जयपुर: राजस्थान में हर 5 साल बाद सरकार बदल जाती है जहां इस बार सीएम गहलोत सत्ता में रिपीट करने का दावा कर रहे हैं वहीं बीजेपी इसे महज एक जुमला करार दे रही है. राज्यभर में गहलोत सरकार की योजनाओं का शोर है तो दूसरी तरफ बीजेपी सरकार के खिलाफ सियासी जमीन तैयार करने में जुट गई है. इस बीच सूबे की सियासत को लेकर इतिहास की कई घटनाओं का जिक्र समय-समय पर उठता रहता है जहां 2003 की हार, 1998 की जीत, राजस्थान को लेकर आलाकमान का मूड जैसे कई सियासी किस्से नेताओं द्वारा अपने-अपने वर्जन से सुनाए जाते रहे हैं.
इसी कड़ी में एक सवाल काफी समय से सियासी गलियारों में तैरता रहता है कि क्या 1998 के विधानसभा चुनावों में जीत के बाद कांग्रेस की ओर से सीएम का दावेदार अशोक गहलोत थे या नहीं? अब सीएम गहलोत ने एक इंटरव्यू के दौरान इस चर्चा को खत्म करने का दावा करते हुए एक नया दावा किया है.
दरअसल गहलोत 1998 में पहली बार राजस्थान के मुख्यमंत्री बने थे जहां कांग्रेस को 153 सीटें मिली थी और इसके बाद उपचुनाव में मिली 3 सीटों के बाद कुल 156 सीटें हो गई थी. वहीं उस दौर को लेकर कहा जाता है कि 1998 में जीत के बाद परसराम मदेरणा मुख्यमंत्री पद की रेस में थे लेकिन अब गहलोत ने दावा किया है कि मदेरणा उस समय सीएम उम्मीदवार नहीं थे ये सिर्फ लोगों में बनी एक धारणा है.
1998 में गहलोत कैसे बने मुख्यमंत्री?
गहलोत ने बताया कि 1998 के विधानसभा चुनाव में जीत के दौरान परसराम मदेरणा को स्वास्थ्य संबंधित समस्या थी और वह अपनी बाईपास सर्जरी नहीं करवाना चाहते थे. उन्होंने कहा कि मदेरणा पहले से सीएम के उम्मीदवार नहीं थे. मालूम हो कि 1998 को लेकर सियासी गलियारों में कहा जाता है कि परसराम मदेरणा मुख्यमंत्री बनने वाले थे लेकिन कांग्रेस आलाकमान की ओर से एक लाइन का प्रस्ताव पास कर अशोक गहलोत को कुर्सी दी गई और मदेरणा ने आलाकमान का फैसला मान लिया.
गहलोत ने हाल में बताया कि कांग्रेस की जीत के बाद वह खुद परसराम मदेरणा से मिलने गए थे तब उन्होंने ही कहा था कि मैं उम्मीदवार ही नहीं हूं और तुम जाकर आगे की प्रक्रिया कर दो, बाकी मेरी जरूरत होगी तो मैं आ जाऊंगा.
दिव्या मदेरणा ने किया था दावा
गौरतलब है कि परसराम मदेरणा की पोती और कांग्रेस विधायक दिव्या मदेरणा ने बीते दिनों 1998 में मदेरणा के सीएम पद की दावेदारी को लेकर बड़ा बयान दिया था. दिव्या ने कहा था कि 1998 में कांग्रेस को 200 में से 156 सीटें मिली थी और परसराम मदेरणा सीएम के प्रबल दावेदार थे लेकिन उन्होंने कांग्रेस आलाकमान के आदेश को स्वीकार किया.