अजमेर। राजस्थान के अजमेर की पीसीपीएनडीटी न्यायालय ने 22 साल पुराने मामले में शुक्रवार को फैसला सुनाया। तत्कालीन एसपी को थप्पड़ मारने के दोषी पूर्व विधायक बाबूलाल सिंगारिया को तीन साल सुनाई है और साथ ही 1 लाख 500 रुपए जुर्माने से दंडित किया है। साल 2001 में पूर्व विधायक बाबूलाल सिंगारिया ने मीटिंग के दौरान तत्कालीन एसपी आलोक त्रिपाठी को थप्पड़ जड़ा था। वर्तमान मुख्य सचिव उषा शर्मा के सामने यह पूरा घटनाक्रम हुआ।
बता दें कि 30 जून 2001 को जिला कलक्ट्रेट में बैठक के दौरान केकड़ी के पूर्व विधायक बाबूलाल सिंगारिया ने तत्कालीन एसपी आलोक त्रिपाठी को थप्पड़ जड़ दिया था। बीचबचाव करने आए एएसपी ग्रामीण वासुदेव भट्ट से भी हाथापाई कर उनकी वर्दी फाड़ दी थी। मामले में तत्कालीन जिला कलक्टर उषा शर्मा के निर्देश पर तत्कालीन एडीएम सिटी अशफाक हुसैन ने सिविल लाइन थाने में आईपीसी की धारा 332, 353 और186 के तहत मुकदमा दर्ज करवाया। एएसपी सतवीर सिंह ने मामले की जांच की थी। साल 2004 में मामले में चार्जशीट पेश की गई। साल 2018 में मामले में आरोप तय हुए। पूरे मामले में अभियोजन ने 20 गवाहों के बयान करवाए। 18 अक्टूबर 2022 को आरोपी बाबूलाल सिंगारिया के बयान भी न्यायालय में दर्ज किए गए। वहीं, आरोपी के वकील की ओर से दृष्टांत पेश करते हुए प्रोबेशन की मांग की थी, लेकिन जिले के बड़े अधिकारी के साथ हुए घटनाक्रम के मद्देनजर न्यायाधीश सीमा ढ़ाका ने बाबू लाल सिंगारिया को दोषी करार देते हुए 3 साल सजा और 1 लाख पांच सौ रुपये से दंडित किया है।
एडवोकेट ने उठाए सवाल…
वहीं इस फैसले को पूर्व विधायक सिंगारिया के एडवोकेट प्रीतम सिंह सोनी ने गलत ठहराया है। उनका आरोप है कि बिना बहस सुने यह फैसला सुनाया गया, जो न्यायसंगत नहीं है। उन्होंने न्यायालय में भी इस फैसले को गलत ठहराते हुए विरोध जताया। सोनी ने कहा कि उन्होंने जिला बार एसोसिएशन के अध्यक्ष नरेन्द्र सिंह राठौड़ के समक्ष भी इसकी मौखिक शिकायत की है।
एक माह के लिए सजा स्थगित…
एडवोकेट प्रीतम सिंह सोनी ने कहा कि फैसले के बाद उन्होंने बाबूलाल सिंगारिया की जमानत याचिका कोर्ट में पेश की। जिस पर न्यायाधीश सीमा ढ़ाका ने जमानत स्वीकार करते हुए एक माह तक के लिए सजा को स्थगित कर दिया है।
यह था पूरा मामला…
बता दें कि 30 जून 20201 को जिला सतकर्ता एवं जनअभाव अभियोग निराकरण की बैठक तत्कालीन जिला कलेक्टर उषा शर्मा की अध्यक्षता में आयोजित की जा रही थी। बैठक में केकड़ी के तत्कालीन विधायक बाबूलाल सिंगारिया ने बिगड़ती कानून व्यवस्था व भ्रष्टाचार के तत्कालीन एसपी आलोक त्रिपाठी पर आरोप जड़े। जब कलेक्टर उषा शर्मा ने इसका विरोध किया तो आवेश में आकर सिंगारिया ने एसपी त्रिपाठी को थप्पड़ जड़ दिया। बीचबचाव करने आए तत्कालीन एएसपी ग्रामीण वासुदेव भट्ट के साथ भी हाथापाई की और उनकी वर्दी फाड़ दी थी। इस मामले में सिविल लाइन थाने में मुकदमा दर्ज करवाया गया था। मामले की जांच बाद में सीआईडी को सौंपी गई थी।
(इनपुट-नवीन वैष्णव)