बोस्टन। टाइटैनिक जहाज का मलबा देखने के लिए पनडुब्बी टाइटन में गए यात्रियों की मौत की खबर ने हर किसी को झकझोर कर रख दिया। पनडुब्बी हादसे पर हॉलीवुड फिल्म ‘टाइटैनिक’ के निर्देशक जेम्स कैमरून ने दावा किया कि ओशियन गेट कंपनी को पत्र लिखकर पहले ही चेतावनी दी थी। इसमें कहा गया था कि वे जो कर रहे थे वो बहुत खतरनाक है। टाइटैनिक का मलबा देखने केलिए खुद 33 बार गहरे समुद्र में उतर चुके फिल्म निर्माता ने कहा कि यह ‘बहुत विचित्र’ है कि 100 साल से अधिक समय बाद उसी स्थान पर वैसी ही एक घटना हुई।
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उन्होंने कहा कि टाइटैनिक के कैप्टन को बार-बार आगे बर्फ के बारे में चेतावनी दी गई थी, लेकिन फिर भी टाइटैनिक अपनी पूरी स्पीड से आगे बढ़ता रहा और हादसे में कई लोगों ने जान गंवा दी। ओशियन गेट कंपनी ने भी इसी तरह चेतावनियों को अनुसना किया और इसका नतीजा हम सबके सामने है। 100 साल बाद ठीक उसी जगह वैसा ही हादसा हैरान कर देने वाला है। उन्होंने कहा कि जेम्स ने 14 और 15 अप्रैल, 1912 को हुई टाइटैनिक दुर्घटना और पनडुब्बी हादसे के बीच की
समानताओं से हैरान हूं।
पनडुब्बी में सवार थे अरबपति
टाइटन पनडुब्बी में सवार सभी पांच लोगों की मौत हो गई। पनडुब्बी ऑपरेट करने वाली कं पनी ओशियन गेट ने इसकी पुष्टि की है। पनडुब्बी में सवार सभी लोग डूबे हुए टाइटैनिक जहाज का मलबा देखने के लिए गहरे समुद्र में गए थे, जहां इनका संपर्क टूट गया था। सर्च टीम को टाइटैनिक जहाज के पास लापता पनडुब्बी का मलबा मिला। पनडुब्बी का मलबा मिलने के बाद टीम जांच करने में जुट गई है। टाइटन पनडुब्बी में सवार सभी पांच लोग जाने-माने अरबपति थे। इसमें ओशियनगेट के सीईओ स्टॉकटन रश, शहजादा दाऊद और उनके बेटे सुलेमान दाऊद, हामिश हार्डिंग, और पॉल-हेनरी नार्जियोलेट शामिल थे।
अमेरिकी नौसेना ने सुना था तेज धमाका
टाइटैनिक के डूबने के स्थल से लगभग 500 मीटर दर समुद्र तल पर पनडुब्बी के पांच बड़े-बड़े टुकड़ेमिले हैं। इनका मिलना पहले दिए गए इन समाचारों से मेल खाता है कि टाइटन जब पानी में उतरा था, उसी दिन अमेरिकी नौसेना को एक विस्फोट जैसा जोरदार धमाका सुनाई दिया था। नौसेना के समुद्र तल सेंसर ने उस क्षेत्र में विस्फोट का पता लगाया था, जहां पनडुब्बी का अपने मुख्य पोत के साथ संपर्क टूटा था।
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सर्च ऑपरेशन में आई थी काफी दिक्कतें
अचानक लापता होने वाली इस पनडुब्बी को तलाश करना आसान नहीं था। सर्च ऑपरेशन में सबसे ज्यादा दिक्कत सर्च टीम को पानी में विजिब्लिटी की रही। पानी में नीचे ज्यादा दूर तक रौशनी नहीं जा पाती है, जबकि पनडुब्बी करीब 3 किलोमीटर नीचे थी, ऐसे में सर्च टीम को साफ देखने में काफी परेशानी हो रही थी। गौरतलब है कि टाइटैनिक का मलबे तक पहुंचने, वहां घूमने और फिर वापस आने तक का टूर करीब आठ घंटों का रहता है। इसमें दो घंटे टाइटैनिक के मलबे के पास तक जाने में खर्च होते हैं। चार घंटे पनडुब्बी मलबे के आसपास का नजारा दिखाती हैं। इसके बाद लौटने में भी करीब दो घंटे लग जाते हैं।