Ajmer Sharif Garib Nawaz Urs 2024: राजस्थान के अजमेर में सूफी संत ख्वाजा मोईनुद्दीन हसन चिश्ती की दरगाह में रौनक बिखरी है जहां ख्वाजा गरीब नवाज के 812 वें उर्स के मौके पर दरगाह में जायरीनों की अकीदत से माहौल सराबोर है. वहीं उर्स के दौरान दरगाह पर जन्नती दरवाजे को लेकर लोगों के बीच काफी उत्सुकता रहती है जहां यह दरवाजा साल में सिर्फ 4 दिन खुलता है. जायरीन उर्स के दौरान सर पर मखमल की चादर और फूलों की टोकरी के लिए अपनी बारी का घंटों इंतजार करते रहते हैं.
इस साल उर्स के दौरान 12 जनवरी से अगले 6 दिन तक जन्नती दरवाजा खुला रहेगा जहां दरगाह को रंग बिरंगी लाइटों से किसी दुल्हन की तरह सजाया गया है. वहीं चांद दिखने के बाद ही उर्स की विधिवत शुरुआत होगी. इस बीच आइए जानते हैं कि आखिर ये जन्नती दरवाजा क्या है औऱ इसको लेकर लोगों के बीच क्या मान्यताएं हैं.
1 साल में 4 बार खुलता है ये दरवाजा
बता दें कि अजमेर के सूफी संत ख्वाजा मोईनुद्दीन हसन चिश्ती की दरगाह में बने इस दरवाजे को लेकर माना जाता है कि इसमें होकर गुजरने से जन्नत नसीब होती है और यह साल में सिर्फ 4 बार ही खुलता है. वहीं इस दरवाजे के खुलने के बाद अकीदतमंद यहां घंटों तक लाइनों में खड़े रहते हैं.
ख्वाजा साहब के खिदमततगार खादिम कुतुबुद्दीन सखी का कहना है कि ख्वाजा गरीब नवाज इबादत के लिए इसी रास्ते को काम में लेते थे और अल्लाह का संदेश इसी दरवाजे से जो लोग मक्का मदीना की जियारत नहीं कर पाते उन्हें सुनाया करते थे. वहीं यह भी मान्यता है कि इस दरवाजे से गुजरने पर सारी दुआएं और मन्नतें कुबूल हो जाती है. हालांकि यह दरवाजा 1 साल भर में 4 बार खोला जाता है लेकिन उर्स में यह दरवाजा 6 दिनों के लिए खोला जाता है जो कि सबसे अधिक बार है.
कई सालों से चल रही परंपरा
बता दें कि दरगाह में जियारत के लिए आने वाले जायरीनों में इस दरवाजे को लेकर काफी उत्सुकता रहती है.वहीं लोग सर पर मखमल की चादर और फूलों की टोकरी के लिए दरवाजे के आगे खड़े रहते हैं. इसके अलावा कई बार अपनी बारी के इंतजार में जायरीन कड़ाके की ठंड में जन्नती दरवाजे के आगे ही रात में सो जाते हैं.