पाली। जिले की जैतारण तहसील के एक दूल्हे ने 11.51 लाख रुपए का टीका लौटाकर एक रुपया व नारियल लेकर शादी कर अनूठी मिसाल पेश की। राजपूत समाज के दूल्हे ने दहेज प्रथा रोकने के लिए अनूठी पहल करते हुए समाज भी नई दिशा दी है। यह वाकया नागौर जिले के हुडिल गांव में हुई शादी में देखने को मिला। दूल्हे पक्ष के लोगों द्वारा दुल्हन पक्ष की ओर से टीके में दिए 11 लाख 51 हज़ार रुपए वापस लौटाए तो दुल्हन के पिता की आंखों में आंसू छलक गए। दूल्हे के पिता ने शगुन के रूप में महज 1 रुपया व नारियल लिया। यह नजारा देख सभी चकित रह गए। यह शादी गांव ही नहीं, आसपास के क्षेत्रों में भी चर्चा का विषय बन गई।
जानकारी के मुताबिक जैतारण तहसील के सांगावास तवरो की ढाणी निवासी अमर सिंह तंवर की शादी 22 फरवरी को नागौर जिले के हुडील गांव निवासी प्रेम सिंह शेखावत की बेटी बबिता कंवर से हुई थी। यहां अमर सिंह तंवर ने कहा कि उन्हें दहेज नहीं चाहिए। राजपूत समाज के लोगों सहित सभी ने इस पहल की प्रशंसा की। तंवरो की ढाणी सांगावास से अमर सिंह तंवर की बारात हुडिल जिला नागौर गई थी। वहां टीके की रस्म के लिए 11 लाख ₹51 हजार भेंट किए, लेकिन तवर राजपूत समाज को संदेश देने के लिए टीके की रस्म को वापस लौटा दिया।
3 पीढियों से कर रहे हैं देश सेवा
तंवरो की ढाणी निवासी गणपत सिंह तंवर ने बताया कि हमारे परिवार में भंवर सिंह तंवर आर्मी ऑफिसर के बेटे अमर सिंह तंवर आर्मी सिपाही के पद पर तैनात हैं। अमर सिंह वर्तमान में उत्तराखंड के देहरादून क्षेत्र में सिपाही के पद पर कार्य करते हैं । इनकी तीन पीढ़ियां सैनिक के रूप में कार्य करते हुए देश की सेवा की है। टीका वापस लौटाने वाले अमर सिंह के पिता भंवर सिंह आर्मी में सूबेदार मेजर थे और दादा बहादुर सिंह ने भी भारत-पाक युद्ध 1971 और भारत-चीन युद्ध 1965 में देश की सेवा की थी।
राजपूत समाज से अपील- टीके की प्रथा को करे बंद
रविंद्र सिंह तंवर ने बताया कि छोटे भाई अमर सिंह शादी में टीके की रस्म को वापस लोटाकर पूरे राजपूत समाज में एकता का परिचय दिया है । तंवर राजपूत समाज की ओर से समस्त राजपूत समाज को अपील की गई है की समाज में टीके की प्रथा को बंद करे ताकि किसी गरीब परिवार पर लड़की बोझ नहीं बने। उन्होंने बताया कि जब हुडिल नागौर में प्रेम सिंह शेखावत की पुत्री बबीता कंवर के विवाह के अवसर पर टीके की रस्म का वापस लौटाया तो लड़की के पिता की आंखों में आंसू छलक पड़े। वहीं, समाज के लोगों ने तालियां बजाकर स्वागत किया।