून, 2023 मेंज्वाइनिंग दी गई है। गौरतलब है कि राजधानी समेत प्रदेशभर के मंदिरों में पुजारियों की कमी के चलते अधिकतर मंदिर समय पर नहीं खुलते थे। इसके अलावा यहां मंदिरों में भोग और आरती भी समय पर नहीं होती थी। अब नए पुजारियों की ज्वाइनिंग के बाद प्रदेश के अधिकतर मंदिरों की दशा सुधरेगी और वहां भक्त दर्शनों के लिए पहुंचेंगे।
इनका कहना है…
एससी कैंडिडेट पुजारी दीपिका तंवर ने कहा कि संविधान में सभी को समानता का अधिकार है। भर्ती का परिणाम भले ही देरी से आया हो, मगर अब भगवान की सेवा का मौका मिलेगा। इससे अच्छा सौभाग्य क्या ही हो सकता है। मैंने शिक्षक भर्ती में भी भाग लिया है। वहां मेरा सलेक्शन भी हो जाएगा तो भी मैं मंदिर में पुजारी के पद पर ही काम करुंगी। ब्राह्मण कैंडिडेट पुजारी मनोज कुमार शर्मा का कहना है कि यह बहुत अच्छी पहल है। इससे समानता का भाव आएगा और दलित और सामान्य वर्ग के बीच की खाई को दूर किया जा सकेगा।