नई दिल्ली। राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का दिल्ली दौरा इस बार कई मायनों में महत्वपूर्ण था। मुख्यमंत्री गहलोत जिस तरह अचानक दिल्ली पहुंचे और उसके बाद पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे समेत कई प्रमुख नेताओं के साथ लगातार बैठक की। साथ ही, अपने नेता राहुल गांधी के बचाव में केंद्र की मोदी सरकार पर मौका मिलने पर जमकर बरसते रहे। इससे साफ हो गया है कि गांधी परिवार के असली संकट मोचक वही है। दिल्ली पुलिस जब राहुल गांधी से पूछताछ के लिए 12 तुगलक लेन पहुंची तो मुख्यमंत्री गहलोत वहां पर मौजूद रहे।
केंद्र के खिलाफ हमेशा रहे फ्रंट पर
इस घटनाक्रम के दौरान गहलोत जब भी मीडिया के सामने आए तो उनके तेवर से साफ था कि केंद्र सरकार की कार्रवाई से वे भारी गुस्से में है। गहलोत गांधी परिवार के पक्ष में इससे पूर्व भी कई बार मोर्चा संभाल चुके हैं। जी-23 के नेताओ का मामला रहा हो या महंगाई, ईडी की पूछताछ का गहलोत कें द्र पर हमले के लिए फ्रंट पर रहे।
विरोधियों की सभी चालें हुई विफल
पिछले साल 25 सितंबर की घटना के बाद प्रदेश में उनके विरोधियों के गुट ने गहलोत और गांधी परिवार के बीच दूरी बनाने की तमाम कोशिशें की। आए दिन सोशल और अन्य मीडिया में उनको हटाने को लेकर तमाम खबरें चलाई और चलवाई। उनको कमजोर करने के तमाम प्रयास किए गए, लेकिन गहलोत बिल्कुल नहीं डिगे। अपने काम को आगे बढ़ाते रहे। भारत जोड़ो यात्रा के दौरान राहुल गांधी सरकार के फै सलों से इतने प्रभावित हुए कि उन्होंने मुख्यमंत्री गहलोत की सराहना करने का मौका नहीं छोड़ा और उन पर अपना पूरा भरोसा जताया।
आलाकमान ने 2023 का चेहरा बताया गहलोत को
हाईकमान द्वारा भरोसा जताने के बाद भी विरोधी बाज नहीं आए। इस बीच, मुख्यमंत्री की घोषणाओं और बजट के बाद आलाकमान ने खुलकर गहलोत को 2023 का चेहरा बता विरोधियों को चुप रहने की हिदायत दी। इधर, राहुल गांधी के मामले में गहलोत जिस तरह सक्रिय रहे, इससे साफ संदेश गया है कि गांधी परिवार के लिए गहलोत आज भी उतने ही भरोसे मंद हैं, जितने 25 सितंबर की घटना से पहले थे। एक तरह से विरोधियों की साजिश का पटाक्षेप हो गया है। इसमें कोई दो राय नहीं है कि पार्टी के अनुभवी और पुराने नेता भी मानते हैं कि कांग्रेस में गांधी परिवार के सबसे विश्वसनीय आज भी गहलोत ही है।