कोटा। राजस्थान के कोटा में अपनी ही मासूम बेटी के साथ दुष्कर्म करने वाले हैवान पिता को कोर्ट ने आजीवन कारावास की सजा सुनाई। कोटा के पॉक्सो कोर्ट ने दुष्कर्म के दोषी पिता को अंतिम सांस तक जेल की सजा सुनाने के साथ फैसले में रामचरित मानस की चौपाई लिखी।
गुरुवार को कोर्ट नंबर-3 के जज दीपक दुबे ने आरोपी पिता को लेकर फैसला सुनाते हुए लिखा- नाबालिग अवस्था से बालिग अवस्था तक शारीरिक संबंध बनाना मानवता को शर्मसार करने वाली घटना है। संभवतया इस प्रकार का उदाहरण दानवों में भी नहीं पाया जाता। पीड़िता नेशनल प्लेयर है।
कोर्ट ने आरोपी पिता को लेकर फैसले में रामचरित मानस की चौपाई लिखी। जिसमे कहा- ‘अनुज वधु भगिनी सत नारी, सुनु सठ कन्या सम ऐ चारी। इन्हहि कुदृष्टि बिलोकई जोई, ताहि वध कछु पाप न होई’
ये चौपाई रामचरित मानस के उस प्रसंग की है, जब मरते समय बाली ने भगवान श्रीराम से उसका वध करने का कारण पूछा? इसके बाद श्रीराम ने अपनी बात इस चौपाई के जरिए रखी थी। अब समझिए कोर्ट ने फैसले में जो चौपाई लिखी उसका क्या मतलब है। रामचरित मानस की चौपाई का अर्थ है कि-छोटे भाई की पत्नी, बहन, पुत्र की पत्नी, और पुत्री में कोई अंतर नहीं है। किसी भी पुरुष के लिए ये समान होनी चाहिए। इन पर कुदृष्टि रखने वाले या अपमान करने वाले का वध करना पाप की श्रेणी में नहीं आता है।
बेटी को अकेली देख पिता की नियत बिगड़ी…
सरकारी अधिवक्ता ललित कुमार शर्मा ने बताया कि मामला 19 दिसंबर 2022 का है। पीड़िता अपनी तीन बहनों में सबसे बड़ी है। घटना के वक्त पीड़िता की मां और छोटी बहन बाजार गई थी। वहीं मंझली बहन अखाड़े में खेलने गई थी। इस दौरान पीड़िता रसोई में खाना बना रही थी। शाम 6 बजे उसके पिता ने उसे जबरन पकड़ लिया और अंदर कमरे में ले जा कर रेप किया।
मां को बताने पर गिड़गिड़ाने लगा पिता…
पीड़िता ने मां के घर लौटने पर आपबीती सुनाई। इसके बाद पीड़िता की मां और आरोपी पिता के बीच झगड़ा हुआ। पिता ने माफी मांगते हुए गिड़गिड़ाते हुए दोबारा ऐसी गलती नहीं करने की बात कही। हालांकि पीड़िता ने 9 मार्च 2023 को उद्योग नगर थाने में रिपोर्ट दी थी।
अंतिम सांस तक जेल में रहेगा आरोपी पिता…
कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए लिखा- अच्छी परवरिश और संस्कार मिलने के कारण बेटी ने राष्ट्रीय खेल प्रतियोगिता में भाग लिया। नाबालिग अवस्था से बालिग अवस्था तक शारीरिक संबंध बनाना मानवता को शर्मसार करने वाली घटना है। संभवतया इस प्रकार का उदाहरण दानवों में भी नहीं पाया जाता। समय परिवर्तनशील है लेकिन, बेटी की कटु स्मृतियां सम्भवतः कभी नहीं मिटेंगी। लेकिन, आरोपी आखिरी सांस तक जेल में बैठकर अपने पापों का प्रायश्चित करता रहेगा। इसी के साथ कोर्ट ने पीड़िता को पीड़ित प्रतिकर स्कीम के तहत 10 लाख रुपए की आर्थिक सहायता देने की भी अनुशंसा की है।
बेटी ने साहस दिखाकर दर्ज कराई शिकायत…
सरकारी अधिवक्ता ललित कुमार शर्मा ने कहा- दोषी पिता 14 साल की उम्र से बेटी के साथ लगातार दुष्कर्म कर रहा था। लेकिन, डर के कारण बेटी ने घटना की जानकारी किसी को नहीं थी। इसके बाद पीड़िता को उसकी मां ने गांव में बड़े पापा के पास भेज दिया था। 9 मार्च 2023 की सुबह पिता उसे फिर से घर ले आया और जबरदस्ती करने लगा। इसके बाद उसने साहस कर 9 मार्च 2023 को उद्योग नगर थाने में शिकायत दी थी। शिकायत के दौरान वो बालिग हो गई थी। पुलिस ने मामला दर्ज किया।
14 साल की उम्र से कर रहा था दुष्कर्म…
पीड़िता के 164 के बयान करवाए गए। पीड़िता ने अपने बयानों में बताया कि 14 साल की उम्र से ही पिता उससे दुष्कर्म करता आ रहा है। पुलिस ने पिता को गिरफ्तार कर कोर्ट में उसके खिलाफ चालान पेश किया। कोर्ट में 11 गवाह व 18 दस्तावेज पेश किए गए थे। कोर्ट ने 7 महीने की सुनवाई के बाद सजा सुनाई। 10 हजार का अर्थदंड लगाया गया है। कोर्ट ने पीड़िता को पीड़ित प्रतिकर स्कीम के तहत 10 लाख की आर्थिक सहायता की भी अनुशंसा की है।