Farmers Debt Relief Commission Bill : जयपुर। किसान कर्जमाफी पर प्रदेश की गहलोत सरकार नया फॉर्मूला लेकर आ रही हैं। यह फॉर्मूला प्रदेश के किसानों की जमीन कुर्क होने से बचाएगा। इसके लिए राज्य सरकार राजस्थान राज्य कृषक ऋण राहत आयोग का गठन करने जा रही हैं। प्रदेश के किसानों की जमीनें कुर्क होने से बचाने और कर्जमाफी से राहत दिलाने के लिए मुख्यमंत्री अशोक गहलोत भाजपा नेतृत्व वाली केंद्र सरकार से केंद्रीकृत बैंकों का वन टाइम सेटलमेंट करवाने की बार-बार मांग रख चुके हैं, लेकिन इसके के बाद भी केंद्र सरकार कांग्रेस की इस मांग पर ध्यान नहीं दे रही है। अब इस मांग को केंद्र ने पूरा नहीं किया तो अब कांग्रेस सरकार ही इस समस्या के समाधान नए फॉर्मूले से निकालने जा रही है।
किसानों पर दवाब नहीं बना सकेंगे बैंक या कंपनी
चुनावों से पहले किसानों को साधने और किसानों की कर्ज की समस्या का समाधान निकलने के लिए गहलोत सरकार अब राजस्थान राज्य कृषक ऋण राहत आयोग का गठन करने जा रही है। इसके लिए दो अगस्त को विधानसभा में कांग्रेस सरकार बिल लेकर आएगी। जिस पर चर्चा होने के बाद संभवत इसे पारित कर दिया जाएगा। विधानसभा में यह बिल पेश कर कांग्रेस सरकार पारित करवाएगी।
आयोग बनने के बाद कोई भी फाइनेंशियल संस्था जैसे बैंक या कंपनी जिसने किसानों को ऋण दिया है, वह किसी भी कारण से फसल खराब होने की हालत में कर्ज वसूली को लेकर उन पर वसूली का दवाब नहीं बना सकेंगे। किसान फसल खराब होने पर कर्ज माफी की मांग करते हुए इस आयोग में आवेदन कर सकेंगे।
सेवानिवृत्त न्यायाधीश होंगे आयोग के अध्यक्ष
बिल पास होने के बाद यह आयोग किसानों और ऋण देने वाले बैकों या कंपनी के बीच सेटलमेंट को लेकर काम करेगा। यह एक न्यायलय की तरह काम करेगा। जिस तरह कोर्ट सुनवाई करेगा उसी तरह से किसानों की आरे से दिए गए परिवाद पर सुनवाई करेगा।
इस आयोग में हाईकोर्ट से रिटायर्ड जज को अध्यक्ष बनाया जाएगा। वहीं चार सदस्य होंगे, जो मुख्य सचिव या प्रमुख शासन सचिव पद से रिटायर्ड आईएएस अधिकारी होंगे। साथ ही जिला और सेशन कोर्ट से रिटायर्ड जज, बैंकिंग सेक्टर के अनुभवी अधिकारी और कृषि विशषेज्ञ भी इसमें होंगे। अध्यक्ष का कार्यकाल अधिकतम तीन वर्ष का होगा।
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कर्ज को री-शेड्यूल कर सकता है आयोग
किसानों पर ब्याज बढ़ाकर उन्हें कर्जे में लाने वालों पर आयोग लगाम कसने का काम करेगा। किसान की हालत अगर कर्जा चुकाने लायक नहीं होगी तो सभी तथ्यों और रिपोर्ट के आधार पर उसे संकटग्रस्त घोषित कर सके गा। संकटग्रस्त घोषित किसान से जबरदस्ती कर्जकी वसूली नहीं की जा सकेगी।
आयोग सेंट्रलाइज्ड बैंकों और कॉमर्शियल बैंकों से लिए गए किसानों के कर्ज को री- शेड्यूल करने से लेकर कर्जमाफी तक का शॉर्ट टर्म लोन को मिड टर्म या लॉन्ग टर्म में बदलने के लिए भी री-शेड्यूल करने का आदेश जारी कर सकेगा। यहीं नहीं अगर कहीं अकाल या प्राकृतिक आपदा से किसान को नुकसान हुआ तो आयोग पूरे जिले को भी संकटग्रस्त घोषित कर सकेगा।
19 हजार 422 किसानों के हो चुके कुर्की आदेश
प्रदेश में एक बार फिर किसानों का मुद्दा हर पार्टी की जुबान पर है। भाजपा और कांग्रेस किसान कर्जमाफी को लेकर एक-दूसरे पर लगातार जुबानी हमला हमला बोलते रहते हैं। लाखों किसानों के कर्ज माफी का दावा करने के बाद भी कर्जा किसानों में माथे से नहीं उतर रहा है।
हालात यह हैं कि 19 हजार 422 किसानों की जमीनें कर्जा जमा नहीं कराने के कारण कुर्की की कगार पर हैं। पिछले विधानसभा चुनावों में कांग्रेस ने सत्ता में आते ही 10 दिन में सभी किसानों के कर्ज माफी का वादा किया। लेकिन किसानों केंद्रीकृत बैंकों का कर्जमाफ अभी तक नहीं किया गया।
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