चौमूं विधायक रामलाल शर्मा ने आज विधानसभा में पुजारी प्रोटेक्शन बिल लाने को लेकर अपनी बात रखी। उन्होंने कहा कि बीते कई समय से चाहे वह जयपुर की घटना हो, चाहे करौली की घटना हो, चाहे राजसमंद की या भरतपुर की हो। यहां पुजारी और धर्मगुरु या तो आत्मदाह कर लेते हैं यह जिंदा जला दिए जाते हैं। जो बहुत ही वीभत्स वारदात होती है। इन्हें रोकने के लिए जल्द से जल्द पुजारी प्रोटेक्शन बिल लाया जाए।
मंदिरों के जमीनी विवाद के निपटारे के लिए ट्रिब्यूनल को हो गठन
रामलाल शर्मा ने कहा कि पुजारियों के आत्मदाह का अधिकतर कारणों में मंदिरों की जमीन पर कब्जा या मंदिरों पर कब्जे को लेकर सामने आता है। इसलिए जिस तरह कब्रिस्तान की जमीन को लेकर और उनके विवादों के निपटारे को लेकर वक्फ ट्रिब्यूनल बनाया हुआ है। उसी तरह मंदिरों की जमीन के विवाद के निपटारे के लिए भी एक तरह के ट्रिब्यूनल का गठन किया जाए। जिससे पुजारियों, धर्मगुरुओं की जान बच सके, उनके आत्महत्या करने की नौबत नहीं आ सके।
जब तक ट्रिब्यूनल नहीं तब तक पुजारी प्रोटेक्शन बिल लाया जाए
रामलाल शर्मा ने कहा कि जब तक इस ट्रिब्यूनल का गठन नहीं किया जाता है, तब तक पुजारियों के लिए एक पुजारी प्रोटेक्शन बिल लाया जाए, जिससे पुजारियों की भी सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।
लंबे समयसे उठाई जा रही है मांग
बता दें कि पुजारियों के लिए पुजारी प्रोटेक्शन बिल की मांग लंबे समय से की जा रही है। भरतपुर में संत का आत्मदाह हो, या जयपुर के मुरलीपुरा में स्थित मंदिर के पुजारी को जिंदा जलाना हो या फिर राजसमंद की घटना हो। कई जगह से पुजारियों की आत्महत्या या जिंदा जलाने के मामले सामने आ चुके हैं। इसे लेकर विधानसभा के इसी बजट सत्र में राजेंद्र राठौड़ ने पुजारियों के लिए और धर्मगुरुओं के लिए पुजारी प्रोटेक्शन बिल लाने की मांग की थी। इसे लेकर पुजारियों और धर्मगुरुओं ने आंदोलन भी किया था।