Lok Sabha Election 2024: जयपुर। राजस्थान में लोकसभा चुनाव की वोटिंग पूरी हो चुकी है। लेकिन चिंताजनक बात यह है कि साल 2019 के मुकाबले इस बार 5.11 फीसदी वोटिंग कम हुई है। इससे भी चौंकाने वाली बात यह है कि चार महीने पहले हुए विधानसभा चुनाव में जीतकर आए मंत्री भी अपने विधानसभा क्षेत्र में वोटिंग प्रतिशत कम होने से नहीं रोक पाए। निर्वाचन विभाग की ओर से जारी आंकड़ों में एक ऐसा तथ्य सामने आया है जिससे भाजपा नेताओं का चिंतित होना लाजमी है।
डिप्टी सीएम के क्षेत्र में कम हुई वोटिंग
राजस्थान की डिप्टी सीएम दीया कुमारी के विधानसभा क्षेत्र में भी वोटिंग प्रतिशत कम रहा है। भाजपा सरकार के ज्यादातर मंत्री मतदाताओं को बूथ तक लोने में नाकाम साबित हुए हैं। सरकार के अधिकतर मंत्रियों के विधानसभा चुनाव के मुकाबले लोकसभा चुनाव में 26.65 तक वोटिंग प्रतिशत गिरा है।
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दीया कुमारी के विधानसभा क्षेत्र में विधानसभा चुनाव के मुकाबले लोकसभा चुनाव में 11 फीसदी तक कम मतदान हुआ है। इसी प्रकार उप मुख्यमंत्री प्रेमचंद बैरवा के दूदू विधानसभा क्षेत्र में करीब 24 फीसदी, किरोड़ी लाल मीणा के विधानसभा क्षेत्र सवाई माधापुर में करीब 16 फीसदी, गजेंद्र सिंह खींवसर के विधानसभा क्षेत्र में करीब 15 फीसदी, राज्यवर्धन सिंह के विधानसभा क्षेत्र झोटवाड़ा में 12 फीसदी, मदन दिलावर के विधानसभा क्षेत्र रामगंज मंडी में करीब 4 फीसदी कम मतदान हुआ है।
सुमित गोदारा के क्षेत्र में 24% कम हुई वोटिंग
कन्हैया लाल के विधानसभा क्षेत्र मालपुरा में करीब 23 फीसदी, जोगाराम पटेल के विधानसभा क्षेत्र में 12.39%, सुरेश सिंह रावत के विधानसभा क्षेत्र में करीब 27 फीसदी, जोगाराम कुमावत के विधानसभा क्षेत्र में करीब 7 फीसदी, बाबूलाल खराड़ी के विधानसभा क्षेत्र झाड़ोल में करीब 7 फीसदी, हेमंत मीणा के विधानसभा क्षेत्र प्रतापगढ़ में करीब 10 फीसदी, संजय शर्मा के विधानसभा क्षेत्र अलवर में करीब 6 फीसदी, गौतम कुमार के बड़ी सादड़ी में 12 फीसदी, झाबर सिंह खर्रा के विधानसभा क्षेत्र श्रीमाधोपुर में 21 फीसदी और हीरालाल नागर के विधानसभा क्षेत्र सागौद में 7 फीसदी मतदान कम हुआ है।
दिल्ली भेजी गई रिपोर्ट से बढ़ सकती हैं परेशानियां
राजस्थान में लोकसभा चुनाव में दो उपमुख्यमंत्रियों के साथ 23 मंत्रियों पर अपने विधानसभा क्षेत्र में लोकसभा चुनाव जीताने की जिम्मेदारी थी। लेकिन वोटिंग के लिहाज से मंत्रियों की इस खराब परफॉर्मेंस के बाद दिल्ली भेजी गई है। जो राजस्थान के मंत्रियों के लिए परेशानी का सबब बन सकती है।
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