सरदारशहर में भाजपा से अशोक पिंचा ही उम्मीदवार होंगे। आज पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व में 5 राज्यों के उपचुनाव के उम्मीदवारों का नाम घोषित कर दिया है। इसमें सरदारशहर से अशोक पिंचा के नाम की घोषणा कर दी है। अशोक पिंचा सरदारशहर के विधायक रह चुके हैं और साल 2018 में भी चुनाव लड़ चुके हैं।
62 वर्षीय अशोक पिंचा जैन समाज से आते हैं और उनका सरदारशहर में एक बड़ा मेडिकल स्टोर है। सरदारशहर के पिंचों की बास में उनका निवास है। अशोक पिंचा जनसंघ के जमाने से पार्टी और विचारधारा से जुड़े। साल 2008 के विधानसभा चुनाव में अशोक पिंचा सरदारशहर सीट से खड़े हुए थे। उनके सामने कांग्रेस के दिवंगत भंवरलाल शर्मा मैदान में उतरे थे। उस वक्त अशोक पिंचा ने 9 हजार 774 वोटों से यह चुनाव जीत लिया था। उस वक्त भंवरलाल शर्मा को 64 हजार 128 वोट तो अशोक पिंचा को 73 हजार 902 मत मिले थे।
साल 2008 में जीते, 2013 और 18 में हारे
इसके बाद अशोक पिंचा 2013 तक विधायक रहे। इसके बाद साल 2013 के विधानसभा चुनाव में फिर दोनों पार्टियों ने इन्हीं उम्मीदवारों को दोबारा मैदान में उतारा लेकिन इस बार जीत भंवरलाल शर्मा की हुई। इस बार भंवरलाल 7 हजार 57 वोटों से जीते और अशोक पिंचा 79 हजार 675 वोट पाकर हार गए। इसके बाद फिर से 2018 में भी चुनाव इन्हीं दोनों ने लड़ा। लेकिन इस बार भी जीत का ताज भँवरलाल के सिर सजा और वे 16 हजार 816 वोटों से जीत गए।
इस बार कौन बनेगा सरदारशहर का ‘सरदार’
लेकिन इस बार क्या अशोक पिंचा सरदारशहर की इस जीत को दोबारा हासिल कर पाएंगे। क्योंकि इसकी प्रबल संभावना जताई जा रही है कि भंवरलाल के निधन के बाद उनके बेटे अनिल शर्मा को टिकट दिया जाएगा। खबरें यह भी आ रही हैं कि सरदारशहर में सहानूभूति के चलते इस बार कांग्रेस की जीत मानी जा रही है। लेकिन इस सवाल के जवाब में भाजपा का कहना है कि सरदारशहर में कोई सहानूभूति की लहर नहीं है। यहां इस बार भाजपा की ही जीत होगी। अब एक बार सरदारशहर की सीट से चुनाव बेहद दिलचस्प हो गया है।
ये है जातीय समीकरण
सरदारशहर में इस बार जीत किसकी होगी यह तो यहां की जनता तय करेगी। बता दें कि सरदारशहर विधानसभा क्षेत्र में सबसे अधिक करीब 60 हजार जाट और 50 हजार एससी के, जिनमें मेघवाल और नायक वोटर्स हैं। वहीं 15 हजार राजपूत, 20 हजार ब्राह्मण,15 हजार मुस्लिम समुदाय के वोटर्स यहां अपने मताधिकार का प्रयोग करेंगे।