नई दिल्ली। देश में बीते कुछ सालों में ऑनलाइन ठगी की वारदातों में बढ़ोत्तरी हुई हैं। देश में बढ़ता साइबर क्राइम चिंता का विषय है। ऐसे ठग नए-नए पैंतरे अपनाकर लोगों को अपना शिकार बनाते हैं। देश में झारखंड़ का जामताड़ा कभी साइबर अपराधियों का सबसे बड़ा गढ़ माना जाता था, लेकिन हाल के दिनों में राष्ट्रीय राजधानी के आसपास के क्षेत्रों ने इसे पीछे छोड़ दिया है। आईआईटी कानपुर से जुड़े एक स्टार्टअप ने साइबर क्राइम का गढ़ बन रहे टॉप-10 जिलों की लिस्ट जारी की है।
साइबर क्राइम की सबसे ज्यादा वारदातें भरतपुर, मथुरा, नूंह और देवघर में हुई है। ये वो जिले हैं जिन्होंने जामताड़ा को पछाड़ दिया है। बता दें कि साइबर ठगी में अब तक सिर्फ जामताड़ा का ही नाम सामने आता था, लेकिन अब दूसरे इलाके भी उभरकर सामने आ रहे हैं।
फ्यूचर क्राइम रिसर्च फाउंडेशन (FCRF) की स्टडी में ये सारी जानकारी सामने आई है। ये फाउंडेशन आईआईटी कानपुर से जुड़ा हुआ है।
रिपोर्ट के मुताबिक, राजस्थान का भरतपुर और उत्तर प्रदेश का मथुरा साइबर ठगी का बड़ा हॉटस्पॉट बन गए हैं। इनके बाद हरियाणा का नूंह और झारखंड का देवघर जिला है। पांचवें नंबर पर जामताड़ा है।
इस स्टडी में साइबर क्राइम के 10 बड़े हॉटस्पॉट की लिस्ट दी गई है। इन 10 जिलों में देश के 80 फीसदी से ज्यादा साइबर क्राइम होते हैं।
साइबर क्राइम के 10 बड़े हॉटस्पॉट…
एफसीआरएफ फाउंडेशन ने अपनी रिपोर्ट में जिन 10 जिलों की लिस्ट दी है, उनमें राजस्थान, उत्तर प्रदेश, हरियाणा और झारखंड के जिले हैं। डेटा के मुताबिक, साइबर अपराध के 18 प्रतिशत मामले राजस्थान के भरतपुर से सामने आए। इसके बाद मथुरा से 12 प्रतिशत मामले सामने आए। वहीं नूंह से 11 प्रतिशत, देवघर से 10 प्रतिशत, जामताड़ा से 9.6 फीसदी मामले सामने आए हैं। वहीं गुरुग्राम में 8.1 प्रतिशत, अलवर 5.1 फीसदी, बोकारों में 2.4, जामताड़ा के करमाटांड़ में 2.4 प्रतिशत और गिरिडीह से 2.3 फीसदी मामले सामने आए हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि ये दस शहर देशभर में 81 प्रतिशत साइबर अपराध के लिए जिम्मेदार हैं।
ये शहर क्यों बन रहे हैं अपराधों का गढ़?
भरतपुर : मेवात क्षेत्र साइबर अपराधियों के नए केंद्र के रूप में उभरा है। ऐसा इसलिए हो रहा है क्योंकि भरतपुर जिला दिल्ली से सटा हुआ है। इसलिए यहां साइबर क्राइम बढ़ रहे है। भरतपुर में न तो रोजगार के बहुत ज्यादा मौके हैं, जिस वजह से कमाई के लिए लोग साइबर क्राइम की ओर बढ़ रहे हैं। वहीं यहां के लोगों में जागरुकता और डिजिटल लिटरेसी की भी कमी है। भरतपुर में साइबर थानों का अभाव होने के एक कारण यह भी है।
मथुरा : पर्यटन स्थल होने की वजह से मथुरा में साइबर अपराधी बढ़ रहे हैं। फाइनेंशियल ट्रांजेक्शन भी यहां काफी ज्यादा होता है। कारोबारियों और लोगों में जागरुकता की कमी है।
नूंह : एनसीआर के नजदीक है, जिस कारण साइबर अपराधी यहां एक्टिव हैं। एनसीआर में अपराधियों को विक्टिम भी आसानी से मिल जाते हैं। सामाजिक-आर्थिक चुनौतियां भी इसे बढ़ा रही हैं।
देवघर : कानूनी एजेंसियां और साइबर क्राइम यूनिट में एक्सपर्ट्स की कमी के कारण यहां साइबर अपराधी बढ़ रहे हैं।
जामताड़ा : देश में सबसे ज्यादा साइबर अपराध की घटनाओं को झारखंड से अंजाम दिया जाता है। ऑनलाइन फ्रॉड और फिशिंग जैसे साइबर क्राइम के लिए जामताड़ा कुख्यात है। यहां पर साइबर क्राइम का नेटवर्क संगठित तरीके से काम कर रहा है।
गुरुग्राम : कॉर्पोरेट और आईटी हब होने के कारण साइबर अपराधी यहां काफी एक्टिव हैं। आर्थिक रूप से गुरुग्राम काफी समृद्ध है, लेकिन यहां के लोगों में डिजिटल लिटरेसी और साइबर सिक्योरिटी को लेकर जागरुकता की कमी है।
अलवर : दिल्ली से पास होने के कारण साइबर क्राइम का गढ़ बन रहा है। जिले के छोटे-छोटे कस्बों में जागरुकता की कमी है।
बोकारो : साइबर क्राइम यूनिट और कानूनी एजेंसियों के पास संसाधनों की कमी के कारण साइबर अपराधी बढ़ रहे हैं। इसके अलावा कमाई के लिए भी अपराधी साइबर ठगी का काम कर रहे हैं।
करमाटांड : ये ऐसी जगह बना है, जिसके आसपास के जिलों में साइबर क्राइम की गतिविधियां होती रहती हैं। इस कारण करमाटांड भी साइबर क्राइम का गढ़ बन रहा है।
गिरिडीह : झारखंड के सुदूर इलाके में बसा हुआ है, इस कारण कानूनी एजेंसियों की पहुंच काफी सीमित है। इस कारण साइबर अपराधी बढ़ रहे हैं।
साइबर क्राइम बढ़ने के पांच मुख्य कारण…
फर्जी दस्तावेजों की भरमार : आजकल फर्जी दस्तावेजों की भरमार है। इसका इस्तेमाल कर अपराधी फर्जी सिम कार्ड खरीद लेते हैं और गुमनाम तरीके से काम करते हैं।
केवआईसी और वेरिफिकेशन : ऑनलाइन प्लेटफॉर्म में केवआईसी और वेरिफिकेशन की प्रक्रिया खराब है। साइबर अपराधी फर्जी आईडी बना लेते हैं, जिस कारण इन्हें ट्रैक कर पाना भी मुश्किल होता है।
ज्यादा स्किल की जरूरत नहीं : साइबर क्राइम में आने के लिए कोई बहुत ज्यादा स्किल की जरूरत नहीं पड़ती। हैकिंग टूल और मैलवेयर आजकल आसानी से मौजूद हैं।
अफॉर्डेबल एआई टूल : आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का इस्तेमाल कर अपरादी साइबर अटैक करते हैं।
बेरोजगारी : साइबर अपराधी बेरोजगार लोगों का फायदा उठाते हैं। उन्हें ट्रेनिंग देते हैं और एक नेटवर्क तैयार करते हैं।
जामताड़ा में क्यों होती है सबसे ज्यादा ठगी…
झारखंड़ राज्य जामताड़ा के ज्यादातर गांवों में लोगों को ठगने का खेल चलता है और चल रहा है। ये लोग फर्जी आईडी की मदद से सिम कार्ड खरीदते हैं। दो लोग साथ में मिलकर ठगी करता है। एक फोन कॉल करता है और दूसरा सारी डिटेल भरकर चूना लगाता है।
माना जाता है कि 70-80 के दशक में जामताड़ा ट्रेन लूट और डकैती के लिए बदनाम था। ये साइबर ठगों का गढ़ तब बना जहां मोबाइल फोन का चलन बढ़ा। 2004 और 2005 के बाद भारत में मोबाइल फोन का चलन बढ़ गया था। इस कारण ठगी और लूट करने के लिए अपराधियों ने नया तरीका ढूंढा।