Bach Baras par khas: भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की द्वादशी तिथि को बछ बारस का पर्व प्रदेश के अन्य जिलो की तरह सूर्यनगरी जोधपुर में भी उत्साह के साथ मनाया जा रहा है. महिलाओं ने गाय और बछड़े की पूजा अर्चना कर सुख समृद्धि और खुशहाली की कामना की. महिलाओं ने कुमकुम और चावल से तिलक कर गाय और बछड़े की आरती उतारी. मान्यता है कि इस व्रत को करने से संतान की लंबी आयु होती है.
सामूहिक रूप से महिलाओं ने की गाय पूजा
जोधपुर के शनिचर जी का थान क्षेत्र से लेकर सरदारपुरा क्षेत्र की बात करे तो यहां पर महिलाओं ने बडे ही उत्साह के साथ इस पर्व को मनाया. भी महिलाओं ने सामूहिक रूप से गाय और बछड़े की विधि विधान से पूजा अर्चना की और पुत्र के लंबी उम्र और मंगलमय जीवन की कामना भी की. अनिता मेवाड़ा के नेतृत्व में महिलाओं के ग्रुप ने मिलकर गाय और उसके बछड़े को स्नान कर उसके माथे पर तिलक लगाया और उन्हें नए वस्त्र ओढ़ाए गए. बाद में गाय के पैरों में लगी मिट्टी से अपने माथे पर तिलक किया. आरती उतारकर महिलाओं ने इस मौके पर मंगल गीत भी गाए.इस दौरान महिलाओं में इस पर्व को लेकर उत्साह देखा गया.
बेटे के लंबी उम्र के लिए मनाया जाता है यह पर्व
बछ बारस पर्व के मनाए जाने के पीछे की प्रथा की बात करे तो बेटे के लंबी उम्र और परिवार की खुशहाली के लिए महिलाएं हर साल इस पर्व को मानती है. इस दिन घरों में खास तौर पर बाजरे की रोटी जिसे सोगरा भी कहा जाता है और अंकुरित अनाज की सब्जी बनाई जाती है. इस दिन गाय के दूध की जगह भैंस या अन्य दूध का उपयोग किया जाता है.
आज महिलाएं दूध से बने प्रोडक्ट का नही करती सेवन
अल सुबह महिलाओं ने गाय व बछड़े की पूजा की. विधिवत पूजा करने के बाद अब दिन भर महिलाएं पर्व के रिवाज के अनुसार खान पान करेंगी. बुजुर्गों के अनुसार, बछ बारस की पूजा केवल बेटों की माताएं ही करती हैं. इस दिन महिलाएं गाय के दूध से बनी किसी भी प्रोडेक्ट का सेवन नहीं करती हैं. साथ ही लोहे से काटा गया व गेहूं का उपयोग भी नहीं करती हैं. महिलाएं बाजरे की रोटी खाती हैं. भैंस या बकरी के दूध का तथा अंकुरित धान का उपयोग करती हैं.