देश में राष्ट्रपति ( President Of India ) को लेकर एक नई बहस छिड़ी हुई है। प्रमुख राजनीतिक विपक्षी दल राष्ट्रपति को एक ‘रबड़ स्टैंप’ बता रहे हैं। विपक्ष के राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार यशवंत सिन्हा ( Yashwant Sinha ) ने तो यहां तक कह दिया था कि देश को रबड़ स्टैंप नहीं चाहिए। आखिर राष्ट्रपति ( President Of India ) जैसे देश के सर्वोच्च पद की इस रबड़ स्टैंप से तुलना क्यों की जा रही है? क्या राष्ट्रपति के अधिकार मात्र रबड़ स्टैंप तक सीमित रहते हैं? उसके लिए आपको देश के राष्ट्रपति के अधिकारों (Power Of President) के बारे में जानना बेहद जरूरी है। तो आइए जानते हैं भारत जैसे सबसे बड़े लोकतांत्रिक देश में राष्ट्रपति के पास कौन सी शक्तियां हैं, उनके क्या काम होते हैं?
देश के संविधान के अनुसार भारत के लोकतंत्र के 3 मजबूत स्तंभ हैं। कार्यपालिका, न्यायपालिका, विधायिका। मीडिया को अघोषित स्तंभ माना गया है। इनमें से कार्यपालिका की शक्ति राष्ट्रपति में निहित होती है। राष्ट्रपति राज्य का अध्यक्ष और संघीय कार्यपालिका का अध्यक्ष होता है। राष्ट्रपति को देश के प्रथम नागरिक की उपाधि दी गई है। राष्ट्रपति की शक्तियों का असल इस्तेमाल उसके नाम पर मंत्रिपरिषद करती है।
इन बेहद अहम नियुक्तियों का अधिकार है राष्ट्रपति के पास
संविधान के अनुच्छेद 74 के मुताबिक राष्ट्रपति को सलाह देने के लिए प्रधानमंत्री ( Prime Minister ) के नेतृत्व में एक मंत्रिपरिषद होगा। जिसकी सलाह पर राष्ट्रपति अपनी शक्तियों का प्रयोग करेगा।
राष्ट्रपति ( President ) प्रधानमंत्री की नियुक्ति करता है और उसके परामर्श से अन्य मंत्रियों की नियुक्ति करता है।
राष्ट्रपति सुप्रीम कोर्ट, हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस और अन्य जस्टिस की नियुक्ति करता है।
राष्ट्रपति एटार्नी जनरल, CAG, CEC, यूपीएससी के चेयरमैन की नियुक्ति भी करता है।
संघीय क्षेत्रों के उपराज्यपालों, दूसरे देशों में भारत के राजदूतों औऱ उच्चायोगों की नियुक्ति का अधिकार भी राष्ट्रपति के पास है।
भारत के राष्ट्रपति तीनों सेनाओं के सर्वोच्च सेनापति होते हैं।
इन तीनों सेनाओं के अध्यक्षों को भी राष्ट्रपति ही नियुक्त करते हैं।
सभी कूटनीतिक कार्य, अंतर्राष्ट्रीय समझौते और संधियां भी राष्ट्रपति के नाम पर किए जाते हैं।
संसद का अभिन्न अंग होता है राष्ट्रपति
इसके अलावा राष्ट्रपति के पास अनेक विधायी शक्तियां हैं। राष्ट्रपति संसद का विभिन्न अंग माना जाता है। राष्ट्रपति प्रधानमंत्री की सलाह पर संसद के निचले सदन यानि लोकसभा को भंग करने की भी शक्ति रखता है। संसद से पारित हर बिल को कानून का रूप तभी मिल पाता है जब उस पर राष्ट्रपति के हस्ताक्षर हों। उनकी स्वीकृति के बिना कोई भी बिल कानून नहीं बन सकता। इसके अलावा जब संसद का अधिवेशन नहीं चलता तो राष्ट्रपति अध्यादेश जारी कर सकता है। यह अध्यादेश कानून की शक्ति रखता है।
राष्ट्रपति ( President ) को कुछ विशेषाधिकार और स्वतंत्रताएं प्राप्त हैं। राष्ट्रपति रहते हुए वह अपने किए हुए कार्यों के लिए किसी भी अदालत के समक्ष जवाबदेह नहीं होता है। उसके कार्यकाल के दौरान उस पर आपराधिक मुकदमा नहीं चलाया जा सकता।
राष्ट्रपति किसी सुप्रीम कोर्ट और हाइकोर्ट से सजा प्राप्त किसी अपराधी की सजा कम कर सकता है या माफ कर सकता है। यहा तक कि मृत्युदंड प्राप्त किसी अपराधी की सजा को भी माफ कर सकता है। लेकिन केंद्रीय गृहमंत्रालय के सुझाव पर ही यह कार्य हो सकता है। इसके अलावा राष्ट्रपति को कुछ आपातकालीन अधिकार भी प्राप्त है। देश में ऐसी असामान्य स्थिति पैदा होने पर जब संवैधानिक कार्य भी न हो पाए, ऐसी स्थिति में राष्ट्रपति देश में आपातकाल लगा सकता है।
दूसरे देश में क्या हैं राष्ट्रपति के अधिकार
लोकतंत्र के संदर्भ में भारत, ब्रिटेन और जर्मनी में संसदीय शासन प्रणाली को अपनाया जाता है। जबकि अमेरिका में अध्यक्षीय प्रणाली आधारित है। यहां पर एकात्मक शासन प्रणाली है। यहां शासन व्यवस्था के सारे अधिकार राष्ट्रपति के पास है, हालांकि यहां पर राष्ट्रपति पर महाभियोग भी लग सकता है। यहां राष्ट्रपति लोगों को माफ या नियुक्त कर सकता है। लेकिन इसके लिए सीनेट की सहमति लेनी होती है। लेकिन वह अपनी तरफ से कोई विधेयक पेश नहीं कर सकता है। यहां का राष्ट्रपति विधेयक पर हस्ताक्षर करने से इनकार कर सकता है। यह उसका वीटो अधिकार होता है।