उत्तरकाशी। उत्तराखंड के उत्तरकाशी में यमुनोत्री हाईवे के सिलक्यारा बैंड के पास निर्माणाधीन सिलक्यारा सुरंग ढहने से फंसे 41 मजदूरों को निकालने के लिए चलाए जा रहे रेस्क्यू ऑपरेशन का 9वां दिन है। हालांकि उन तक खाना व ऑक्सीजन पहुंचाया जा रहा है, लेकिन एक सप्ताह बाद भी उन्हें बाहर नहीं निकाला जा सका है।
वहीं 41 मजदूरों को लेकर रेस्क्यू अभियान का जिम्मा 5 एजेंसियों के पास है। इन एजेंसियों ने श्रमिकों को निकालने के लिए 5 प्लान बनाए हैं। रेस्क्यू अभियान के दौरान ऑगर मशीन से ड्रिलिंग के दौरान सुरंग चटकने की आवाज आ रही हैं। जिसके बाद यहां काम कर रहे मशीन ऑपरेटर व मजदूरों में डर का माहौल है। उधर, केंद्र सरकार ने सभी एजेंसियों से अब तक उनके द्वारा उठाए गए कदमों के बारे में जानकारी मांगी है। एनएचआईडीसीएल के अधिकारियों का कहना है कि यहां ऐसी आवाजें कई बार सुनी गई हैं। इन आवाजों से यहां दोबारा भूस्खलन की प्रबल संभावना जताई गई है। इसे खतरे की घंटी माना जा रहा है।
रेस्क्यू अभियान के तहत यहां खाने व ऑक्सीजन की सप्लाई वाली पाइपलाइन को सुरक्षित स्थान पर लाकर ह्यूम पाइपों से कवर किया गया है। जिनमें घुटनों के बल पहुंचकर अंदर फंसे मजदूरों से बातचीत की जा रही है। वहीं मजदूरों तक लगातार खाने पीने की चीजें पहुंचाई जा रही हैं। इन मजदूरों को मल्टीविटामिन, अवसादरोधी दवाओं के साथ साथ सूखे मेवे और मुरमुरे भेजे जा रहे हैं। ताकि ये मजदूर टनल में सुरक्षित बने रहें। मजदूरों को ये सब एक चार इंच के पाइप के द्वारा भेजा जा रहा है। इसके अलावा टनल में बिजली चालू है, ऐसे में यह गनीमत है कि सुरंग के जहां मजदूर फंसे हैं, वहां रोशनी है। इसके अलावा एक पाइपलाइन भी है, इससे मजदूरों को पानी भी मिल पा रहा है।
9 दिन से सुरंग में फंसे हहै 41 मजदूर…
बता दें कि उत्तरकाशी जिला मुख्यालय से करीब 30 किलोमीटर की दूरी पर स्थित सिलक्यारा सुरंग केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी चारधाम ‘ऑल वेदर सड़क’ (हर मौसम में आवाजाही के लिए खुली रहने वाली सड़क) परियोजना का हिस्सा है। ब्रह्मखाल-यमुनोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग पर बन रही यह सुरंग 4.5 किलोमीटर लंबी है। 12 नवंबर को बड़ी दिवाली के दिन सुरंग का एक हिस्सा ढह गया। इससे 41 मजदूर सुरंग के अंदर ही फंस गए। इन्हें निकलने के लिए 9 दिन से रेस्क्यू अभियान जारी है, लेकिन अभी तक कोई खास सफलता नहीं मिली।
सड़क, परिवहन और राजमार्ग सचिव अनुराग जैन ने बताया कि पहले दिन से ही मजदूरों तक मल्टीविटामिन, अवसादरोधी दवाएं और सूखे मेवे भेजे जा रहे हैं। उन्होंने बताया कि सुरंग के अंदर दो किमी हिस्से में पानी और बिजली है। इससे पहले केंद्र सरकार ने शनिवार को एक उच्च स्तरीय बैठक की थी, जिसमें श्रमिकों को बचाने के लिए पांच विकल्पों पर विभिन्न एजेंसियों के साथ चर्चा की गई। एनएचआईडीसीएल (राष्ट्रीय राजमार्ग और अवसंरचना विकास निगम लिमिटेड), ओएनजीसी (तेल एवं प्राकृतिक गैस निगम), एसजेवीएनएल (सतलुज जल विद्युत निगम लिमिटेड), टीएचडीसी और आरवीएनएल को इस रेस्क्यू ऑपरेशन की जिम्मेदारी दी गई है। इसके अलावा बीआरओ और भारतीय सेना की निर्माण शाखा भी बचाव अभियान में मदद कर रही है।
इंटरनेशनल टनलिंग अंडरग्राउंड स्पेस के अध्यक्ष प्रोफेसर अर्नोल्ड डिक्स सिल्क्यारा सुरंग पहुंचे। उन्होंने सुरंग के मुख्य द्वार पर बने एक मंदिर में पूजा-अर्चना भी की। अर्नोल्ड डिक्स ने बताया, ‘कल से बहुत सारा काम किया जा चुका है। यह बहुत अहम है कि हम उन्हें(श्रमिकों) बचाएं। हम उन लोगों को बाहर निकालने जा रहे हैं। अभी तक बहुत बढ़िया काम हो रहा है। हमारी पूरी टीम यहां है और हम इसका समाधान ढूंढेंगे और उन्हें बाहर निकालेंगे।
अमेरिकी ऑगर ड्रिल मशीन में आई खराबी…
रेस्क्यू अभियान के दौरान अमेरिकी ऑगर ड्रिल मशीन ने सुरंग के भीतर मलबे में से 800-मिमी और 900-मिमी व्यास के हल्के स्टील पाइप डालने की कोशिश कर रही है। हालांकि, मशीन में खराबी आने की वजह से इसे बंद कर दिया गया है। अब रेस्क्यू टीमें और भी विकल्प पर काम कर रही हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने की सीएम से बात…
उधर, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उत्तराखंड के सीएम पुष्कर सिंह धामी से फोन पर बातचीत की। पीएम ने उत्तरकाशी में सिल्क्यारा सुरंग में फंसे श्रमिकों के लिए चल रहे राहत और बचाव कार्यों की जानकारी ली। पीएम मोदी ने कहा कि केंद्र सरकार की ओर से जरूरी बचाव उपकरण और हर संभव मदद उपलब्ध कराई जा रही है। उन्होंने कहा, केंद्र और राज्य की एजेंसियों के परस्पर समन्वय से श्रमिकों को सुरक्षित बाहर निकाल लिया जाएगा। फंसे श्रमिकों का मनोबल बनाए रखने की जरूरत है।